Friday, 19 January 2018

मोदी सरकार का बड़ा फैसला ः हज सब्सिडी समाप्त

केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला करते हुए मुसलमानों को हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी समाप्त कर दी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि इस साल से हज पर कोई सब्सिडी नहीं होगी। नकवी ने कहा कि हज पर सब्सिडी की व्यवस्था खत्म होने के बावजूद वर्ष 2018 में 1.75 लाख भारतीय मुसलमान हज पर जाएंगे। सरकार हर साल 700 करोड़ रुपए हज यात्रा की सब्सिडी पर खर्च करती थी। यह पहली बार हुआ है कि हज यात्रियों की सब्सिडी हटाई गई है। हज पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म होनी ही थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में ही इसे 10 सालों में चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के आदेश दिए थे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह (सब्सिडी) माइनॉरिटी कम्युनिटी को लालच देना जैसा है और गवर्नमेंट को इस पॉलिसी को खत्म कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार धीरे-धीरे इस सब्सिडी को खत्म करे। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को 10 साल का वक्त दिया था, यानि 2022 तक सब्सिडी पूरी तरह से खत्म की जानी थी। इस आदेश का एक बड़ा आधार यह इस्लामी मान्यता बनी थी कि हज तो अपने पैसों से ही करना चाहिए। इसके अतिरिक्त एक पंथनिरपेक्ष देश में हज के लिए सब्सिडी का कोई औचित्य नहीं बनता था। अगर केंद्र सरकार ने तय अवधि से चार साल पहले ही हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला किया तो इसका मतलब है कि मुस्लिम समाज के शैक्षिक उत्थान के लिए जो पैसा 2022 से खर्च होना शुरू होता वह इसी साल से खर्च होने लगेगा। सरकार का कहना है कि यह फैसला अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण किए बगैर लिया गया है। इस फैसले से आमतौर पर मुसलमान खुश हैं। उनका कहना हैöसब्सिडी  नहीं रोजगार चाहिए, लेकिन जो पैसा बचाकर मुसलमान लड़कियों की एजुकेशन पर खर्च करने की बात की जा रही है, वो न की जाए, बल्कि देश की सभी लड़कियों की बात की जाए। नहीं तो यह तुष्टिकरण ही होगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला तो बहुत देर से हुआ। हज करने गरीब इंसान नहीं जाता और न हज उन पर वाजिब है बल्कि हज यात्रा करना उसी मुसलमान का फर्ज है जिसके पास खर्च के अलावा इतना पैसा है कि वो यात्रा कर सके। यह पैसा देश की गरीब जनता के हित में खर्च हो तो अच्छा है। एक मुसलमान का कहना था कि सब्सिडी मुसलमानों के साथ धोखा था। सच तो यह था कि एयर इंडिया को घाटे से उबारने के लिए सब्सिडी दी जाती थी। अब मुसलमान अच्छी और ज्यादा सहूलियत वाली फ्लाइट से सफर कर सकेंगे। दिल्ली वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े जामा मस्जिद निवासी कहते हैं कि जो मुसलमान हज करने जाता था, वो अब भी जाएगा। इससे मुसलमानों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। जहां डेढ़ लाख रुपए मुसलमान यात्रा पर खर्च कर सकता है वहां 10 हजार रुपए और भी खर्च कर सकता है। फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद कहते हैं कि खटारा जहाजों में सफर करके नुकसान उठाना पड़ रहा था। सब्सिडी के इस पैसे को बचाकर जो मुस्लिम लड़कियों पर खर्च करने की बात की जा रही है, वो न की जाए, बल्कि देश की सभी लड़कियों के लिए खर्च हो। हज के लिए सब्सिडी का कोई औचित्य नहीं बनता। हज यात्रियों को ऐसी कोई सुविधा इस्लामी देशों में भी नहीं दी जाती, लेकिन भारत में तुष्टिकरण की राजनीति के तहत ऐसा किया जाने लगा। निस्संदेह हज सब्सिडी  खत्म करने का यह मतलब नहीं कि हज यात्रियों को सुविधाएं देने अथवा उन्हें सस्ती यात्रा के विकल्प मुहैया कराने से मुंह मोड़ा जाए। अब पानी के जहाज से हज यात्रा की बात हो रही है। इसे सुनिश्चित करने के प्रयास होने चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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