Sunday, 24 February 2019

आतंक, कर्फ्यू, प्रदर्शनों ने तबाह की जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था

आतंकवाद ने जहां पूरे देश को प्रभावित किया है वहीं जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को तो बिल्कुल तबाह कर दिया है। पिछले 30 सालों में आतंकी गतिविधियों के चलते राज्य को 4.55 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। केंद्र सरकार देश की जीडीपी का 10 प्रतिशत हिस्सा यहां खर्च करती है। बावजूद इसके जे एंड के में आतंकवाद और बेरोजगारी दोनों बढ़ी हैं। ऐसा तब हुआ है जब पिछले 18 सालों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए केंद्र ने सहायता राशि में 55 प्रतिशत का इजाफा किया है। जम्मू-कश्मीर ही इकलौता ऐसा राज्य है जहां औसत 80 प्रतिशत से भी ज्यादा अनुदान केंद्र की तरफ से किसी राज्य को उसके विकास के लिए मिला है। बाकी राज्यों में 30 प्रतिशत का है। प्रति व्यक्ति के हिसाब से  बात करें तो जम्मू-कश्मीर के लोगों को केंद्र सरकार बाकी राज्यों की तुलना में आठ गुणा ज्यादा फंड देती है। जम्मू-कश्मीर में मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पांच लाख से अधिक सुरक्षा बल तैनात हैं। कुछ रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि इतनी सेना तैनात नहीं है, राज्य में सैनिकों की तादाद 2,10,800 बताते हैं। लगभग 31 साल के आतंक ने कश्मीर की अर्थव्यवस्था अलग से ध्वस्त कर दी है। इतना पैसा मिलने के बाद भी यहां बेरोजगारी बढ़ी है। उग्रवाद ने पर्यटन को तो तबाह ही कर दिया है। 1988 में सात लाख पर्यटक जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। 1989 में हिंसा का दौर शुरू हुआ तो यह मुश्किल से पर्यटक संख्या 6,287 रह गई। बीच में जब स्थिति थोड़ी सुधरी तो 2007 में जो पर्यटक संख्या 27,356 थी वो 2012 में रिकॉर्ड 13 लाख पर्यटक तक पहुंच गई। 30 साल में कर्फ्यू, प्रदर्शन और हड़ताल से कश्मीर 1796 दिन बंद रहा है। 1991 में सबसे अधिक 207 दिन और 2011 में 130 दिन बंद रहा। इन बंदों से कश्मीर को 250 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। 2016 में 57]िदन के पूर्ण बंद से 10,500 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। जम्मू की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले टूरिज्म सेक्टर की भी हालत खराब हो चुकी है। जहां 1989 में आतंक के दौर से पहले राज्य की जीडीपी में टूरिज्म सेक्टर 10 प्रतिशत से ज्यादा योगदान देता था। पिछले 30 सालों में यह योगदान बढ़ने की जगह घटकर औसत छह प्रतिशत पर आ गया है। इसका कारण आतंक के चलते देशी और विदेशी दोनों ही  पर्यटकों का घाटी से मुंह मोड़ लेना है। जनवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर 21 प्रतिशत रही, जो देश में त्रिपुरा के बाद दूसरे नम्बर पर है। 18-29 आयु वर्ग में 24.6 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। राज्य में सालाना 2.74 प्रतिशत आबादी बढ़ रही है। 2007 में यह आंकड़ा 1.68 प्रतिशत था। जम्मू में नए बिजनेस शुरू नहीं हो पा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में सिर्प 86 बड़े और मध्यम दर्जे के उद्योग हैं। इससे 19,314 लोगों को ही रोजगार मिला हुआ है। घाटी में 30,120 छोटे उद्योग-धंधे हैं। इसमें 1,42,317 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। लेकिन छोटे, मध्यम और बड़े उद्योग-धंधे ने बीते 10 साल में सिर्प पांच हजार रोजगार जोड़े हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश और जम्मू-कश्मीर राज्य को आतंकवाद के चलते कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।

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