Wednesday, 10 January 2018

आधार डेटा में सेंध मामले में केस दर्ज?

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक अरब से अधिक आधार कार्ड का ब्यौरा चोरी होने की खबर को लेकर यूआईडीएआई की ओर से द ट्रिब्यून अखबार के संवाददाता के खिलाफ दर्ज कराई गई एक प्राथमिकी वापस लेने की मांग की है। साथ ही गिल्ड ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। प्राथमिकी दर्ज किए जाने की आलोचना करते हुए गिल्ड ने कहा कि वह इन खबरों को लेकर बहुत चिंतित है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के उपनिदेशक बीएम पटनायक ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में द ट्रिब्यून अखबार पर एक प्राथमिकी दर्ज कराई है। अखबार की संवाददाता रचना खैरा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 468, 471 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम व आधार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के मुताबिक पटनायक ने पुलिस को सूचना दी थी कि द ट्रिब्यून अखबार से यह जानकारी मिली कि इसने वाट्सएप पर अज्ञात विक्रेताओं द्वारा पेश की गई एक सेवा खरीदी, जिसमें एक अरब से अधिक आधार नम्बरों पर निर्बाध पहुंच दी गई थी। पुलिस ने बताया कि प्राथमिकी में पत्रकार और उन लोगों के नाम हैं जिनसे संवाददाता ने आधार डेटा खरीदने के लिए सम्पर्क किया था लेकिन उन्हें आरोपी के तौर पर नहीं दिखाया गया है। गिल्ड ने कहा कि संवाददाता को दंडित करने की बजाय यूआईडीएआई को कथित उल्लंघन की एक गहन आंतरिक जांच का आदेश देना चाहिए और इसके नतीजे सार्वजनिक करने चाहिए। गिल्ड ने कहा कि वह मांग करती है कि संबंधित केंद्रीय मंत्रालय इसमें हस्तक्षेप करे, अखबार पर से मामला वापस लिया जाए और मामले की एक निष्पक्ष जांच कराई जाए। गिल्ड ने कहा कि एक पत्रकार की तीन जनवरी की द ट्रिब्यून की खबर में यह खुलासा हुआ था कि किस तरह से एक पेमेंट बैंक को महज कुछ रुपए का भुगतान किए जाने पर एक निजी ग्रुप का एक एजेंट किसी व्यक्ति के आधार कार्ड में मौजूद ब्यौरे तक पहुंच का कथित तौर पर रास्ता बनाता है। गिल्ड ने कहा कि यूआईडीएआई ने एक बयान में किसी तरह की डेटा चोरी होने की संभावना से इंकार किया है। कांग्रेस ने भी आधार कार्ड से संबंधित आंकड़े कथित रूप में बिकने वाली खबर चलाने पर पत्रकार के खिलाफ एफआईआर की निन्दा की है। पार्टी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है कि आधार का इस्तेमाल निगरानी और जासूसी के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता शोभा झा ने कहा कि आधार कार्ड की परिकल्पना मूल रूप से गरीबों को उनका हक देने के लिए की गई थी। इससे संबंधित योजनाओं का मकसद गरीबों की मदद करना था, जो अब नहीं है। मोदी सरकार की जिद के कारण आधार अपने मूल मकसद से हटता जा रहा है। यह नहीं भूलना चाहिए कि जब प्रधानमंत्री गुजरात के सीएम थे तो वो आधार कार्ड को सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताते थे, लेकिन पीएम बनने के बाद उन्होंने इससे संबंधित सभी खबरों को अनदेखा कर दिया है। उधर द ट्रिब्यून अखबार की पत्रकार रचना खैरा ने रविवार को कहा कि वे इस बात से खुश हैं कि उन्होंने एफआईआर अर्जित की है। इस प्राथमिकी के बाद द ट्रिब्यून ने कहा कि अधिकारियों ने ईमानदारी से पत्रकारिता करने वाले संस्थान को गलत समझा। अखबार के प्रधान संपादक हरीश खरे ने एक बयान जारी कर कहा कि अखबार जिम्मेदार पत्रकारिता के अनुसार खबरों का प्रकाशन करता है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात का खेद है कि अधिकारियों ने ईमानदार पत्रकारिता करने वाले संगठन को गलत तरीके से लिया और पर्दाफाश करने वालों के खिलाफ ही आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी। खरे ने कहा कि मेरे सहकर्मी और मैं खुद मीडिया संगठनों और पत्रकारों की ओर से दिखाई जा रही एकजुटता को लेकर उनका आभारी हूं। चंडीगढ़ मीडिया से नहीं बल्कि दिल्ली मीडिया और यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया से मुझे समर्थन का आश्वासन दिया गया है।

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