Sunday 21 January 2018

सकारात्मक संकेतों से सेंसेक्स में भारी उछाल

आर्थिक मोर्चे पर सकारात्मक संकेतों के चलते सेंसेक्स बुधवार को रिकार्ड 35000 अंक के आंकड़े के पार निकल गया। शेयर बाजार हालांकि पिछले कुछ दिनों से उड़ान भर रहा था, लेकिन मौजूदा वित्तवर्ष में अतिरिक्त उधारी का लक्ष्य 50,000 करोड़ से घटाकर 20,000 करोड़ करने की सरकार की घोषणा ने जैसे उसमें नई जान फूंक दी। विशेषज्ञों के मुताबिक इसके कई कारण हो सकते हैं। अतिरिक्त उधारी का 50 से घटकर 20 हजार करोड़ रुपए होने के कारण भी बाजार में तेजी आई। फिर जीएसटी-नोटबंदी से उभरते हुए औद्योगिक उत्पादन के बढ़ने से भी बाजार में यह उछाल आया है। वहीं टीसीएस, इंफोसिस आदि के बेहतर नतीजों के कारण भी बाजार रिकार्ड स्तर पर पहुंचा है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में तेजी से बढ़ते आर्थिक सुधारों से विदेशी के साथ घरेलू निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। ऐसे में कोई संदेह नहीं है कि 2018 के अंत तक 40 हजार के आंकड़े को छू सकता है। जबकि निफ्टी 12800 के अंक तक पहुंच सकता है। अप्रैल-मई तक सेंसेक्स 37 हजार और निफ्टी 11300 अंक तक जा सकता है। नोटबंदी और जीएसटी की व्यावहारिक परेशानियों का उद्योग व्यापार पर जो असर पड़ा था अब वह धीरे-धीरे कम हो रहा है। साथ ही सरकार जीएसटी को जरूरत अनुसार घटा रही है उससे भी बाजार में उत्साह है। औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोत्तरी और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बढ़ती बिक्री जैसे आंकड़ों से भी अर्थव्यवस्था के प्रति उम्मीद बढ़ी है। हालांकि शेयर बाजार पूरी अर्थव्यवस्था का आईना तो नहीं होता, भारत जैसे देशों में तो और नहीं, जहां सिर्फ 20 फीसदी आबादी की ही शेयर बाजार में मौजूदगी है। कृषि और रोजगार के मोर्चे पर स्थिति बहुत अनुकूल नहीं है और ऊपर जाती मुद्रास्फीति व कच्चे तेल में आ रही तेजी भी चिन्ता बढ़ाती है। लेकिन आर्थिक अनुशासन के मोर्चे पर सरकार के खरे उतरने और पिछले झटकों से उभरते हुए अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत की उम्मीद तो जगाते ही हैं। आर्थिक सुधारों के प्रति सरकार की दृढ़ता ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। इसके अलावा भाजपा को राज्यों में मिली सफलता और केंद्र में स्थिरता ने भी बाजार में भरोसा पैदा किया है। उछाल में आईटी सेक्टर की बेहतर परफार्मेंस भी एक कारण रहा है। 13 मई 2014 को सेंसेक्स 24069 था जो 2018 में बढ़कर 35081 हो गया।

-अनिल नरेन्द्र

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