Friday 26 January 2018

जज लोया केस गंभीर ः हम चुप नहीं रह सकते

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बीएच लोया की मौत को लेकर कहा कि हम चुपचाप नहीं बैठ सकते। जज लोया की मौत से संबंधित याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों को गंभीर बताया। हालांकि शीर्ष अदालत ने मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम घसीटने के लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने संबंधित सभी दस्तावेजों को पूरी गंभीरता के साथ देखने का फैसला किया। न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के प्रति नाखुशी भी जाहिर की जब उन्होंने एक संभावित भावी आदेश का निष्कर्ष निकाला कि शीर्ष अदालत मामले में मीडिया पर अंकुश लगा सकती है। बता दें कि किस्सा क्या है? जज लोया मृत्यु से पहले सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले पर सुनवाई कर रहे थे। उनकी एक दिसम्बर 2014 को नागपुर में कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी, वह अपने सहकर्मी की बेटी की शादी में हिस्सा लेने के लिए नागपुर गए थे। साल 2014 में हुई लोया की मौत पर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ के पास लंबित दो अन्य याचिकाएं अपने पास स्थानांतरित कर लीं। बता दें कि चार सीनियर जजों ने पिछले दिनों चीफ जस्टिस पर जो आरोप लगाए थे, उनमें लोया केस की सुनवाई का मामला शामिल था। पीठ ने देश में सभी उच्च न्यायालयों के लोया की मौत से संबंधित किसी भी याचिका पर विचार करने पर भी रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि लोया की मृत्यु से जुड़े वे सारे दस्तावेज जो अभी तक दाखिल नहीं किए गए हैं, उनकी विवरणिका पेश करें। न्यायालय इन दस्तावेजों की सुनवाई अगली तारीख दो फरवरी को अवलोकन करेगा। जस्टिस चन्द्रचूड़ ने जस्टिस लोया की मौत को लेकर मीडिया रिपोर्टों का जिक्र करते हुए कहाöहम चुपचाप नहीं बैठ सकते। हमें रिकार्ड और मृत्यु से जुड़ी परिस्थितियों को देखना होगा। उनकी मृत्यु को प्राकृतिक बताया गया था लेकिन उसके बाद से मौत के कारणों को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। जस्टिस लोया की जगह आए सीबीआई जज ने शाह को बरी कर दिया था। जस्टिस लोया के भाई और बहन उनकी मृत्यु की जांच की मांग कर चुके हैं। हालांकि उनके बेटे ने हाल ही में कहा था कि वह जांच नहीं चाहते। इससे पहले इस मामले की सुनवाई से जस्टिस अरुण मिश्रा ने खुद को अलग कर लिया था। इस मामले में महाराष्ट्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के प्रतिवाद पर विचार के दौरान ही पीठ ने इस पर कड़ी आपत्ति करते हुए कहाöआज की स्थिति के अनुसार यह स्वाभाविक मृत्यु है। फिर आक्षेप मत लगाइए।

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