Friday, 8 February 2019

अमेरिका में वीजा घोटाले में फंसे 129 भारतीय छात्र

अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र शिक्षा प्राप्त करते हैं। पिछले वर्ष 1.96 लाख भारतीय छात्रों ने विभिन्न अमेरिकी विश्वविद्यालयों में एडमिशन लिया था। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने अवैध रूप से रहने के लिए छात्रों का गलत तरीके से एडमिशन कराने वाले रैकेट पर लगाम लगाने के उद्देश्य से फर्मिंगटन विश्वविद्यालय के नाम से एक फर्जी विश्वविद्यालय गठित कर रखा था। अमेरिका में बने रहने के लिए एक फर्जी विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के मामले में गिरफ्तार किए गए 129 भारतीयों समेत सभी 130 विदेशी छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आव्रजन एवं सीमा शुल्क के अधिकारियों ने बुधवार को यह गिरफ्तारियां कीं। `पे एंड स्टे' गिरोह का भंडाफोड़ करने के लिए ग्रेटर डेट्रॉइट इलाके में अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) की जांच इकाई ने फर्जी यूनिवर्सिटी ऑफ फर्मिंगटन में दाखिला लेने वाले सभी लोगों को पता था कि इसके शिक्षक नहीं हैं और न ही इसकी कोई कक्षाएं होती हैं। उन्हें यह भी पता था कि वह अमेरिका में अवैध तरीके से रहने के लिए अपराध कर रहे हैं। भारत ने गिरफ्तार किए गए छात्रों तक राजनयिक पहुंच की मांग भी की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह मामले पर नजर बनाए रखे हुए है। आव्रजन घोटाले का पता लगाने के लिए गृह विभाग ने डेट्रॉइट फर्मिंगटन हिल्स में एक फर्जी यूनिवर्सिटी बनाई। विदेशी छात्रों ने फर्जी यूनिवर्सिटी में इसलिए दाखिला लिया ताकि वह गलत तरीके से छात्र वीजा हासिल कर सकें। इस बीच पे एंड स्टे मामले में गिरफ्तार आठ भारतीयों को मिशिगन की एक संघीय अदालत में पेश किया गया, जहां उन्होंने खुद को निर्दोष बताया। पाणीदीप करमाती, भरतकाकी रेड्डी, सुरेश कंडाला, प्रेम राम पीसा, संतोष सामा, अविनाश थक्कलापल्ली, अश्वंत नूणे और नवीन प्रतिपति को मिशिगन पूर्वी जिले में न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया। करनानी के वकील जॉन डब्ल्यू ब्रस्टार ने कहा कि सभी ने खुद को निर्दोष बताया है। वकीलों ने बताया कि 130 लोगों ने न्यूजर्सी अटलांटा, ह्यूस्टन, मिशिगन, कैलीफोर्निया, लूइसियाना, नॉर्थ कैरोलिना और सेंट लूई से गिरफ्तार किया गया। सभी छात्र वीजा पर वैध तरीके से अमेरिका गए थे और उन्हें फर्मिंगटन यूनिवर्सिटी में दाखिला दिया गया। अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास सामुदायिक नेताओं के जरिये छात्रों की मदद करने की हर संभव कोशिश कर रहा है। कानूनी सहायता भी ली जा रही है। रसूखदार भारतीय अमेरिकी और मीडिया संस्थान भी सरकार के इस तरह से छात्रों को गिरफ्तार करने पर सवाल उठा रहे हैं। अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा है कि सभी छात्रों को यह अच्छे से पता था कि फर्मिंगटन यूनिवर्सिटी में न तो कोई पढ़ाने वाला है और न ही कोई ऑनलाइन अध्ययन सुविधा। इन सब ने अमेरिका रहने के लिए यह अपराध किया है। भारतीय छात्रों की गिरफ्तारी के मामले में प्रतिष्ठित भारतवंशी वकील अनु पेशावरिया ने ट्रंप सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने गृह मंत्रालय पर जानबूझ कर फर्जी विश्वविद्यालय बनाने और दूसरे देश के छात्रों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। कैलिफोर्निया में प्रवासी मामलों की वकील अनु ने कहा कि अमेरिकी सरकार के इस अभियान का सैकड़ों भारतीय छात्रों पर बुरा असर पड़ेगा। हम यह नहीं कह रहे कि हमारे छात्रों की गलती नहीं है। इन्हें यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने से पहले पूरी छानबीन कर लेनी चाहिए थी। अगर जानबूझ कर गलती की है तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए, लेकिन यदि उन्हें फंसाया गया है या अपराध करने के लिए बढ़ावा दिया गया है तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए।

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