Saturday, 13 January 2018

आतंक से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं मदरसे?

उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने मदरसों को समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने इस पत्र में देशभर के मदरसों को समाप्त कर सामान्य शिक्षा नीति बनाने की मांग की है। निकाय ने आरोप लगाया है कि ऐसे इस्लामी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा छात्रों को आतंकवाद से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने दावा किया कि मदरसे बच्चों को कट्टरपंथी बना रहे हैं जिससे वे आतंकियों के आसान शिकार बनते जा रहे हैं। उन्होंने सवाल कियाöकितने मदरसों से इंजीनियर, डाक्टर व आईएएस अफसर निकले हैं? अलबत्ता कुछ मदरसों से आतंकी जरूर पैदा हुए हैं। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि अधिकतर मदरसे जकात यानी दान के पैसों से चल रहे हैं। उनका आरोप है कि यह पैसा देश के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों से आता है। उन्होंने मांग की है कि मदरसों के स्थान पर ऐसे स्कूल हों, जो सीबीएसई या आईसीएसई से संबद्ध हों और ऐसे स्कूल छात्रों के लिए इस्लामिक शिक्षा के वैकल्पिक विषय की पेशकश करेंगे। बोर्ड ने सुझाव दिया है कि सभी मदरसा बोर्डों को भंग कर दिया जाना चाहिए। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने दावा किया कि देश के अधिकतर मदरसे मान्यता प्राप्त नहीं हैं और ऐसे संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने वाले मुस्लिम छात्र बेरोजगारी की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि ऐसे मदरसे लगभग हर शहर, कस्बे व गांव में खुल रहे हैं और ऐसे संस्थान गुमराह करने वाली धार्मिक शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मदरसों के संचालन के लिए पैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी आते हैं और कुछ आतंकवादी संगठन भी उनकी मदद करते हैं। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में मदरसों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और रिजवी उन पर सवाल उठाकर उनकी तौहीन कर रहे हैं। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली (इमाम ईदगाह लखनऊ) ने कहा कि रिजवी के आरोप बेबुनियाद हैं। मदरसे ने ही देश को मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसा पहला शिक्षामंत्री दिया। यही नहीं, मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम की शुरुआती शिक्षा भी मदरसे में ही हुई थी। एआईएमईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि रिजवी ने आरएसएस को अपनी आत्मा बेच दी है। उनके पास मदरसों में आतंकी पैदा होने का कोई सबूत हो तो उसे गृहमंत्री को दिखाएं। इत्तेफाक की बात यह है कि भारत में मदरसों पर निगरानी को लेकर चल रही बहस के बीच पाकिस्तान ने आतंकियों के गढ़ माने जाने वाले खैबर पख्तूनख्वाह में मदरसों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। वहां की सरकार ने मदरसों को अब सीधे सरकारी नियंत्रण में ले लिया है। इनका पंजीकरण, पाठ्यक्रम, पढ़ाई और निगरानी स्कूली शिक्षा विभाग के अधीन कर दी गई है। माना जा रहा है कि आतंकी संगठनों की सप्लाई लाइन काटने के लिए यह कदम उठाया गया है। दरअसल 1980 के दशक में अफगानिस्तान में सोवियत सेना के खिलाफ लड़ाई के लिए आतंकी पैदा करने में खैबर पख्तूनख्वाह इलाके में बड़े पैमाने पर मदरसे खोले गए थे। कभी पाकिस्तान रणनीति का अहम हिस्सा माने जाने वाले यह मदरसे अब उसकी ही गले की फांस बन गए हैं। यहां तक कि मदरसों की पहचान उनसे जुड़े आतंकी व कट्टरपंथी संगठनों के साथ जुड़ाव को लेकर होने लगी है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पूरे पाकिस्तान में फैले मदरसों से निकलने वाले छात्र आतंकवादी संगठनों और कट्टरपंथी जमातों की लाइफ लाइन बन गए हैं। पिछले दिनों इस्लामाबाद में कट्टरपंथी जमातों के घटने के कारण भड़की हिंसा और उसकी मांग के आगे झुकते हुए कानून मंत्री के इस्तीफे के बाद पाकिस्तान में मदरसों पर शिकंजा कसने की मांग तेज हो गई थी। ध्यान देने की बात यह है कि खैबर पख्तूनख्वाह में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तानी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वाह सरकार ने सभी मदरसों को अब स्कूली शिक्षा विभाग में पंजीकरण कराने को कह दिया है। स्कूली शिक्षा विभाग ही अब इन मदरसों का पाठ्यक्रम तैयार करेगा और छात्रों की परीक्षा भी लेगा। इसके साथ ही स्कूली शिक्षा विभाग इन मदरसों की निगरानी भी करेगा। इधर वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि मदरसों में दी जा रही शिक्षा आज के माहौल के हिसाब से प्रासंगिक नहीं है और इसलिए वे देश में बेरोजगार युवाओं की संख्या को बढ़ाते हैं। रिजवी ने कहा कि मदरसों से पास होने वाले छात्रों को रोजगार मिलने की संभावना अभी काफी कम है और उन्हें अच्छी नौकरियां नहीं मिलतीं। अधिक से अधिक उन्हें उर्दू अनुवादकों या टाइपिस्टों की नौकरियां प्राप्त होती हैं। भाजपा ने कहा है कि केंद्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों की मदरसों को बंद करने की कोई योजना नहीं है। प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने दावा किया कि इसके बजाय सरकारें मदरसों में आधुनिक शिक्षा मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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