Thursday 11 January 2018

साल के शुरुआत में ही मोदी-शाह का इम्तिहान

देश की सबसे ताकतवर सियासी जोड़ी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को नए साल की शुरुआत में ही बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा। इस जोड़ी के सामने फरवरी में लोकसभा की 8 सीटों के उपचुनाव और कर्नाटक विधानसभा चुनाव की अग्निपरीक्षा होगी। वर्ष 2017 ने जाते-जाते पार्टी की साख में इजाफा करने के साथ ही चुनौतियों के प्रति आगाह भी किया। हिमाचल में कांग्रेस से सत्ता छिनने के साथ ही पार्टी ने गुजरात में लगातार छठी बार जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में भी पार्टी की जीत हुई लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों ने 2019 के लोकसभा चुनाव में ग्रामीण भारत से चुनौती मिलने का साफ संदेश दिया। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है। भाजपा अगर इस सूबे को कांग्रेस मुक्त कर पाई तो गुजरात चुनाव से बदली कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि पुरानी स्थिति में पहुंच जाएगी। नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आने से राहुल और दमदार नेता बनकर उभरेंगे। नए साल की शुरुआत नार्थ-ईस्ट की तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से होने जा रही है। इन तीनों राज्यों में बीजेपी पहली बार सत्ता पाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी नार्थ-ईस्ट के अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए अभी से पुरजोर कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस की कोशिश इस बढ़त को कम करना है। इस चुनाव के तुरंत बाद फोकस कर्नाटक पर चला जाएगा। कांग्रेस के जिम्मे अब पंजाब के बाद सिर्फ कर्नाटक बड़ा राज्य बचा है। कर्नाटक में अभी से सियासत गर्म है। भाजपा अमित शाह और येfिदयुरप्पा के नेतृत्व में विकास यात्रा निकाल चुकी है जबकि कांग्रेस भी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। कर्नाटक को दक्षिण में एंट्रीगेट माना जा रहा है। बीजेपी 2019 आम चुनाव से पहले हर हाल में इस राज्य को जीतना चाहेगी। इस चुनाव के बाद कुछ महीनों तक शांति रहेगी। लेकिन इसके बाद सबसे बड़ी जंग शुरू होगी। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव होने है। मिजोरम को छोड़ बाकी तीन राज्यों में बीजेपी लंबे समय से सत्ता में है। जानकारों के अनुसार इन चुनावों के परिणाम 2019 आम चुनाव की गति को अंतिम तौर पर सेट करेंगे। जनवरी में 7 लोकसभा और 14 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। 2014 के बाद पहली बार एक साथ इतनी लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। आम चुनाव से लगभग सवा साल पहले होने वाले लोकसभा सीटों का उपचुनाव का बड़ा सियासी महत्व होगा।

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