Friday, 12 January 2018

शोधरत स्कॉलर मन्नान वानी बना आतंकी

अगर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में शोधरत स्कॉलर मन्नान बशीर वानी के आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल होने की खबर सही है तो यह बात चौंकाने वाली तो है ही साथ-साथ चिन्ता भी पैदा करती है। कुछ अनपढ़ अगर किसी मजबूरी के कारण आतंकवाद का सहारा लेता तो बात समझ भी आती है, पर शोध स्कॉलर आतंक के रास्ते पर चला जाए यह चौंकाने वाली बात जरूर है। अब पहले वाली धारणा कमजोर होती जा रही है कि गरीब, कम पढ़ा-लिखा या बेरोजगार युवा ही जेहादी प्रोपेगंडा का शिकार होता है और आतंकी बनता है। यही ही नहीं, हमने कई आतंकी ऐसे देखे हैं जो न केवल उच्च शिक्षित थे बल्कि कई तो इंजीनियर और डाक्टरी पेशे में थे। हिजबुल का आतंकी रहा बुरहान वानी भी एएमयू से रिसर्च कर रहा था। श्रीनगर में एक समाचार एजेंसी को सोमवार को दिए बयान में हिजबुल के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन ने कहा कि मन्नान वानी का हमारे संगठन में शामिल होना भारतीय प्रचार की पोल खोलता है कि कश्मीरी युवा बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के कारण आतंकवादी संगठन में शामिल होता है। उर्दू में दिए गए बयान में सलाउद्दीन ने वानी के हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल होने की पुष्टि करते हुए कहा कि कई सालों से शिक्षित और योग्य कश्मीरी युवा हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो रहे हैं। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के लोवाब इलाके का रहने वाला वानी पिछले हफ्ते से लापता हो गया था। उसे छह जनवरी को घर लौटना था। सोशल मीडिया पर एके-47 राइफल के साथ उसकी तस्वीर सामने आने के बाद खबरें आ रही थीं कि शायद वह आतंकी संगठन में शामिल हो गया है जिसके बाद एएमयू ने 26 वर्षीय इस शोध छात्र को निष्कासित कर दिया था। हिजबुल का आतंकी रहा बुरहान वानी भी एएमयू से रिसर्च कर रहा था। वैसे आतंक के खूनी चक्रव्यूह में सिर्फ भारत के बच्चे ही नहीं फंसे हैं बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन और आश्चर्यजनक ढंग से पड़ोसी बांग्लादेश के युवा भी हैं। पिछले साल 2016 में ढाका के एक रेस्तरां में मार गिराए गए आतंकियों में सभी रईस घरों के और शरीफ बच्चे थे। अमेरिकी जांच एजेंसी के मुताबिक अमेरिका पर 9/11 हमले में शामिल दो-तिहाई आतंकी शिक्षित थे। आंकड़ों पर भरोसा करें तो विश्वभर में करीब 62 फीसद आतंकी न केवल शिक्षित हैं बल्कि उनकी फैमिली बैकग्राउंड भी काफी अच्छी है। सुरक्षा महकमे की एक बड़ी चुनौती सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की भी है जहां से युवा आतंक के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

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