उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली
शराब ने एक बार फिर हड़कंप मचा दिया है। इन दोनों राज्यों में पिछले तीन दिनों में
शनिवार तक कुल 98 लोगों की मौत हो चुकी है। जहरीली
शराब से अकेले सहारनपुर में 35 और इलाज के दौरान मेरठ में
18 मौतें हुईं। हरिद्वार में 34 और कुशीनगर में
11 लोग मारे गए हैं। मरने वाले ज्यादातर वह लोग हैं, जिन्होंने हरिद्वार के बालूपुर गांव में एक कार्यक्रम के दौरान शराब पी थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने लापरवाही बरतने के कारण सहारनपुर के पुलिस और आबकारी विभाग के
15 कर्मियों को निलंबित कर दिया है। कुशीनगर में 46 पुलिस वालों को लाइन हाजिर किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने भी आबकारी विभाग
के 13 कर्मचारी और चार पुलिस कर्मियों को निलंबित करने के आदेश
दिए हैं। लाख कोशिशों के बाद भी अवैध शराब के धंधे पर लगाम न लग पाने से एक बार फिर
यह पता चलता है कि शराब बिक्री के अवैध कारोबार से किस तरह राज्य सरकारें आंखें मूंदें
रहती हैं। इससे बड़ी विडंबना और कोई नहीं कि जहरीली शराब से दर्जनों लोग मर जाएं और
फिर भी पुलिस-प्रशासन यह बताने की स्थिति में नहीं हो कि कितने
लोग किसकी लापरवाही से काल के गाल में समा गए? सहारनपुर कांड
में मरने वालों की संख्या को लेकर शनिवार को दिनभर गहमागहमी रही। एक सूची सहारनपुर
जिला प्रशासन ने दी तो दूसरी सूची जिला अस्पताल से जारी हुई। दोनों में मरने वालों
की संख्या 46 और 52 बताई गई। देर शाम प्रशासन
ने दोनों सूचियों को गलत बता दिया। सवाल यह है कि सूची बनाने में लापरवाही बरती गई
या फिर पुलिस-प्रशासन कुछ छिपा रहा है? शनिवार सहारनपुर प्रशासन द्वारा जारी की गई मृतकों की संख्या वाली सूची में
46 लोगों के नाम दिए गए। इनमें मरने वाले देवबंद थाना क्षेत्र के आठ,
नांगल क्षेत्र के 22 और गणलहेड़ी क्षेत्र में
16 बताए गए। यह शराब बिक्री के तंत्र के नियमन की कमी का दुष्परिणाम
है जिसके चलते मिलावटी शराब का धंधा बिना किसी रोकटोक से फलता-फूलता है। इस तरह के धंधे में लिप्त लोग जब-जब ज्यादा
कमाई के लालच में आते हैं, तब-तब लाशों
के ढेर लग जाते हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों ही राज्यों में अवैध शराब का
धंधा मनमाने तरीके से चल रहा है। राज्य सरकारें अवैध शराब के धंधे को न रोक पाने की
बड़ी वजह है राजनीतिक एवं प्रशासनिक इच्छाशक्ति का अभाव। यही कारण है कि देश के किसी
न किसी हिस्से से जहरीली शराब में मौतों के समाचार आते ही रहते हैं। इस तरह से शराब
बनाने-बेचने का धंधा तब तक बंद नहीं होने वाला जब तक इस धंधे
के मूल कारणों का निवारण नहीं किया जाएगा। आखिर यह समझना कठिन है कि मौत के इस धंधे
को बंद करने में कोताही का परिचय क्यों दिया जाता है? उत्तर प्रदेश
के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कच्ची शराब से हुई मौतों पर सपा की साजिश
की आशंका व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पूर्व में बाराबंकी, हरदोई, आजमगढ़, कानपुर में जैसी
साजिश हुई थी, वैसा हुआ तो इसे अंजाम देने वाले व्यक्तियों के
खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। दुख से कहना पड़ता है कि तमाम आश्वासनों के बावजूद ऐसी मौतों
पर नियंत्रण लगे, हमें नहीं लगता। यह सिलसिला दुर्भाग्य से चलता
रहेगा।
-अनिल नरेन्द्र
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