Tuesday 30 January 2018

कासगंज हिंसा का जिम्मेदार कौन?

जो तिरंगा हमारे देश की एकता, अखंडता और अनेकता में एकता का गौरवमय प्रतीक है जब उसे ही लेकर टकराव और हिंसा हो तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। कासगंज में ऐसा ही हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा में चन्दन गुप्ता पुत्र सुशील कुमार की मौत हो गई। सुबह 7.30 पर भारी पुलिस फोर्स के साथ उसके शव को काली नदी पर अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे लोगों ने जमकर भारत माता की जय और वंदेमातरम के नारे लगाए। अंत्योष्टि के बाद जब लोग वापस लौट रहे थे तो उनमें भारी आक्रोश था। इसके बाद शहर में हिंसा भड़क गई। शहर के नदरई गेट पर उपद्रवियों ने दो बसें व कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया। गणतंत्र दिवस पर कुछ बाइक सवार तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे। उनकी जिद थी कि यात्रा उसी सड़क से निकलेगी तो दूसरी ओर ध्वजारोहण कार्यक्रम सम्पन्न करने की मोहलत चाहिए थी। तनातनी बढ़ने की और भी वजहें बताई जा रही हैं। कासगंज में जो हुआ, वह क्या सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था या आकस्मिक, इस बारे में तस्वीर धीरे-धीरे साफ होने लगी है। हिंसा को लेकर शासन को भेजी गई खुफिया रिपोर्ट में बवाल के लिए कुछ विपक्षी नेताओं की ओर इशारा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार चन्दन गुप्ता के हत्यारोपियों को स्थानीय नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। दूसरी ओर प्रशासनिक नाकामी पर शासन ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। वहां हिंसा करने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी। कासगंज में पहले से ही तनाव रहा होगा जो गणतंत्र दिवस पर सामने आ गया। सवाल यह है कि कासगंज प्रशासन क्या कर रहा था? क्या उन्हें अंदरखाते तनाव, तैयारी का पता नहीं चला? अगर प्रशासन पहले ही एहतियातन कदम उठा चुका होता तो शायद इस हिंसा से बचा जा सकता था। प्रशासन संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर तिरंगा यात्रा का रूट बदलवा सकता था या फिर ध्वजारोहण कार्यक्रम को ही कहीं और करने को कह सकता था। लेकिन अफसोस। प्रशासन अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने में नाकाम रहा, राजनीतिक दलों ने अपना दायित्व नहीं निभाया। नतीजा यह हुआ कि कुछ बेकसूर लोगों की जान चली गई और सार्वजनिक निजी सम्पत्तियों को आग के हवाले कर दिया गया। उम्मीद करते हैं कि सरकार और प्रशासन इस आग को दूसरे इलाकों में फैलने से रोके, कासगंज में शांति बहाली के लिए शरारती तत्वों पर अंकुश लगाए। सवाल यह भी उठता है कि आखिर कासगंज हिंसा का जिम्मेदार कौन है?

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