Tuesday, 26 February 2019

मुलायम सिंह यादव को गठबंधन पर गुस्सा क्यों आया?

भाजपा को उत्तर प्रदेश में मात देने के उद्देश्य से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने सीटों के बंटवारे में एक-दूसरे के असर का सम्मान करते हुए पूरी तरह से सामंजस्य बिठाने का प्रयास किया है। नम्बर दो वाली सीटों के फार्मूले को पूरी तरह लागू न करते हुए सीटों की अदला-बदली भी हुई है। कोशिश यह रही कि राज्य के चारों हिस्सों में दोनों दलों की दमदार मौजूदगी तो दिखी ही, साथ ही हर मंडल में सपा-बसपा दोनों के प्रत्याशी लड़ते  दिखे। किसी भी खास क्षेत्र में कोई भी पूरी तरह गैर-मौजूद न रहे। अब 38 सीटों पर बसपा व 37 सीटों पर सपा लड़ेगी। दो सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी गई हैं। इससे पहले बसपा के साथ गठबंधन से खफा सपा संरक्षक मुलायम Eिसह यादव ने उम्मीदवार तय नहीं होने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को नसीहत दे डाली। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अखिलेश आप अपनी ही पार्टी को खत्म कर रहे हैं। इसके महज एक घंटे बाद ही सपा-बसपा के बीच 75 सीटों का बंटवारा करते हुए सूची जारी कर दी। पांच सीटों का उल्लेख नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि इनमें अमेठी और रायबरेली सीट कांग्रेस और बागपत, मुजफ्फरनगर व मथुरा सीट राष्ट्रीय लोक दल के लिए छोड़ी गई हैं। इसी के साथ प्रदेश में त्रिकोणीय चुनावी दंगल का स्टेज सज गया है। मुलायम ने कहा कि मायावती के साथ गठबंधन कर आधी सीटें क्यों दी गईं। हमारी पार्टी ज्यादा मजबूत है। हम आराम से 80 सीटों पर मजबूती से लड़ सकते थे लेकिन हमारे लोग ही पार्टी को कमजोर कर रहे हैं। एक वक्त तो हम अकेले लड़कर ही 39 लोकसभा सीटें जीत चुके हैं। मुलायम ने गुरुवार को सपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं के बीच यह सब बातें कहीं। मुलायम की इन खरी-खरी बातों से कार्यकर्ता उत्साहित दिखे। दिलचस्प यह रहा कि उससे कुछ ही देर पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जब हार्दिक पटेल के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे, तब ही मुलायम सिंह अचानक पार्टी के दफ्तर पहुंच गए। अखिलेश प्रेस कांफ्रेंस के बाद मुलायम सिंह के साथ ही कुर्सी पर बैठ गए। मुलायम ने माइक लेकर जैसे ही बोलना शुरू किया, अखिलेश स्थिति असहज होने पर वहां से उठकर चले गए। मुलायम ने कहा कि पार्टी ने तीन बार अकेले सरकार बनाई है, अकेले अपने दम पर यहां तो लड़ने से पहले ही आधी सीटें दे दी गई हैं। बता दें कि विधानसभा चुनाव 2017 तब हुए जब केंद्र में भाजपा की सरकार थी। सपा ने 311 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और बाकी सीटें कांग्रेस को दे दी थीं। सपा ने अपने बूते पर तो 47 विधायक बनाए लेकिन कांग्रेस के 114 सीटों पर सिर्प सात प्रत्याशी ही जीत सके। तब भी माना गया था कि सपा को कांग्रेस गठबंधन से फायदे के बजाय नुकसान हुआ है। सपा को इस चुनाव में कुल 28.32 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि बसपा विधानसभा चुनाव 2017 में 403 सीटों पर 19 प्रत्याशी ही जिता सकी थी। वोटिंग प्रतिशत भी सपा से कम 22-23 प्रतिशत था। मुस्लिम वोटरों की बहुलता वाली उत्तर प्रदेश की 25 सीटों में 13 बसपा के और 11 सपा के हिस्से में आई हैं, जबकि एक सीट मुजफ्फरनगर रालोद के कोटे में आई है। सपा को पूर्वांचल का बड़ा हिस्सा मिला है। देखना यह होगा कि कांग्रेस इस गठबंधन में फिट होती है या नहीं? या उसे अपने बूते पर चुनाव लड़ना पड़ेगा। खैर, अभी तो लोकसभा चुनाव है।
-अनिल नरेन्द्र



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