Thursday 18 January 2018

उपचुनाव में वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा दांव पर

वर्ष 2019 में होने वाले आम चुनाव और अगले साल प्रस्तावित राजस्थान विधानसभा चुनाव के संग्राम से पहले प्रदेश की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट के लिए 29 जनवरी को होने वाले उपचुनाव में सत्ताधारी भाजपा और मुख्य प्रतिपक्षी कांग्रेस की अग्नि परीक्षा होगी। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस तीनों उपचुनाव जीतने के दावे कर रही है, लेकिन दावों की असलियत एक फरवरी को चुनाव परिणाम बताएंगे। यूं तो तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार का घमासान शुरू हो चुका है और 16 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की बाड़मेर में पचपदरा में रिफाइनरी परियोजना के कार्य आरंभ करने के बाद इसमें तेजी आई है। मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे ने तीनों सीटों पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखने के लिए चुनाव की औपचारिक घोषणा से पहले ही तीनों क्षेत्रों में धुंआधार दौरे कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने का प्रयास किया है। उधर कांग्रेस ने धौलपुर के उपचुनाव में मिली करारी पराजय से सबक लेते हुए उम्मीदवारों की घोषणा में अलवर संसदीय सीट से पूर्व सांसद डा. करण सिंह यादव को चुनाव में उतार कर बढ़त अवश्य ले ली थी लेकिन बाद में दोनों निर्वाचन क्षेत्र अजमेर, माडलगढ़ में वह भाजपा से पिछड़ गई। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने तीनों उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत का दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा किए गए विकास के कारण भाजपा भारी बहुमत से जीतेगी साथ ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा फिर सरकार बनाएगी, दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने परनामी के दावों को खोखला बताते हुए कहा कि प्रदेश की जनता अगले होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार की विदाई करेगी और इसकी उलटी गिनती उपचुनाव से शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एकजुटता से चुनाव में जुट गई है और तीनों उपचुनाव जीतेगी। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि चुनाव प्रचार आरंभ हो चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट व अन्य नेता चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। भाजपा केंद्र और राज्य सरकार की विकास परियोजनाओं, फ्लैगशिप योजनाओं के बल पर तीनों सीटें जीतेगी, जबकि कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था, बेरोजगारी और किसानों की अनदेखी के विरोध में तीनों क्षेत्रों के मतदाता भाजपा के खिलाफ मतदान करेंगे। यह उपचुनाव मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए एक तरह से प्रतिष्ठा का प्रश्न हो गया है क्योंकि अगले साल विधानसभा परिणाम इससे प्रभावित हो सकते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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