Wednesday 6 February 2019

वाड्रा दोषी हैं या सियासी बदले की भावना में फंसे शिकार?

श्रीमती सोनिया गांधी के दामाद और पियंका के पति राबर्ट वाड्रा पर पवर्तन निदेशालय का शिकंजा कसता जा रहा है। धन संशोधन के एक मामले में राबर्ट वाड्रा को 16 फरवरी तक के लिए अग्रिम जमानत मिल गई है। पटियाला हाउस स्थित कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने मनी लान्ड्रिंग केस में वाड्रा को अंतरिम जमानत पर सुनवाई करते हुए उन्हें फिलहाल कुछ दिनों की राहत दे दी है। वाड्रा की तरफ से पेश हुए वकील केटीएस तुलसी ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे। लेकिन आशंका है कि जांच एजेंसियां उन्हें गिरफ्तार कर सकती हैं। ऐसे में याची गिरफ्तारी से संरक्षण चाहता है। वाड्रा ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में कहा कि उनके साथ अनुचित, अन्यायपूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण आपराधिक अभियोग चलाया जा रहा है जो पूरी तरह राजनीति से पेरित है। इसमें कहा गया है कि याची के कार्यालय में ईडी ने सात दिसंबर 2018 को छापेमारी की। उनकी आजादी को जांच एजेंसी के द्वारा बाधित करने की कोशिश की जा रही है। विशेष अदालत ने वाड्रा की अग्रिम जमानत की दरख्वास्त मंजूर करते हुए हालांकि यह निर्देश भी दिया कि उन्हें 6 फरवरी को ईडी के समक्ष पेश होना होगा। 2009 में एक पेट्रोलियम सौदे की जांच करते हुए पवर्तन निदेशालय ने वाड्रा के सहयोगी मनोज अरोड़ा पर लंदन की संपत्ति को लेकर मुकदमा दर्ज किया था। उनके अनुसार लंदन में कम से कम 6 फ्लैट ऐसे हैं जिनका संबंध वाड्रा से है। लेकिन यह उनके नाम से नहीं हैं। इसमें एक फ्लैट के संबंध में पवर्तन निदेशालय का कहना है कि 19 लाख पाउंड यानी 16 करोड़ 80 लाख रुपए में यह फ्लैट हथियार व्यापारी संजय भंडारी से खरीदा गया। संजय भंडारी ने इतने में ही फ्लैट खरीदा था और उस पर अतिरिक्त 60 लाख 80 हजार रुपए खर्च किए थे। पश्न यह है कि अतिरिक्त खर्च करने के बावजूद पूर्व कीमत में मकान क्यों बेचा गया? यह मामला जितना जटिल है इसका अनुमान इसी से लगाया जाएगा कि पवर्तन निदेशालय भगोड़े हथियार व्यापारी भंडारी के खिलाफ काला धन से संबंधित नए कानून व कर कानून के तहत जांच कर रहा था, जिसमें आयकर विभाग भी शामिल था। इससे पूर्व जोधपुर उच्च न्यायालय भी वाड्रा को पवर्तन निदेशालय के सामने बीकानेर भूमि मामले में पेश होने का आदेश दे चुका है। उसमें उनको जमानत नहीं मिली है। इस तरह देखें तो राबर्ट वाड्रा को चारों तरफ से घेरने की पूरी कोशिश की जा रही है। महज आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो जाता। वाड्रा इतने बड़े राजनीतिक परिवार से जुड़े हैं कि उनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई और वह भी चुनाव से ऐन वक्त पहले इसे सियासी करार दिया जा सकता है। दूसरी ओर अगर वाड्रा के खिलाफ पूरे सुबूत हैं तो उनका बड़े राजनीतिक परिवार से संबंध होने के कारण वह कानूनी कार्रवाई से बच भी नहीं सकते। मामला इसलिए भी संवेदनशील बन जाता है कि कांग्रेस व तमाम विपक्ष का आरोप है कि सरकार इन जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।


No comments:

Post a Comment