Tuesday 5 February 2019

हिटलर बनाम मुसोलिनी

अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड ने गुरुवार को नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की एक लीक रिपोर्ट के हवाले से एक सनसनीखेज खबर छापी है। इसमें बताया गया है कि नोटबंदी के बाद वित्त वर्ष 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है जो 45 साल में सबसे ज्यादा है। इससे पहले 1972-73 में बेरोजगारी दर इतनी ही ऊंची थी। बेरोजगारी के आंकड़ों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा तो शाम होते-होते नीति आयोग बचाव में उतर आया। आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने एक प्रेस कांफ्रेंस में रिपोर्ट खारिज करते हुए कहा कि यह फाइनल डेटा नहीं है, बल्कि ड्राफ्ट रिपोर्ट है। सरकार ने नौकरियों पर कोई डेटा जारी नहीं किया है। मीडिया रिपोर्ट पर टिप्पणी से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि मार्च के अंत तक तिमाही आधारित डेटा एकत्रित करके सरकार नौकरियों पर रिपोर्ट जारी करेगी। बेरोजगारी बढ़ने के दावे खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि बिना रोजगार के औसत वृद्धि दर सात प्रतिशत कैसे हो सकती है? वहीं आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि देश में नए रोजगार पर्याप्त पैदा हो रहे हैं लेकिन शायद हम उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार पैदा नहीं कर पा रहे। अखबार का दावा है कि यह रिपोर्ट एनएसएसओ के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की है। इसके अनुसार शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या काफी गंभीर है। बेरोजगारी दर शहरों में 7.8 प्रतिशत जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 5.3 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2011-12 में बेरोजगारी की दर 2.2 प्रतिशत थी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सेंटर फॉर मानीटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने कहा था कि नोटबंदी के तुरन्त बाद 2017 के शुरुआती नौ महीनों में 15 लाख नौकरियां गईं। एनएसएसओ की यह रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण है। यह जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच जुटाए गए डेटा पर आधारित है यानि यह नोटबंदी के बाद का पहला आधिकारिक सर्वेक्षण है। सरकार पर यही रिपोर्ट दबाने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष सहित दो सदस्यों ने पिछले हफ्ते इस्तीफा दिया था। उनका कहना था कि रिपोर्ट को आयोग की मंजूरी मिलने के बाद भी सरकार जारी नहीं कर रही। यह रिपोर्ट दिसम्बर 2018 में जारी की जानी थी। बेरोजगारी के आंकड़ों पर जुबानी जंग में कांग्रेस और भाजपा ने जर्मनी और इटली के तानाशाहों को भी घसीट लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने जर्मन शब्द चूहा का इस्तेमाल किया। यह शब्द जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर के लिए इस्तेमाल होता है। जवाब में भाजपा ने राहुल को इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी जैसा अदूरदर्शी बता दिया। इधर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद प्रमुख देब राय ने कहा कि रोजगार पर नया सर्वेक्षण होगा। होना भी चाहिए क्योंकि अगर एनएसएसओ की रिपोर्ट सही है तो यह अत्यंत गंभीर समस्या है। रोजगार बढ़ने की बजाय घटते ही जा रहे हैं। पिछले 45 साल में सबसे ऊंचे स्तर पर अगर है तो यह देश के लिए निहायत चिन्ताजनक और खतरनाक है। इतने युवा अगर बेरोजगार होंगे तो हम टाइम बम पर बैठे हैं और कभी भी विस्फोट हो सकता है।

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