Saturday, 16 February 2019

मुलायम के धोबी पछाड़ दांव के मायने

समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को एक बार फिर चौंका दिया। 16वीं लोकसभा के आखिरी दिन सत्तापक्ष और विपक्ष अपने-अपने हथियार चुनावी संग्राम के लिए जहां सहेजते दिखे वहीं मुलायम सिंह यादव ने अप्रत्याशित रूप से यह कहकर सियासी हलकों में चर्चा गरम कर दी कि मैं नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की कामना करता हूं। साथ ही यह कहकर महागठबंधन की कवायद पर भी सवाल खड़े कर दिए कि हम लोग तो इतना बहुमत ला नहीं सकते। मुलायम सिंह जब विदाई भाषण दे रहे थे तो यूपीए की मुखिया सोनिया गांधी उनके ठीक बगल में बैठी थीं। जैसे ही मुलायम सिंह ने मोदी की तारीफ की, वह असहज हो गईं। मुलायम ने कहाöमैं चाहता हूं कि सभी सदस्य फिर जीतकर आएं। इस पर पूरे सदन में तालियां बज गईं। आगे उन्होंने कहाöहम पीएम को धन्यवाद देना चाहते हैं कि आपने सबके साथ मिलकर काम किया। हम लोगों ने जब-जब आपसे किसी काम के लिए कहा, आपने उसी वक्त आदेश दिया। इसलिए हम आपका सम्मान करते हैं। इस पर पीएम ने हाथ जोड़कर आभार प्रकट किया और सदन ने मेज थपथपाकर सपा सांसद की बात का समर्थन किया। साथ ही जय श्रीराम के नारे भी लगे। सियासी हलकों में फिर चर्चाएं शुरू हो गईं कि पीएम पर फिर उमड़े प्रेम का राज क्या है? क्या वह सचमुच चाहते हैं कि मोदी दोबारा पीएम बनें या उनकी जुबान फिसल गई थी? मुलायम सिंह के करीबियों का दावा है कि वह सपा-बसपा गठबंधन से खुश नहीं हैं। वहीं विपक्षी महागठबंधन की कोशिशों में जिस तरह उन्हें किनारे किया गया है, उससे भी वह आहत हैं। लेकिन यह भी सच है कि वह बेटे अखिलेश को हारते हुए भी नहीं देखना चाहते हैं। बुधवार को संसद में दिए बयान के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है। वहीं जिस काम के लिए वह मोदी के शुक्रगुजार हैं, वह उनके खिलाफ सीबीआई में चल रहा आय से अधिक सम्पत्ति का मामला है, जो पिछले पांच सालों से ठंडे बस्ते में पड़ा है। सीबीआई ने 2000 से 2005 के बीच उनके परिवार के सभी सदस्यों को आयकर रिटर्न की जांच की और पाया कि उनकी घोषित आय से 2.68 करोड़ रुपए की सम्पत्ति ज्यादा पाई गई। भारत-अमेरिका परमाणु सौदे को लेकर वाम दलों ने 2008 में मनमोहन सरकार से जब समर्थन वापस लिया था तो उसे गिराने की कवायद को फेल करते हुए मुलायम ने ही बचाया था। माना जाता है कि अपकृत मनमोहन सरकार के इशारे पर सीबीआई ने 2014 तक डीए मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। मोदी सरकार ने भी यथास्थिति कायम रखी है। 10 सालों से सीबीआई ने इस मामले को बंद करने के लिए अदालत में दरख्वास्त भी नहीं दी यानि यादव परिवार पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। मुलायम के चाहे जो भी ऐसा करने के पीछे कारण रहे हों उन्होंने हमलावर विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया है। मुलायम ने जब मोदी के दोबारा पीएम बनने की कामना की तो विपक्षी बैंचों पर सन्नाटा छा गया। कहा जा रहा है कि मुलायम के धोबी पछाड़ से उनके बेटे को ही फायदा हो सकता है। कहीं न कहीं मुलायम को लगता है कि 2019 चुनाव के लिए विपक्ष की तैयारी उतनी धारदार नहीं है। इसकी भी तमाम वजहें हो सकती हैं, जैसे गठबंधन का कोई नेता न होना और आए दिन अलग-अलग दलों में खींचतान होना, उनका उद्देश्य यह भी हो सकता है कि सपा अध्यक्ष और बेटे अखिलेश के प्रति भाजपा का रुख नरम हो और उन्हें सीबीआई से बचाते रहें। वैसे यह पहली बार नहीं जब मुलायम ने किसी पीएम की तारीफ की हो।

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