Thursday, 14 February 2019

क्या राहुल-पियंका की जोड़ी यूपी में पासा पलट देगी?

हाल में उत्तर पदेश के पभारी बनाए गए दोनों महासचिवों पियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ लखनऊ में एक रोड शो करके पार्टी की राज्य में चुनावी अभियान की विधिवत शुरुआत की। लखनऊ आने से ठीक एक दिन पहले पियंका गांधी और सिंधिया ने एक ऑडियो संदेश जारी किया। करीब आधा मिनट के अपने ऑडियो संदेश में पियंका ने कहा ः मैं पियंका गांधी वाड्रा बोल रही हूं। आप सबसे मिलने के लिए लखनऊ आ रही हूं। मेरे दिल में आशा है कि हम सब मिलकर एक नई राजनीति की शुरुआत करेंगे। एक ऐसी राजनीति जिसमें आप सब भागीदार होंगे। मेरे युवा दोस्त, मेरी बहनें और सबसे कमजोर व्यक्ति की आवाज सुनाई देगी। आइए मेरे साथ मिलकर इस नए भविष्य और एक नई राजनीति का निर्माण करें। पियंका ने सोमवार को लखनऊ में तकरीबन पांच घंटे रोड शो किया। पियंका और राहुल गांधी का यह रोड शो तकरीबन 15 किलोमीटर का था और शहर के कई अहम इलाकों से होकर गुजरा। यूपी में खोई हुई राजनीतिक जमीन फिर हासिल करने के लिए अब पियंका गांधी मैदान में उतरी हैं। यूपी में विनाश हो चुकी कांग्रेस को मुख्यधारा में लाने के लिए पियंका गांधी वाड्रा ने यहां की सख्त जमीन पर अपने पांव रख दिए हैं। पियंका का लखनऊ में कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त स्वागत किया। रोड शो करीब 37 जगहों पर रुका जहां नेताओं का स्वागत हुआ। जिस बस पर पियंका गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य नेता सवार थे, वहां से ही राहुल ने पियंका के साथ राफेल विमान की डमी लोगों को दिखाई। मालूम हो कि राफेल विमान सौदे को लेकर राहुल गांधी काफी समय से पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरते रहे हैं। रायबरेली के पार्टी कार्यकर्ता 51 किलो की माला लेकर पहुंचे। रथ के ऊपर से ही पियंका गांधी ने माला स्वीकार की। नवनियुक्त कांग्रेस महासचिव और पूर्वी यूपी की पभारी पियंका गांधी के मेगा रोड शो में कार्यकर्ताओं का जनसैलाब उमड़ा। रोड शो के दौरान अलग-अलग बैनर और तख्तियों के साथ कार्यकर्ता पियंका गांधी के साथ चल रहे थे। इसी कम में कुछ कार्यकर्ताओं का एक ऐसा समूह भी दिखा जिसने अपने शरीर पर पेंट करवा रखा था। जिसमें लिखा था चौकीदार चोर है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रोड शो को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी का लक्ष्य लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में पार्टी की सरकार बनाने का है। विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि अगर इस देश का कोई दिल है तो उत्तर पदेश में है अब मैंने पियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया जी को यहां महासचिव बनाया है। मैंने  कहा है कि यूपी में जो सालों से अन्याय हो रहा है। उसके खिलाफ इन दोनों को लड़ना है और उत्तर पदेश में न्याय वाली सरकार लानी है। इनका लक्ष्य लोकसभा जरूर है, मगर इनका बड़ा लक्ष्य विधानसभा में कांग्रेस की सरकार बनाने का है। हम यहां पर पंट पर खेलेंगे। बैक फुट पर भी खेलने वाले हैं। जब तक यहां कांग्रेस पार्टी की विचारधारा की सरकार नहीं बनती तब तक सिंधिया जी, पियंका जी और मैं चैन से नहीं बैठूंगा। हम उत्तर पदेश में युवाओं, गरीबों और किसानों की सरकार लाएंगे। राहुल ने कहा कि सपा पमुख अखिलेश यादव का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन कांग्रेस पूरी ताकत से लड़ेगी। उत्तर पदेश की राजनीति में पियंका गांधी की धमाकेदार एंट्री से जहां ठंडे पड़े कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में नई जान आ गई वहीं सपा-बसपा गठबंधन भी बैकफुट पर आ गया। राज्य की राजनीति में पंट फुट पर खेलने के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयानों ने जहां भाजपा के रणनीतिकारों के चेहरे पर परेशानी की लकीरें खींचने का काम किया है, वहीं राज्य की राजनीति के दो धुरंधर दलों के गठबंधन की परेशानी पर भी बल डाल दिया है। राज्य में मोदी व शाह के विजय रथ को रोकने के नाम पर कांग्रेस को गठबंधन से दरकिनार करने वाली सपा-बसपा  को तेजी से बदल रही सियासी फिजा में यह चिंता सताने लगी है कि कहीं पियंका फैक्टर उनके गठबंधन की उम्मीदों पर पानी न फिर दे। युवाओं में पियंका के जादू और उनकी राजनीतिक रैली से एक बात साफ है कि उत्तर पदेश की राजनीति में उनकी मौजूदगी न केवल कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में संजीवनी का काम करेगी, बल्कि एक बड़े वोट बैंक को कांग्रेस की झोली में डालने में भी मददगार होगी। अगर सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें न मिलीं तो सूबे में जो लड़ाई दो धुवीय नजर आ रही थी, पियंका के आने के बाद यह त्रिकोणीय बन जाएगी जिसका फायदा सबसे ज्यादा भाजपा को होगा। लेकिन यह भी कटु सत्य है कि पियंका के लिए यूपी में मिशन 2019 आसान नहीं है। यूपी में पिछले 20 सालों से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। कांग्रेस के पदेश में सिर्प दो सांसद हैं, मां सोनिया और बेटा राहुल गांधी। 403 विधानसभा वाली यूपी में पार्टी के सिर्प सात विधायक हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव (21 सीटों) के मुकाबले 2014 में कांग्रेस 7.5 पतिशत वोटों के साथ दो सीटों पर सिमट गई। 2017 के विधानसभा चुनाव में राहुल ने सपा के साथ चुनाव लड़ा, लेकिन सीटें और वोट पतिशत दोनों ही गिर गए। तस्वीर साफ है कि पियंका को यूपी में कांग्रेस को खड़ा करने के लिए करिश्मा ही दिखाना होगा वरना यूपी के भरोसे भाई की राह आसान नहीं होने वाली। राजीव गांधी सरकार में देश में संचार कांति करने वाले सैम पित्रोदा हालांकि दावा कर रहे हैं कि भाई-बहन की जोड़ी लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए पासा पलटने वाली साबित होगी क्योंकि देश को युवा टीम की जरूरत है। फिलहाल तो कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बूथ स्तर पर ढांचा खड़ा करने की होगी, क्योंकि कई जिलों में संगठन सिर्प कागजों पर चल रहा है और इसे ठोस शक्ल देने के लिए बमुश्किल तीन महीने ही उन्हें मिल पाएंगे। देखें, पियंका फैक्टर उत्तर पदेश की राजनीति में क्या असर दिखाता है?

-अनिल नरेन्द्र

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