Tuesday 9 January 2018

क्या कायम रहेंगे ट्रंप के पाक विरोधी तेवर?

नए साल के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए उस पर झूठ और छल का आरोप लगाते हुए कहा था कि अब उसे और मदद नहीं दी जाएगी। इसके ठीक चार दिन बाद अमेरिका ने इस नीति पर अपने कदम बढ़ाते हुए पाकिस्तान को दी जाने वाली सभी सुरक्षा सहायताओं को बंद कर दिया। अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया है कि इस्लामाबाद जब तक अफगान, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कदम नहीं उठाता है, तब तक यह मदद नहीं दी जाएगी। ट्रंप की फटकार के तुरन्त बाद अमेरिका ने पाक को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता को बंद करने का ऐलान कर दिया। पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान को लेकर अमेरिका का रवैया नरम रहा है और वह इसे आर्थिक मदद भी धमकियों के बावजूद देता रहा है। लेकिन ट्रंप के मूड से लग रहा है कि यह नीति बदल रही है। ट्रंप का कहना है कि बीते वर्षों में पाकिस्तान को अरबों डॉलर की मदद देना बेवकूफी थी और इसके बदले में उन्हें पाकिस्तान की तरफ से धोखे के सिवाय कुछ नहीं मिला। लेकिन ऐसा क्यों है कि कभी पाकिस्तान को भारी-भरकम आर्थिक मदद देने वाला अमेरिका, अचानक उसमें इतनी बेरुखी दिखा रहा है? इस बारे में पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों पर नजर रखने वाले अमेरिका के जॉन हापकिन्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डेनियल मार्को ने बीबीसी को बताया। मार्को कहते हैं कि ट्रंप के हालिया बयानों से ऐसा लगता है कि पाकिस्तान को लेकर अमेरिका का रवैया अब ज्यादा सख्त हो गया है। उन्होंने कहाöइससे पहले के राष्ट्रपतियों जैसे बराक ओबामा और जॉर्ज बुश को लगता था कि पाकिस्तान को फंडिंग देने से फायदा होगा लेकिन अब पाकिस्तान को पुचकारने की बजाय डंडा दिखाया जाने लगा है। अमेरिका अब पाक को दी जाने वाली साढ़े 25 करोड़ डॉलर की सैनिक मदद रोक रहा है जो फैसला अब तक टलता आ रहा था। मार्को का अनुमान है कि आने वाले वक्त में अमेरिका के फैसलों में और सख्ती आ सकती है। मसलन आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) जैसे संगठनों से अंतर्राष्ट्रीय कर्ज के लिए समर्थन देने से पीछे हट सकता है। बेशक अमेरिका को भी पाकिस्तान की जरूरत है क्योंकि अफगानिस्तान में उसके सैनिक हैं और उनके आने-जाने के लिए दुनिया के नक्शे पर ज्यादा रास्ते नहीं हैं। ईरान बंद है और मध्य एशिया में रूस के साथ भी अमेरिका के संबंध अच्छे नहीं हैं। ऐसे में पाकिस्तान से होकर जाना ही एकमात्र विकल्प है। अमेरिका के लिए पाकिस्तान के अपने फायदे हैं। दूसरी बात यह कि पाकिस्तान परमाणु शक्ति-सम्पन्न देश है जिसे हल्के से नहीं  लिया जा सकता है। ऐसा भी नहीं है कि पाकिस्तान एकदम अकेला है। चीन उसका पुराना साथी है जो उसे अरबों डॉलर की मदद देता आ रहा है। अमेरिका द्वारा आर्थिक मदद बंद करने से पाकिस्तान पर असर होने के बहुत कम आसार हैं। क्योंकि पाक को अब भी लगता है कि अफगानिस्तान उसके लिए भी बेहद अहम है। कड़े रवैये के साथ अमेरिका बगैर पाक मदद के अफगानिस्तान में लंबे समय तक फंसा रहेगा। मदद रुकने के बाद भी पाकिस्तान ऐंठ रहा है। इसकी मुख्य रूप से दो वजह हैं। पहली, नए दोस्त चीन का बड़ा निवेश। पिछले एक साल में चीन ने 6500 करोड़ रुपए का निवेश पाकिस्तान में किया है। दूसरा, 2014 से अमेरिकी मदद का लगातार होना। मदद के रूप में मिले अमेरिकी पैसे पाक को लौटाने नहीं होते हैं। इसके बदले में पाक शम्सी एयरफील्ड और दल बांपिन एयरबेस का उपयोग अमेरिका और नाटो सेना को करने देता है।

-अनिल नरेन्द्र

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