ब्रिटेन के गृहमंत्री
की ओर से भारत के भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश मिलना भारत
सरकार और भारतीय जांच एजेंसियों की बड़ी उपलब्धि है। ब्रिटेन के गृहमंत्री साजिद जावीद
के हस्ताक्षर भारत की कूटनीतिक जीत भी मानी जाएगी। लंदन की निचली अदालत में लंबी लड़ाई
के बाद भारत को पिछले 10 दिसम्बर को कामयाबी मिली।
लंदन के न्यायालय ने अंतत माल्या की सारी दलीलें खारिज कर दीं। माल्या के पक्ष में
वहां से बड़े-बड़े वकील जिरह कर रहे थे। जब सारी दलीलें विफल
हो गईं तो मानवाधिकार का मुद्दा उठाया गया। उसमें बताया गया कि भारत की जेलों में अमानवीय
स्थिति है। इसमें भी भारत की जीत हुई। न्यायालय के आदेश के बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय
ब्रिटिश सरकार से सम्पर्प में था। उसकी परिणति सामने आई है। इससे यह संदेश जाता है
कि मौजूदा सरकार भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराध करने वालों को सजा दिलाने के लिए कटिबद्ध
है। इसीलिए अमेरिका में इलाज करा रहे वित्तमंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट भी किया है कि
एक और अधिकारी को बचाने के लिए ममता बनर्जी अनशन कर रही हैं तो दूसरी ओर सरकार विजय
माल्या प्रत्यर्पण पर आदेश प्राप्त कर रही हैं। माल्या का प्रत्यर्पण अभी फाइनल नहीं
हुआ है। उसके पास इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए दो हफ्ते का समय है। यदि अपील
मंजूर नहीं होती है तो उसे हर हाल में 20 दिनों के भीतर भारत
को सौंपना ही होगा। किन्तु उच्च न्यायालय माल्या के पक्ष में कोई फैसला देगा ऐसा मानने
का अभी कोई कारण नहीं दिखता। निचली न्यायालय में मामला जितना उलझाया जा सकता है,
उतना उच्च न्यायालय में नहीं। मोदी सरकार ने भगोड़े अपराधियों के खिलाफ
नया कानून बनाकर कानूनी एजेंसियों को काफी मजबूती दी है। इसके तहत भगोड़ा घोषित होने
के बाद उसकी विदेशों में सम्पत्तियां भी जब्त की जा सकती हैं। भारत ने इस कानून के
तहत माल्या को पहला भगोड़ा घोषित किया। उसकी विदेशी सम्पत्ति भी जब्त करने की कोशिश
हो रही है। स्विट्जरलैंड सरकार ने माल्या के बैंक खातों की जानकारी देने पर भी सहमति
दे दी है। देर-सवेर माल्या का भारत आना तथा उसकी सम्पत्तियां
जब्त करना निश्चित हो गया है। बता दें कि माल्या पर विभिन्न बैंकों का 9400
करोड़ रुपए कर्ज है। उसके खिलाफ 17 बैंकों के समूह
ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। सीबीआई और ईडी मामले की जांच कर रही है। फिलहाल
तो यही कहा जा सकता है कि माल्या के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार ने एक और बाधा पार
कर ली है। यह नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ललित
मोदी आदि के लिए भी संदेश है। उम्मीद है कि जल्द माल्या को भारत लाया जाएगा और कानूनी
प्रक्रिया पूरी करा पाएगी।
-अनिल नरेन्द्र
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