Sunday, 3 February 2019

ब्लू व्हेल के बाद पब जी बैटल नया सिरदर्द

परीक्षा में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोबाइल फोन पर इंटरनेट के जरिये खेली जाने वाली पब जी गेम का जिक्र किया था। गेम की लत में डूबे मरीजों की उम्र आठ से 22 साल तक के बीच ज्यादा है। इन युवाओं को फोन के एप पर पब जी बैटल (खेलना) इतना पसंद है कि यह ऑफिस टाइम इसी में खपा देते हैं। डाक्टरों का मानना है कि ब्लू व्हेल के बाद पब जी दूसरा सबसे ज्यादा लत लगाने वाले गेम के रूप में सामने आया है। जबकि और भी गेम मनोरंजन के लिए हैं लेकिन यह तनाव बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। सफदरजंग अस्पताल के एक वरिष्ठ डाक्टर का कहना है कि ब्लू व्हेल की तरह पब जी गेम भी बच्चों को हिंसक बना रहा है। गेम में गोलियां चलाना, एक-दूसरे की हत्या करना, लूटपाट, आक्रामकता आदि को बढ़ावा दे रहे हैं। दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) में इलाज के लिए पहुंचे बच्चों की काउंसिलिंग में भी इसकी पुष्टि हो रही है। ब्लू व्हेल गेम बच्चों को आत्महत्याएं करने के लिए प्रेरित कर रहा था। जबकि पब जी दूसरों की जान लेने के लिए एक तरह से मासूमों की फौज तैयार कर रहा है। सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल में भी पब जी सहित ऑनलाइन गेम की लत से परेशान हर सप्ताह दो से तीन मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें 15 साल तक के बच्चों की संख्या ज्यादा है। इस गेम में एक आइलैंड पर एक व्यक्ति को उतार देते हैं और ग्रुप बनाकर उस व्यक्ति को अपने आपको बचाकर रखने के लिए औरों को गोली मारनी होती है। अध्ययन के मुताबिक इस गेम के चलते अधिकतर बच्चे हिंसक प्रवृत्ति में ढल जाते हैं। यही नहीं, इन बच्चों का मानसिक ही नहीं शारीरिक संतुलन भी बिगड़ रहा है। इतना ही नहीं, इन गेम के शिकार कुछ बड़े लोग भी हैं, जो अपने काम-धंधों को छोड़कर लंच टाइम में इस गेम को खेलते हैं और हिंसक प्रवृत्ति को अपने अंदर जन्म देते हैं। बहरहाल इन गेम के माध्यम से युवाओं और बड़ों में ऐसी प्रवृत्ति का निर्माण हो रहा है जिससे कि वह अपने बचाव करते हुए औरों को मौत के घाट उतार दें। यह जरूरी है कि भारत सरकार इस गेम पर प्रतिबंध लगाए और हमारी युवा पीढ़ी को इस नई लत से बचाएं। चूंकि प्रधानमंत्री ने इस गेम का जिक्र किया है, उम्मीद की जाती है कि वह इस गेम को प्रतिबंधित करने के लिए आवश्यक कदम जल्द उठाएंगे।

-अनिल नरेन्द्र

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