Tuesday 5 February 2019

संगम तट पर धर्म संसद में धर्म संकट

प्रयागराज संगम तट पर पुंभ के बहाने राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे को हवा देने की कोशिश के तहत आयोजित विश्व हिन्दू परिषद की धर्म संसद में तब धर्म संकट खड़ा हो गया जब धर्म संसद के दूसरे दिन शुक्रवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कह दिया कि अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर समय निर्णायक मोड़ में है। उन्होंने कहाöमैं समझता हूं कि चार-छह महीने (चुनावी वक्त) की उथल-पुथल में कुछ हुआ तो ठीक वरना उसके बाद तो कुछ जरूर होगा। मंदिर एक दो साल में बनेगा। मंदिर निर्माण की तारीख के ऐलान की आस लगाए करीब दो दर्जन संत मोहन भागवत की यह बातें सुनते ही नाराज हो गए। मंदिर निर्माण की तारीख की घोषणा का ऐलान होने की उम्मीद से आए लोगों ने इस बयान के बाद तत्काल मंच के सामने प्रदर्शन शुरू कर दिया। साधु-संतों ने मोहन भागवत से कहा कि मंदिर निर्माण की तारीख बताएं, यहां राजनीतिक बयान देना बंद कीजिए। साधु-संतों में कई वजहों से नाराजगी है जो धर्म संसद में प्रकट की गई। मोदी सरकार का पांच साल का कार्यकाल अंतिम चरण में है। साधु-संतों को लगता है कि सरकार ने मंदिर निर्माण की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। वह इस मामले पर अध्यादेश तक नहीं ला सकी। साधु-संतों को विश्व हिन्दू परिषद, आरएसएस और उसके अनुषांगिक संगठनों से उम्मीद थी कि वह मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाएंगे पर संघ ने ऐसा नहीं किया। संतों को कोर्ट से भी निराशा हाथ लगी। उन्हें उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में नियमित सुनवाई कर फैसला दे देगा। पर कोर्ट की सुनवाई टलती जा रही है। अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए बीते साल सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ के गठन का ऐलान हुआ था। सुनवाई 10 जनवरी को करनी थी, पर पीठ से जस्टिस ललित हट गए। फिर सुनवाई 29 जनवरी को होनी थी जो एक जज के नहीं होने से टल गई। इसी बीच साध्वी प्रियवंदा ने 2020 में मंदिर के निर्माण की बात कह दी। इस पर नाराज लोग भड़क उठे। मंच के सामने आकर लोगों ने नारेबाजी शुरू कर सिर्प तारीख घोषित करने की मांग उठाई। इससे नाराज विहिप कार्यकर्ता आगे आए और धक्का देकर नारेबाजी करने वालों को बाहर खदेड़ दिया। नौबत मारपीट तक आ गई, लेकिन मीडिया की मौजूदगी को देखकर विरोध करने वालों ने कहा कि वह यहां पर चुनावी सभा में सरकार की तारीफ सुनने नहीं आए थे। वह मंदिर निर्माण की तारीख सुनने आए थे। मंच पर इतने सदस्यों ने इस बारे में कुछ न बोलकर सभी को निराश किया। हालांकि मंच पर उपस्थित प्रमुख संतों ने पिछले पांच सालों में मंदिर निर्माण को लेकर कुछ नहीं करने पर मोदी सरकार को खरी-खरी सुनाई लेकिन साथ ही यह भी दोहरा दिया कि राम मंदिर निर्माण भाजपा के शासनकाल में ही संभव है। प्रयाग पुंभ के दूसरे शाही स्नान मौनी अमावस्या के ठीक पहले अखाड़ा परिषद ने आपात बैठक बुलाकर राम जन्मभूमि मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। बैठक में तय हुआ कि महाशिवरात्रि स्नान के बाद अखाड़े के सभी साधु-संत नगा संन्यासियों के साथ अयोध्या हनुमानगढ़ी पहुंचेंगे। पहले मंदिर पर आम सहमति बनाई जाएगी और अगर बात न बनी तो आर-पार की लड़ाई की रणनीति तैयार की जाएगी। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण किन्नर अखाड़ा करेगा। साधु-संतों और अखाड़ों की बातों से लगता है कि वह अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू कराने के लिए अब बहुत उतावले हैं। आने वाले कुछ दिनों में स्थिति विस्फोटक हो सकती है।
-अनिल नरेन्द्र


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