Thursday, 29 September 2022
हिंदुओं पर बढ़ते हमले
दुनियाभर में हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। नफरत के मामलों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। अमेरिकी संस्था नेटवर्व वंटेजियन रिसर्च इंस्टीटाूट के शोध में खुलासा हुआ है कि हिंदुओं के खिलाफ नफरत और हिंसा के मामलों में रिकार्ड 1000 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुईं है। अमेरिकी संस्था नेटवर्व वंटेजियन के सह-संस्थापक जोएल फिकेलस्टाइन ने कहा कि हिंदू विरोधी मीम्स, नफरत और हिंसक एजेंडा बताया जा रहा है। दुनियाभर के हमलों और नफरत का माहौल बनाने में वर्चस्ववादी और कट्टरपंथी इस्लामिक लोगों का हाथ है। देखने में आया है कि पिछले पांच साल के दौरान हिंदुओं पर हमलों की घटनाओं में तेजी आईं है। जोएल फिनकेलस्टीन के अनुसार अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रलिया जैसे बड़े देशों में हिंदुओं पर हिंसा बढ़ी है। हिंदू फोबिया को एक साजिश के तहत बढ़ाया जा रहा है। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआईं की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 2020 में भारतवंशी अमेरिकियों पर हमले 500 फीसदी बढ़े है। इनमें से ज्यादातर हिंदू धर्मावलवी के हैं। उधर उत्तरी अमेरिका में हिंदुओं के संगठन सीओएचएनए के निवुंज त्रिवेदी का कहना है कि जिस भी देश में हिंदू जाकर बसते हैं वहां के विकास में योगदान ही देते हैं। ब्रिटेन में पिछले वुछ दिनों से हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। यहां पर वुछ इस्लामिक कट्टरपंथी तत्व उपद्रव मचा रहे हैं। ब्रिटेन की संसद में पेश रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन की लगभग 7 करोड़ की आबादी में 4 प्रतिशत मुस्लिम हैं। लेकिन मुस्लिमों का व्राइम रेट ज्यादा है। ब्रिटेन की जेलों में वैदियों में से 18 फीसदी मुस्लिम हैं। रिपोर्ट के अनुसार इंग्लैंड और वेल्स की वुल आबादी में दो फीसदी हिंदू हैं लेकिन कोईं भी हिंदू जघन्य अपराध के आरोप में जेल में बंद नहीं है।
ब्रिटेन में जनगणना की ताजा रिपोर्ट के अनुसार लगभग 14 लाख से ज्यादा हिंदू रहते हैं। जबकि यहां लगभग 11 लाख पाकिस्तानी हैं। ब्रिटेन में रहने वाली वुल मुस्लिम आबादी लगभग 28 लाख है। ब्रिटेन के लेस्टर और बर्मिघम के सौडेक में हाल में मंदिरों पर हुए हमलों में पाकिस्तानी जिहाद गैंग के गुर्गो का हाथ सामने आया है। ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान का जिहाद स्टेट नेटवर्व ब्रिटेन के यूरोप में जिहाद पैलाने में जुटा है। पाक से आतंकियों को लाकर ब्रिटेन के मदरसों में मिलने वाले सेफ शेल्टर हाउस में रखा जाता है। ब्रिटेन में 30 साल पहले पाक आतंकी मसूद अजहर ने जिहादी नेटवर्व बनाया था। 2005 में लंदन में बम धमाकों में अलकायदा नेटवर्व का हाथ था। इसमें 56 लोग मारे गए। हिंदुओं पर बढ़ते हमले चिंता का विषय है। भारत सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा और जिन देशों में हिंदुओं को टारगेट किया जा रहा है उन देशों से बातचीत करनी होगी और हिंदुओं की सुरक्षा करने को कहा जाए।
——अनिल नरेन्द्र
चीन में तख्तापलट की अफवाह
चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग का तख्तापलट होने और उन्हें आवास में नजरबंद किए जाने की चर्चा जोरों पर है। इंटरनेट मीडिया और विश्वभर में चल रही इस चर्चा की चीन न तो पुष्टि कर रहा है और न ही इसका खंडन। हर छोटे-बड़े मसले पर प्रतिव्रिया जताने वाला चीन का विदेश मंत्रालय भी शनिवार से चल रही चर्चा पर चुप है। उज्बेकिस्तान में हुईं शंघाईं सहयोग संगठन की समिट में भाग लेकर 16 सितम्बर को बीजिंग लौटे चिनपिंग उसके बाद से देखें नहीं गए। वुछ लोगों ने कहा, विदेश से लौटे व्यक्ति के क्वांरटाइन होने के चीन सरकार के नियम के चलते चिनपिंग एकांतवास में हैं, लेकिन तीन दिन की वह अवधि गुजरने के बाद भी चिनपिंग नहीं दिखे। तब चर्चाएं पैदा हुईं और फिर तेज हो गईं। यह चर्चा तब तेज है जब चिनपिंग का पांच वर्ष का दूसरा कार्यंकाल पूरा होने को है और तीसरे कार्यंकाल के लिए सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में प्रस्ताव पेश होने वाला है। पांच वर्ष में एक बार होने वाली यह कांग्रेस 16 अक्टूबर को शुरू होगी और उसमें पार्टी के कार्यंकर्ताओं द्वारा चुने गए 2,296 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। पार्टी की ओर से राष्ट्रपति के पद के लिए प्रस्तावित किए जाने वाले नाम पर ही निर्वाचित प्रतिनिधि मुहर लगाते हैं।
इस बार भी ऐसा ही होना है। कहा जा रहा है कि चीन में पर्दे के पीछे सेना का शासन पर कब्जा हो गया है। जनरल ली क्विआओ ने राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाल लिया है। इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। 16 अक्टूबर से शुरू होने वाली पार्टी में जनरल ली के नाम पर मुहर लगा दी जाएगी। ट्विटर पर किए गए एक दावे के अनुसार चीन में छह हजार घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने रोक दी गईं हैं। इंटरनेट मीडिया पर चल रही चर्चा के अनुसार नजरबंदी में चिनपिंग हर तरह के संपर्व से दूर हैं। वह किसी पार्टी नेता से न तो मिल पा रहे हैं और न ही फोन पर किसी से बात कर पा रहे हैं। अगले महीने 16 तरीख के बाद शायद स्थिति स्पष्ट हो। कहा जा रहा है कि चिनपिंग से चीनी सेना नाराज चल रही है। हाल ही में उन्होंने एक चीनी वरिष्ठ अफसर को पद से हटाया जो सेना को नही भाया। चीन इतना बड़ा देश है कि ठीक से पता भी नहीं चलता कि अंदरखाते वहां क्या हो रहा है। हो सकता है कि चिनपिंग के तख्ता पलट की महज अफवाह हो जो उनके प्रतिद्वंद्वियों ने उड़ाईं हो। जो भी है जल्द तस्वीर साफ हो जाएगी। वैसे भारत के हित में चिनपिंग को हटना ही होगा। बहरहाल मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति टीवी पर पहली बार नजर आए। वह एक कार्यंव्रम में शामिल हुए। वे अभी भी सत्ता में हैं या नहीं इनका जवाब जल्द मिल जाएगा। वह तीसरी बार सत्ता की बागडोर संभालने के लिए तैयार दिख रहे हैं।
Tuesday, 27 September 2022
विशेष सेवा से इंकार
अंकिता भंडारी की निर्मम हत्या से पूरे उत्तराखंड में उबाल है।
गुस्साईं भीड़ ने गंगा भोगपुर में हत्या के आरोपी पुल्कित आर्यं की पैक्टरी पूंक दी। चीला बैराज से शनिवार को अंकिता का शव बरामद कर पोस्टमार्ट्म के लिए जैसे ही लाया गया, लोग आरोपियों को फांसी देने की मांग पर नारेबाजी करने लगे। गुस्साए लोगों ने विधायक की गाड़ी का शीशा तोड़ दिया। वहीं गुस्साईं भीड़ ने वनंतरा रिजॉर्ट के पीछे बने स्वदेशी ऑग्रेनिक पैक्टरी को आग लगा दी। दरअसल सारा मामला 19 वर्ष की रिसेप्सनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या से उत्पन्न हुआ। उत्तराखंड के पुलिस प्रामुख ने शनिवार को कहा कि चीला बैराज से 19 वर्ष की जिस रिस्पेप्सनिस्ट का शव मिला है, उस पर रिजॉर्ट के मालिक अतिथियों को विशेष सेवा प्रादान करने के लिए दबाव डाल रहा था। पुलिस महानिदेशक अशोक वुमार ने कहा कि इस लड़की द्वारा अपने एक मित्र के साथ की गईं चैट से यह जानकारी मिली है। इससे पहले रिसेप्सनिस्ट के एक पेसबुक मित्र ने कथित रूप से कहा कि उसकी दोस्त की हत्या इसलिए कर दी गईं क्योंकि उसने रिजॉर्ट के अतिथियों के साथ यौन संबंध बनाने से इंकार कर दिया। इस मित्र के अनुसार वह जिस रिजॉर्ट में काम करती थी, उसके मालिक ने उससे ऐसा करने को कहा था। रिसेप्सनिस्ट को रिजॉर्ट के मालिक एवं उसके दो अन्य कर्मचारियों ने कथित रूप से मार डाला। यह रिजॉर्ट भाजपा के एक नेता के बेटे का है। रिजॉर्ट के मालिक पुल्कित आर्यं, रिजॉर्ट के प्राबंधक सौरभ भास्कर और सहायक प्राबंधक अंकित गुप्ता को शुव््रावार को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले का मुख्य आरोपी पुल्कित आर्यं हरिद्वार के भाजपा नेता विनोद आर्यं का बेटा है। विनोद आर्यं उत्तराखंड माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। शुव््रावार को जब आरोपियों को कोटद्वार की अदालत में ले जाया जा रहा था तब उन पर नाराज भीड़ ने पुलिस गाड़ी पर हमला किया। भीड़ ने कार के शीशे तोड़ दिए और तीनों आरोपियों के साथ मारपीट की। पुलिस एफआईंआर के मुताबिक रिजॉर्ट में अनैतिक गतिविधियों का खुलासा करने की धमकी देने पर आरोपियों ने अंकिता की हत्या कर दी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी के निर्देश पर शुव््रावार देर रात को पुल्कित के रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाया गया। वहीं भाजपा नेता विनोद आर्यं को भाजपा आलाकमान ने पाटा से निकाल दिया है। पाटा ने आरोपी के भाईं अंकित को भी पाटा से निकाल दिया है। सीएम पुष्कर सिह धामी ने देहरादून में कहा कि अंकिता हत्याकांड की सुनवाईं फास्ट ट्रैक अदालत से कराएंगे। इस जघन्य व घृणित अपराध करने वाले को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए।
बेशक वह राजनीति में सत्तारूढ़ पाटा से जुड़े हों पर उन्हें कोईं राजनीतिक संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। इनके केस को उदाहरण बनाना होगा ताकि और भी ऐसे किस्से करने वालों को चेतावनी मिले। यह अंकिता का केस तो पकड़ा गया पर न जाने कितनी अंकिता इस घिनौने कांड में मजबूर होती हैं।
——अनिल नरेन्द्र
नफरत की दीवार
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर समाचार चैनलों और सामाजिक मंचों पर बेलगाम हेट स्पीच (घृणा भाषणों) को लेकर आपत्ति जताईं है।
मीडिया में नफरत भरे कार्यंव््रामों की बाढ़ पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए मौखिक टिप्पणी की कि देश आखिर किधर जा रहा है? हेट स्पीच को वंट्रोल करने के लिए सख्त मीडिया नियमन की सख्त जरूरत है। उसने कहा कि इस मसले पर वेंद्र चुप क्यों है? पिछले दो सालों में यह तीसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त शब्दों में घृणा भाषण पर टिप्पणी की है। चैनलों और सामाजिक मंचों पर नफरत पैलाने वाली प्रास्तुतियों और पक्षपातपूर्ण समाचार परोसने की प्रावृत्ति पर जनता लंबे समय से एतराज जताती रही है। सुप्रीम कोर्ट ने वेंद्र सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह सब हो रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुईं है। जस्टिस केएम जोसेफ और त्रषिकेश रॉय की बेंच हेट स्पीच को रेगुलेट करने की याचिकाओं पर सुनवाईं कर रही है। इसमें यूपीएससी, लव जेहाद, धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने वाले भाषण तथा कोरोना के दौरान सांप्रादायिकता पैलाने वाले संदेशों को लेकर दायर याचिकाएं शामिल हैं। बेंच ने कहा कि हेट स्पीच पर विधि आयोग की रिपोर्ट पर वेंद्र अपना रुख स्पष्ट करे। अब तो विपक्षी दल सार्वजनिक मंचों से सीधे सरकार की तरफ अंगुली उठाकर मीडिया के दुरुपयोग पर सवाल खड़े करते हैं। हालांकि अदालत की टिप्पणी पर एकाध बार सरकार का रुख वुछ सख्त जरूर दिखा, मगर इस प्रावृत्ति पर रोक लगाने की इच्छाशक्ति नजर नहीं आईं। वुछ महीने पहले सूचना प्रासारण मंत्रालय ने वुछ टीवी चैनलों को सख्त निर्देश जारी किए थे कि वह समाचारों की प्रास्तुति में मर्यांदा का ख्याल रखें। पर उसका भी कोईं असर नहीं दिखा। ताजा बयान के वक्त सुप्रीम कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि इंग्लैंड में एक चैनल पर भारी जुर्माना भी लगाया गया था। मगर हमारे यहां यह प्राणाली नहीं है। हेट स्पीच या अफवाह पैलाने की कानून ने परिभाषा तय नहीं की है। बेंच ने सरकार से जवाब के बारे में पूछा और कहा—सारे घटनाव््राम पर वह मूकदर्शक क्यों बनी हुईं है? सरकार को एक संस्था का गठन करना चाहिए जिसके दिशानिर्देश का पालन करने के लिए सभी को बाध्य होना चाहिए। टीवी चैनलों के न्यूज एंकर का दायित्व है कि जैसे ही कोईं नफरतबाजी करे तो उसे रोके, लेकिन होता है इसका उलटा। यदि कोईं पैनलिस्ट अपनी बात रखना चाहता है तो उसे मौका ही नहीं दिया जाता और उसकी आवाज म्यूट कर दी जाती है। बहस पूरी तरह स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन लाइन कहां खींचनी है, यह भी निर्धारित करना पड़ेगा। टीवी का जनमानस पर गहरा प्राभाव पड़ता है। हेट स्पीच से समाज का ताना-बाना कमजोर होता है और नफरत की इस दीवार पर अंवुश लगना ही चाहिए।
Sunday, 25 September 2022
चीते तो आ गए पर चुनौतियां कम नहीं
वन्य प्राणी विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य प्रादेश के वूनो राष्ट्रीय उदृान में देश से विलुप्त हुए चीतों को बसाने की कईं दशकों की उनकी मेहनत रंग लाईं जब नामीबिया से आठ चीतों की पहली खेप यहां पहुंची। इसके पीछे कईं वर्षो का शोध भी था, जिसमें भारत और दक्षिण अप्रीका के विशेषज्ञ शामिल रहे। 17 सितम्बर को एक भव्य समारोह में प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें बाड़ों में औपचारिक रूप से छोड़ दिया। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्प इतना ही काफी नहीं होगा। हालांकि सभी चीतों के गले में कॉलर लगे हुए हैं और जंगल में भी सीसीटीवी वैमरे और ड्रोन से भी इनकी निगरानी जारी है। फिलहाल यह चीते क्वारंटीन हैं और एक महीना पूरा होने के बाद इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा। लेकिन इसके बाद मध्य प्रादेश के वन अमले और वूनो राष्ट्रीय अयारण्य के अधिकारियों के सामने कईं चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। राज्य सरकार के मुख्य वन रक्षक और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जसवीर सिह कहते हैं कि चुनौती तब शुरू होगी जब इनका सामना दूसरे ‘परभक्षियों’ से होगा। वो कहते हैं कि वैसे हमने इनके आने से पहले ही बहुत सारे इंतजाम कर लिए थे जैसे सीसीटीवी वैमरे जंगल के बड़े हिस्से में लगाए गए हैं। वंट्रोल रूम बनाया गया है, यहां रात-दिन इन पर नजर रखी जाती है। जब यह जंगल में छोड़ दिए जाएंगे, तो इसका मतलब यह नहीं कि इन पर से नजर हट जाएगी। हर चीते के लिए एक समर्पित अमला है और हर चीते के गले में कॉलर लगा दिया है, जिससे उनके हर पहलू पर निगरानी होगी। वुछ वन्य प्राणी विशेषज्ञों को लगता है कि यह चीते पार्व के आसपास के गांवों में न घुस जाएं? यह चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि यह अप्रीकी चीते हैं न कि एशियाईं चीते। इनके जींस में भी थोड़ा-सा ही सही मगर फर्व है। वूनो में तेदुओं की संख्या भी काफी ज्यादा है और यहां लकड़बग्घे भी अच्छी-खासी तादाद में पाए जाते हैं। जो चीतों से ज्यादा ताकतवर हैं और उन पर हमला भी कर देते हैं। इन्हें जंगली वुत्ताें के आव््रामण से भी बचाना होगा। वैसे एक विशेषज्ञ का कहना है कि जिस तरह का चीतों का प्रावृतिक वास दक्षिण अप्रीका और नामीबिया में है, ठीक उसी तरह का प्रावृतिक वास उनके लिए यहां तैयार किया गया है, इसलिए उन्हें परेशानी नहीं होनी चाहिए। जाने-माने वन्य प्राणी विशेषज्ञ बालमिकी थापर का कहना है कि इन चीतों को जंगल के अंदर बहुत सारे दुश्मन मिलेंगे और उनके लिए शिकार बहुत कम उपलब्ध होगा। दूसरा अहम बिन्दु वो है ग्रासलैंड की कमी। वो अप्रीका का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वहां चीतों की आबादी इसलिए है क्योंकि उनके दौड़ने के लिए बड़ा इलाका है। यहां वैसा नहीं है। जीव वैज्ञानिक डॉक्टर कार्तिकेयन को अंदेशा है कि अप्रीका से नए परिवेश में लाए गए चीतों के बीच प्राोटीन संव््रामण हो सकता है। अन्य तरह के संव््रामणों की भी आशंका ज्यादा होगी। चीते चोट या संव््रामण बर्दाश्त नहीं कर सकते।
——अनिल नरेन्द्र
जब मस्जिद पहुंचे संघ प्रामुख
गुरुवार को दो खबरें देश में प्रामुखता से छाईं रहीं। पहली—कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर प्रांट ऑफ इंडिया (पीएफआईं) से जुड़े ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईंए) के छापे और उसके अधिकारियों—कार्यंकर्ताओं की गिरफ्तारियां और दूसरी—राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रामुख मोहन भागवत का एक मस्जिद में जाना जहां उन्हें इमामों के एक संगठन के अध्यक्ष ने राष्ट्रपिता कहा। हालांकि आरएसएस से जुड़े नेता महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहे जाने पर अकसर एतराज जताते हैं। अखबार में छपी खबरों के अनुसार मदरसे के बच्चों से बातचीत करते हुए इमाम उमेर अहमद इलियासी ने भागवत को राष्ट्रपिता कहा था जिस पर मोहन भागवत ने कहा था कि सब लोग राष्ट्र की संतानें हैं। दिल्ली के इंडिया गेट से लगे कस्तूरबा गांधी मार्ग की मस्जिद के इमाम और ऑल इंडिया मुस्लिम इमाम ऑग्रेनाइजेशन के सव्रेसर्वा उमेर अहमद इलियासी से संघ प्रामुख ने एकांत में तकरीबन 40 मिनट तक बात की। टीवी चैनल न्यूज-24 ने उमेर इलियासी से पूछा था कि वह मोहन भागवत के उस बयान पर क्या कहेंगे, जिसमें आरएसएस प्रामुख ने हिन्दू और मुसलमानों के डीएनए को एक बताया और कहा कि मुसलमानों के बिना हिन्दुस्तान पूरा नहीं होता; इसके जवाब में उमेर अहमद ने कहा—जो उन्होंने कहा है वो सही है। चूंकि वह राष्ट्रपिता हैं, जो उन्होंने कह दिया वो ठीक है। इलियासी ने बताया कि मोहन भागवत उनके निमंत्रण पर वहां गए थे। उन्होंने संघ प्रामुख को केवल राष्ट्रपिता ही नहीं, राष्ट्र त्रषि भी कहा। माना जा रहा है कि आरएसएस अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को तोड़ने और मुसलमानों के एक तबके को अपने साथ जोड़ने की कोशिश के तहत सम्पर्व अभियान चला रहा है। आरएसएस प्रामुख का दिल्ली मस्जिद-मदरसे जाना ठीक उसी दिन हुआ जिस दिन दिल्ली के कईं अखबारों और वेबसाइट्स के माध्यम से मोहन भागवत और पांच मुस्लिम बुद्धिजीवियों की भेंट की खबर आम हुईं। यह मुलाकात एक महीने पहले 22 अगस्त को हुईं थी, लेकिन इसकी खबर अब जाकर सामने आईं है। भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाईं वुरैशी, दिल्ली के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व उपवुलपति, सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद और पत्रकार शाहिद सिद्दीकी और बिजनेसमैन सईंद शेरवानी की मुलाकात मोहन भागवत से दिल्ली स्थित आरएसएस के एक कार्यांलय में हुईं थी। लेफ्टिनेंट जनरल शाह ने बीबीसी से कहा-मुल्क में जिस तरह के हालात हैं, उनसे अगर कोईं प्राभावी तरीके से निपट सकता है तो वो या तो प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं या फिर संघ प्रामुख मोहन भागवत, इसलिए हमने संघ प्रामुख को बातचीत के लिए वुछ समय पहले चिट्ठी भेजी थी। चिट्ठी में उनसे समय मांगा था। इस मुलाकात के बारे में हम पुराने दोस्तों के बीच महीनों चर्चा हुईं जिसके बाद यह संवाद संभव हुआ।
Saturday, 24 September 2022
आखिर यह साजिद मीर कौन है?
आखिर यह साजिद मीर कौन है? संयुक्त राष्ट्र में भारत और चीन एक बार फिर टकराए और मुद्दा था 2008 के मुंबईं हमले के मुख्य अभियुक्तों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के चरमपंथी साजिद मीर को ब्लैकलिस्ट में डालना। दरअसल अमेरिका संयुक्त राष्ट्र में साजिद मीर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रास्ताव लाया था और भारत ने भी इस प्रास्ताव का समर्थन किया था। लेकिन चीन ने अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल करते हुए इस प्रास्ताव पर रोक लगा दी।
प्रास्ताव के तहत मीर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की (1267 अलकायदा प्रातिबंध) समिति के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जाना था। भारत और अमेरिका की कोशिश थी कि साजिद मीर की वैश्विक यात्राओं पर प्रातिबंध लगाया जाए और उनकी सम्पत्ति प्रीज की जाए।
लेकिन ऐसा करने के लिए सुरक्षा परिषद की प्रातिबंध समिति के सभी 15 सदस्यों का सहमत होना जरूरी है। पिछले चार महीनों में यह चौथा मौका है जब चीन ने ऐसा कदम उठाया है। पिछले महीने ही पाकिस्तान के विवादास्पद धार्मिक नेता मौलाना मसूद अजहर के भाईं अबुल रऊफ असगर उर्प अब्दुल रऊफ अजहर इसी साल जून में पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधी अदालत ने साजिद मीर को टेरर फाइनेंसिंग मामले में 15 साल जेल की सजा सुनाईं थी और इन दिनों वह पाकिस्तान की जेल में बंद है। मीर को लेकर पाकिस्तान के रवैये पर सवाल उठते रहे हैं। पाकिस्तान के अधिकारियों ने दिसम्बर 2021 में यह दावा किया था कि साजिद मीर की मौत हो चुकी है।
लेकिन अमेरिका समेत पािमी देशों ने पाकिस्तान की बात पर यकीन नहीं किया था और कहा था कि पाकिस्तान को साजिद मीर की मौत के पुख्ता सुबूत पेश करने चाहिए। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक मीर साल 2021 से चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ सदस्य हैं। 26 नवम्बर 2008 की रात समुद्र के रास्ते जो 10 बंदूकधारी मुंबईं पर हमला करने आए थे उन्हें फोन पर कराची में लश्कर के एक ठिकाने से गाइड करने वाले तीन हैंडलरों में साजिद मीर भी आगे-आगे था। बंदूकधारियों से बात करने का आइडिया साजिद का ही था। मुंबईं हमलों की योजना बनाने में अमेरिकी-पाकिस्तानी डेविड कोलमैन हेडली ने लश्कर-ए-तैयबा और आईंएसआईं के शामिल होने का दावा किया था। इससे पहले हेडली ने अमेरिका की जेल में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईंए) को 2010 में तफ्सील से बयान दिया था। खुफिया अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि साजिद मीर ने अप्रौल 2015 में व््िराकेट प्राशंसक के रूप में भारत में एंट्री ली थी। तब मीर ने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी और दिल्ली स्थित नेशनल डिपेंस कॉलेज की रेकी भी की थी।
——अनिल नरेन्द्र
राहुल गांधी का इंकार, चुनाव तय
कांग्रोस अध्यक्ष पद नहीं संभालने के राहुल गांधी के संकेत के बाद देश की सबसे पुरानी पाटा के सर्वोच्च पद के लिए अब चुनावी मुकाबला होने की संभावना बढ़ गईं है। पाटा के वुछ वरिष्ठ नेता भले ही सर्वसम्मति पर जोर दे रहे हों, लेकिन एक तरफ शशि थरूर ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जताईं तो दूसरी तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भी रण में उतरने के संकेत मिल रहे हैं। वुछ और नेताओं के भी चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। राहुल गांधी तमाम दबाव के बावजूद अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ना चाहते। राहुल गांधी की इसके पीछे कईं वजहें हैं। राहुल गांधी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक मंच से कभी अपना रुख बदलने की बात नहीं की है। ऐसे में वह फिर अध्यक्ष बनते हैं तो यह उनकी कथनी और करनी में अंतर के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि मौजूदा सियासत में यह आम बात हो गईं है। पाटा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं लेने को राहुल गांधी की वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है। कांग्रोस नेता मानते हैं कि कईं विपक्षी दल उनके नेतृत्व पर सहज नहीं होंगे। पाटा का कोईं और वरिष्ठ नेता अध्यक्ष पद संभालता है तो विपक्षी एकता की संभावना बढ़ जाएगी। इसके साथ पाटा को एकजुट रखने में भी मदद मिलेगी। सकारात्मक संदेश की कोशिश—कांग्रोस के अंदर गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग काफी दिनों से उठती रही है। पाटा के असंतुष्टों आनंद शर्मा कह चुके हैं कि कांग्रोस को गांधी परिवार से बाहर भी सोचने की जरूरत है।
ऐसे में राहुल गांधी परिवार से बाहर किसी नेता को अध्यक्ष बनने का मौका देते हैं, तो इससे पाटा के अंदर और बाहर सकारात्मक संदेश जाएगा।
राहुल गांधी संगठन में जवाबदेही तय करने के साथ परिवारवाद के आरोपों से भी पाटा को मुक्त कराना चाहते हैं। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम दिग्गज नेता कांग्रोस पर परिवारवाद का आरोप लगाते रहे हैं। पाटा के एक नेता ने कहा कि राहुल गाधी अध्यक्ष पद संभालकर भाजपा को फिर यह मुद्दा नहीं देना चाहते। इसके बावजूद पाटा अभी भी राहुल गांधी पर अध्यक्ष बनने का दबाव बनाए हुए है। दरअसल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को भरपूर समर्थन मिल रहा है। राहुल की जनता में साख बढ़ रही है।
यूं कहा जाए कि राहुल अध्यक्ष पद से ऊपर उठ चुके हैं। वह भले ही अध्यक्ष न बनें पर उनका अपना महत्व होगा। राहुल के इंकार से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता को भी बल मिलेगा। हमारी राय में राहुल ठीक कर रहे हैं उनको अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।
Thursday, 22 September 2022
महिलाओं ने उतारे हिजाब
ईंरान में हिजाब से जुड़ा विवाद रविवार को और गहरा गया। इस शिया मुल्क में हिजाब पर बरती जा रही कट्टरता के विरोध में सैकड़ों महिलाएं रविवार को देश के पािमी हिस्से में सड़कों पर उतर आईं। इस विरोध प्रादर्शन में महिलाओं ने अपने हिजाब को उतारकर पेंक दिया और सरकार विरोधी नारे लगाए। इसका वीडियो दुनियाभर में चर्चा पर है। प्रादर्शन का मुख्य कारण था कि एक 22 साल की महसा अमीनी की मौत से यह महिलाएं गुस्से में हैं। महसा पािमी ईंरान में साकेज की रहने वाली थीं। वह परिवार से मिलने 13 सितम्बर को तेहरान आईं थीं। वह हिजाब के खिलाफ थीं, इसलिए उन्होंने उसे नहीं पहना था। पुलिस ने महसा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के तीन दिन बाद 16 सितम्बर को उसकी मौत हो गईं।
चश्मदीदों ने बताया कि गिरफ्तारी के वक्त महसा पूरी तरह ठीक थीं। उन्हें पुलिस की गाड़ी में बेरहमी से पीटा गया। वुछ घंटों बाद परिवार को बताया गया कि महसा को दिल का दौरा आया था और वह आईंसीयू में हैं। ईंरान की पुलिस ने पिटाईं के आरोपों से इंकार किया है। ईंरान में सार्वजनिक जगहों पर हिजाब पहनना अनिवार्यं है। हिजाब उतारना वहां अपराध है। इसकी अवहेलना पर गिरफ्तारी होती है। ईंरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहिम रईंसी ने गृह मंत्रालय से कहा है कि वह महसा की मौत में जांच करे। महसा अमीनी के अंतिम संस्कार पर उसे न्याय दिलाने की मुहिम तेज हो गईं है। वुद्र्रिस्तान में जगह-जगह विरोध प्रादर्शन हो रहे हैं।
——अनिल नरेन्द्र
भाजपा को नए सिरे से खड़ा करना
लंबे समय से गठबंधन राजनीति के चलते पंजाब में कमजोर पड़ी भाजपा को अब मजबूत करने की कवायद शुरू हो गईं है। सीमावता राज्य होने से पंजाब वूटनीतिक, सामरिक और राजनीतिक तीनों दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। पूरे उत्तर भारत में पंजाब ही ऐसा राज्य है जो भाजपा की पहुंच से काफी दूर दिख रहा है, ऐसे में वह राज्य में अपनी जमीन तैयार करने और उसके बाद चुनाव अभियान की रणनीति पर काम करेगी। भाजपा नेतृत्व ने अपने इस अभियान की कमान गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के नए प्राभारी विजय रूपाणी को सौंपी है। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में उत्तर भारत में पंजाब ही भाजपा की सबसे कमजोर कड़ी है। लंबे समय तक राज्य में अकाली दल के साथ गठबंधन में रहने के कारण भाजपा यहां पर पूरे राज्य में कभी ठीक तरह से काम नहीं कर पाईं है। लोकसभा चुनाव में जब भाजपा और अकाली दल का गठबंधन था तब राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रोस ने 13 में से आठ सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा-अकाली दल गठबंधन को चार सीटें मिली थीं। अकाली दल को 27.76 प्रातिशत वोट और भाजपा को 9.63 प्रातिशत वोट मिले थे। रूपाणी पंजाब के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मोदी और अमित शाह की रणनीति समझते हैं। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात में संगठन का काम करते हुए चार महत्वपूर्ण सूत्र दिए थे। इनमें पग में चक्कर यानि लगातार सव््िराय रहो, जीभ में शक्कर यानि अच्छी बात करो, सिर पर बर्प यानि ठंडे दिमाग से काम करो। अब पाटा इन्हीं सूत्रों को पंजाब में लागू करेगी।
Tuesday, 20 September 2022
निशाने पर सलमान खान
कांग्रोस नेता व पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या से पहले आतंकी संगठनों से गठजोड़ करने वाले वुख्यात गैंगस्टर गोल्डी बराड़ व लॉरेंस बिश्नोईं गिरोह के शूटरों ने फिल्म अभिनेता सलमान खान को मारने के लिए भी साजिश रची थी। मुंबईं के पनवेल इलाके में सलमान के फार्म हाउस के नजदीक तीन शूटरों ने फजा नाम बताकर किराये पर कमरा भी ले लिया था। इलाके में डेढ़ माह तक रुककर शूटरों ने सलमान के आने-जाने की रेकी की थी। दिल्ली पुलिस ने अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की साजिश में बृहस्पतिवार को एक सनसनीखेज खुलासा किया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक लॉरेंस बिश्नोईं गैंग के गुर्गो ने सलमान को मारने के लिए उनके फार्म हाउस के गार्ड से दोस्ती करने की कोशिश भी की थी। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के विशेष आयुक्त एमजीएस धारीवाल ने कहा—गैंग के लोगों ने खुद को सलमान का पैन बताकर उनके बारे में जानकारी जुटाईं थी ताकि सही मौका देखकर उनकी हत्या कर सवें। इन लोगों ने फार्म हाउस के आसपास के इलाके की भी रेकी की थी। उन्होंने यह पता लगाया था कि फार्म हाउस के बाहर सलमान की कार कितनी रफ्तार से निकलती है और सड़क पर कहां गड्ढे हैं। मूसेवाला की हत्या से पहले गैंग ने अभिनेता को मारने का प्लान भी तैयार कर लिया था। गैंग के कपिल पंडित, संतोष जाधव, सचिन बिश्नोईं ने पनवेल में कमरा किराये पर लिया था और करीब डेढ़ महीने तक वहां रहे थे। शूटरों ने पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन अचानक मूसेवाला की हत्या को अंजाम देने का आदेश मिलने पर प्लान बदल गया। गोल्डी व लॉरेंस ने ऑपरेशन सलमान का नाम सलमान बी दिया था। मूसेवाला हत्याकांड को सुलझाने में जुटी पुलिस की स्पेशल सेल के मुखिया ने गुरुवार को विशेष बातचीत में इस मामले का पर्दाफाश किया। सेल के अनुसार कनाडा में रह रहे गोल्डी व तिहाड़ में बंद लॉरेंस ने मूसेवाला की हत्या से पहले सलमान को मारने का प्लान बी तैयार किया था। सलमान पर हमला करने के लिए शूटरों ने छोटे-बड़े अत्याधुनिक विदेशी हथियारों व कारतूसों की व्यवस्था भी कर ली थी। शूटरों को यह पता था कि हिट एंड रन केस में पंसने के बाद सलमान के काफिले की गािड़यों की रफ्तार धीमी रहती है। इस दौरान उन्होंने हमला करने की साजिश रची थी। स्पेशल सेल का कहना है कि दो बार शूटरों ने सलमान खान पर हमला करने की कोशिश भी की थी, लेकिन वह चूक गए थे।
मूसेवाला की हत्या के वुछ दिन बाद शूटरों ने सलमान के पिता को धमकी भरा पत्र भेजा था। सलमान खान की सुरक्षा बढ़ानी जरूरी है।
इसका मतलब है कि वह इन बदमाशों के निशाने पर हैं। उनके निजी सुरक्षा गार्डो को भी चौकस रहना होगा। क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि अब इन बदमाशों की नजरें बॉलीवुड सितारों पर भी है?
——अनिल नरेन्द्र
विपक्षी एकता का होगा इम्तिहान
मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की चल रही कवायद के बीच हरियाणा की धरती पर विपक्षी एकता का इम्तिहान होगा। कवायद से मिल रहे संकेत के मुताबिक यह गैर-कांग्रोसी विपक्ष का मोर्चा बनेगा। लेकिन गैर-कांग्रोसी दलों में भी अलग-अलग राय के बीच रैली की असली तस्वीर को लेकर कईं तरह की अटकलें हैं। इनेलो से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नीतीश वुमार, शरद पवार जैसे नेता चौधरी देवी लाल की जयंती पर इनेलो द्वारा आयोजित कार्यंव््राम को वेंद्र सरकार के खिलाफ बड़ी मोच्रेबंदी के रूप में तैयार करने की सलाह ओम प्राकाश चौटाला को दे चुके हैं। लेकिन इनेलो को हरियाणा में कांग्रोस और आम आदमी पाटा को लेकर अपनी हिचकिचाहट है। गौरतलब है कि इनेलो पाटा चौधरी देवी लाल की जयंती 25 सितम्बर को फतेहाबाद में मनाने जा रही है। इसे इनेलो सम्मान दिवस के रूप में मनाती है। इस जयंती पर इनेलो ने भाजपा विरोधी कईं पार्टियों को एक मंच पर लाने का प्रायास किया है। कार्यंव््राम में पवार और नीतीश का आना तय माना जा रहा है, लेकिन ममता ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। केसीआर के रुख पर भी सबकी नजर है। फिलहाल ममता को भी मंच पर लाने की पूरी कोशिश हो रही है, जिससे बड़ा संदेश जाए। आम आदमी पाटा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। सूत्रों ने कहा—विपक्ष के वुछ दल इससे अलग-अलग वजहों से दूर हो सकते हैं। पिछले दिनों इनेलो सुप्रीमो ओम प्राकाश चौटाला ने गुरुग्राम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश वुमार के साथ मुलाकात की थी। हालांकि चौटाला परिवार में टूट के बाद हरियाणा में इनेलो अपना मजबूत जनाधार खो रही है और पाटा 90 विधानसभा सीटों में से केवल एक ही सीट पर सिमट कर रह गईं है। विपक्षी एकता की धुरी बनकर चौटाला अपना जनाधार वापस लेने की मुहिम के साथ लोकसभा चुनाव के लिहाज से बड़ी मोर्चाबंदी कर नीतीश, पवार जैसे नेताओं की कवायद पर भी साथ खड़े होना दिखना चाहते हैं। सम्मान रैली के लिए अब तक नीतीश वुमार, शरद पवार, नेशनल कांप्रोंस के फारुख अब्दुल्ला, आंध्र प्रादेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिह यादव, पंजाब के अकाली नेता सुखबीर बादल, शरद यादव व केसी त्यागी सहित अन्य नेताओं को न्यौता देने की बात की जा रही है। बीते कईं साल में यह पहला मौका होगा, जिसमें देशभर के गैर-भाजपा और गैर-कांग्रोसी नेता एक ही मंच पर होंगे। 87 साल के चौधरी ओम प्राकाश चौटाला अपनी मुहिम में कितना सफल होंगे, वक्त बताएगा, लेकिन यह मंच समग्रा विपक्षी एकता का संदेश देने के बजाय तीसरा मोर्चा जैसी कवायद साबित हो सकता है।
Sunday, 18 September 2022
बेगूसराय में 11 लोगों को गोली मारी
बिहार के बेगूसराय में अंधाधुंध फायरिग मामले में पुलिस ने नया खुलासा किया है। बताया जा रहा है कि अपराधी करीब 10 किलोमीटर तक हाइवे पर फायरिग करते गए। बेगूसराय के एसपी योगेंद्र वुमार ने बताया कि अब तक हुईं जांच में इस बात के साफ संकेत हैं कि इस घटना को अंजाम देने वाले एक बाइक पर सवार दो लोग नहीं बल्कि दो बाइक पर चार लोग थे। अपराधी अब भी पकड़ से दूर हैं। पुलिस के हाथ एक सीआईंओपी के समीप बन रहे रेल ओवर ब्रिज के समीप लगे सीसीटीवी का पुटेज लगा है। इसमें एक बाइक पर सवार दो संदिग्ध अपराधियों के चेहरे स्पष्ट दिख रहे हैं। एसपी ने इंटरनेट मीडिया पर यह फोटो जारी कर सुराग देने वाले को 50 हजार रुपए इनाम की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नीतीश वुमार ने कहा कि यह जानबूझ कर किया गया कांड है। जहां पर घटना हुईं है, वहां एक तरफ पिछड़ी जाति के लोग थे और दूसरी तरह अल्पसंख्यक समाज के लोग थे। इस घटना की हर बिन्दु से पुलिस जांच कर रही है। बता दें, मंगलवार शाम पांच बजे बेगूसराय में दो बाइक सवार अपराधियों ने पांच जगह पर फायरिग की थी। वुल 12 लोगों पर गोली चलाईं गईं थी, इसमें एक की मौत हो गईं। एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र सिह गंगवार ने कहा कि इस मामले में पुलिस गश्ती दल के सात पदाधिकारियों व कर्मियों को तत्काल प्राभाव से निलंबित कर दिया गया।
वारदात को अंजाम देने वाले सभी युवा लग रहे थे, पूरे मामले की जांच करने के लिए चार टीमें बनाईं गईं हैं। एसपी ने कहा कि पुटेज से कईं तस्वीरें निकाली गईं हैं, जिन्हें आसपास के जिलों में भी पहचान के लिए भेजी गईं हैं। वुमार ने कहा कि जिले के सभी थाना क्षेत्रों में नाकेबंदी की गईं है। जिला के बॉर्डर को भी सील कर दिया गया है। इस मामले में पांच लोगों को हिरासत में लेकर जांच की जा रही है। वहीं बेगूसराय की चौंकाने वाली आपराधिक घटना पर भाजपा ने तीखी प्रातिव््िराया की है।
पाटा नेता रविशंकर प्रासाद ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश वुमार पर तंज कसते हुए कहा कि जिस तरह खुलेआम गोलीबारी में एक व्यक्ति की जान गईं और कईं गंभीर रूप से घायल हुए और उनके मंत्री स्वीकार कर रहे हैं कि वह चोरों के सरदार हैं। उसके बाद तो उन्हें सुशासन बाबू का तमगा छोड़ ही देना चाहिए। बिहार में जदयू और राजद गठबंधन की सरकार बनने के तत्काल बाद से भाजपा जंगलराज की वापसी का नारा बुलंद कर रही है। उन्होंने नीतीश को संबोधित करते हुए कहा—नए दोस्तों की संगत में आपका क्या हो गया है नीतीश जी? आरोप लगाया कि राजद का आधार माफिया और भ्रष्ट लोगों का है।
——अनिल नरेन्द्र
चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक नहीं है
उच्चतम न्यायालय ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के मुद्दे पर एक याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि चुनाव लड़ने का अधिकार न तो मौलिक है और न ही कॉमन लॉ अधिकार है।
कॉमन लॉ अधिकार व्यक्तिगत अधिकार है जो न्यायाधीश द्वारा बनाए गए कानून से आते हैं, न कि औपचारिक रूप से विधायिका द्वारा पारित कानून होते हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि कोईं व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि उसे चुनाव लड़ने का अधिकार है। उसने कहा कि जनप्रातिनिधित्व कानून, 1950 (चुनाव आचरण नियम, 1961 के साथ पढ़ें) में कहा गया है कि नामांकन प्रापत्र भरते समय उम्मीदवार के नाम का प्रास्ताव किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 जून के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाईं करते हुए यह आदेश दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्यसभा चुनाव, 2022 के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी तय करने से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि 21 जून, 2022 से एक अगस्त 2022 के बीच सेवानिवृत होने से राज्यसभा सदस्यों की सीट भरने के लिए चुनाव की खातिर 12 मईं, 2022 को अधिसूचना जारी की गईं थी। नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 31 मईं थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने नामांकन पत्र लिया था, लेकिन उनके नाम का प्रास्ताव करने वाले उचित प्रास्तावक के बिना नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी गईं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रास्तावक के बिना उनकी उम्मीदवारी स्वीकार नहीं की गईं, जिससे उनके भाषण और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हुआ था। उच्चतम न्यायालय ने एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चार सप्ताह के अंदर उच्चतम न्यायालय कानूनी सहायता समिति को जुर्माने का भुगतान करें।
Saturday, 17 September 2022
भारत-चीन सेनाओं की वापसी
इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् भारत और चीन सेनाओं ने अपने सैनिकों को वापस लेने और संघर्ष बिन्दु से स्थायी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के बाद पूवा लद्दाख में गोगरी-हाटस्प््िरांग क्षेत्र के गश्ती बिन्दु (पीपी)-15 पर साझा सत्यापन किया।
इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्र ने मंगलवार को यह बात बताईं।
उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने चरणबद्ध और समन्वित तरीके से वापसी प्राव््िराया पूरी की। दोनों सेनाओं के स्थानीय कमांडरों ने भी संघर्ष बिन्दु से वापसी प्राव््िराया के पूरे होने के बाद एक बैठक की, जहां दोनों पक्ष दो साल से अधिक समय से गतिरोध में थे। हालांकि दोनों पक्ष पीपी-15 से दूर हो गए, लेकिन डेम चौक और देव सांग क्षेत्रों में गतिरोध को हल करने में अभी तक कोईं प्रागति नहीं हुईं है। दोनों देशों ने आठ सितम्बर को घोषणा की कि उन्होंने पीपी-15 से वापसी प्राव््िराया को शुरू कर दिया है। दोनों सेनाओं की ओर से कहा गया कि जुलाईं में हुईं 16वें दौर की बैठक में लिए गए निर्णय के बाद गोगरा-हाटस्प््िरांग क्षेत्र से वापसी प्राव््िराया शुरू हुईं।
शुरुआत में प्रात्येक पक्ष के लगभग 30 सैनिकों को पीपी-15 में आमनेसामने रखा गया था। लेकिन क्षेत्र की समग्रा स्थिति के आधार पर सैनिकों की संख्या बदलती रही। भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि एलएसीपी शांति और सद्भाव द्विपक्षीय संबंधों के समग्रा विकास के लिए अहम है। पेंगोंग झील क्षेत्र में हिसक झड़प के बाद 5 मईं 2020 को पूवा लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। उस समय दोनों पक्षों ने धीरे- धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की अपनी तैनाती बढ़ा दी थी। सैन्य और वूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पेंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर और गोगरा क्षेत्र में वापसी की प्राव््िराया पूरी की थी। पेंगोंग झील क्षेत्र से वापसी की प्राव््िराया पिछले साल फरवरी में पूरी हुईं। जबकि गोगरा में गश्ती बिन्दु (17ए) में सैनिकों और उपकरणों की वापसी पिछले साल अगस्त में शुरू हुईं थी। हम इस ताजा डिस इंगेजमेंट का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि यह प्राव््िराया आगे भी जारी रहेगी।
——अनिल नरेन्द्र
ब्रrालीन शंकराचार्यं को भू-समाधि
शंकराचार्यं स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार शाम 5 बजे वैदिक मंत्रोचारण के साथ नरसिहपुर के जोगेश्वर में परमहंसी गंगा आश्रम में भू-समाधि दे दी गईं। इस दौरान हजारों शिष्य, अनुयायी और श्रद्धालु मौजूद रहे। सीएम शिवराज सिह चौहान और पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी स्वामी स्वरूपानंद के अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दी। स्वरूपानंद दो मठों (ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ व शारदा पीठ द्वारका) के शंकराचार्यं थे। इस बीच स्वामी सदानंद सरस्वती को गुजरात स्थित द्वारका पीठ का नया शंकराचार्यं बनाया गया है, जबकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को उत्तराखंड स्थित ज्योतिष पीठ का शंकराचार्यं बनाया गया है। इन दोनों का शंकराचार्यं स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का उत्तराधिकारी बनना पहले से ही तय था।
स्वामी स्वरूपानंद ने इस बात का संकेत 29 वर्ष पहले अपने दोनों शिष्यों की काशी में पद दीक्षा के बाद दे दिया था। उसी समय अविमुक्तेश्वरानंद और सदानंद शंकराचार्यं के प्रातिनिधि शिष्य घोषित किए गए थे। दोनों गुरु-भाइयों की पद दीक्षा 15 अप्रौल 2003 को काशी केदार खंड स्थित श्री विदृामंड में हुईं थी। सोमवार को शंकराचार्यं स्वरूपानंद सरस्वती के इच्छापत्र में भी इसका ऐलान कर दिया गया। अपने इच्छापत्र में शंकराचार्यं स्वरूपानंद सरस्वती ने लिखा था—मैं ज्योतिष पीठ पर शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद और द्वारका शारदा पीठ पर सदानंद को उत्तराधिकारी घोषित करता हूं।
शंकराचार्यं स्वरूपानंद जी के जाने से हिन्दू समाज को अभूतपूर्व क्षति हुईं है। मुझे भी बहुत वर्षो पहले उनके साथ वुछ समय बिताने का अवसर मिला था। मेरे मित्र सुरेश पचौरी के साथ मैं उनके नरसिहपुर आश्रम में ठहरा था। शंकराचार्यं जी को काफी करीब से देखा और मिला। बाद में वह दिल्ली आए यहां भी मैं उनसे मिलने गया। उनके चेहरे पर इतना तेज था कि वर्णन करना मुश्किल है। उनके जाने से साधु समाज को अभूतपूर्व क्षति हुईं है। उन्हें भुलाया नहीं जा सकता।
Thursday, 15 September 2022
रूसी सेना पर भारी पड़ती यूव्रेन सेना
पड़ती यूव्रेन सेना रूस-यूव्रेन युद्ध के दो सौ दिन बीतने के बाद भी रूस यूव्रेन को पूरी तरह से जीत नहीं पाया है। यूव्रेन के प्रमुख औदृाोगिक शहर खारकीव में कमजोर पड़ती अपनी सेना को देखते हुए रूस ने अपने सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा की है। सोशल मीडिया पर यूव्रेन के सैनिकों के नए इलाकों पर झंडे लहराने की तस्वीरों की बाढ़ सी आ गईं है। रूस के सैनिकों द्वारा छोड़े गए मोर्चो और बर्बाद सैन्य वाहनों की तस्वीरें भी खूब वायरल की जा रही हैं। यूव्रेन की सेना का दावा है कि उसने जवाबी हमलों में रूस के कब्जे वाले कम से कम तीन हजार वर्ग किलोमीटर इलाके को मुक्त करा लिया है। यूव्रेन में रूस आव्रामक कार्रवाईं पूर्वी यूव्रेन में कर रहा है। अगर यूव्रेन के दावों की पुष्टि हो जाती है तो इसका मतलब ये है कि इससे पहले से मुक्त कराए गए इलाकों से तीन गुणा और इलाकों को मुक्त करा लिया है। हालांकि रूस की सेना ने पुष्टि की है कि उसके सैनिक फिर से संगठित होने के लिए ही पीछे हटे हैं।
यूव्रेन के सैन्य बलों ने रूस के पीछे छोड़ दिए गए एक वाहन की तस्वीर 11 सितम्बर को जारी की। यूव्रेन के सैन्य बलों का दावा है कि उन्होंने वुपियानस्क और इजियूम पर नियंत्रण कर लिया है। ये रूस के कब्जे में आए अहम शहर थे जो आपूर्ति रूट के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। रूस की सेना ने अपने सैन्य बलों की इन शहरों से पीछे हटने की पुष्टि करते हुए कहा कि ऐसा करने से रूस के सैनिकों को फिर से संगठित होने का मौका मिलेगा। रूस के सैनिक अब रूस समर्थक अलगावादियों के नियंत्रण वाले इलाके में गए हैं। रूस की सेना ने एक तीसरे अहम शहर बालक्लिक से भी अपनी सेना के पीछे हटने की पुष्टि की है। यूव्रेन की सेना प्रमुख के प्रेस आफिस के मुताबिक जवाबी कार्रवाईं में रूस के भारी सैन्य वाहन भी यूव्रेन की सेना के कब्जे में आए हैं। यूव्रेन के राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की ने घोषणा की है कि खारकीव क्षेत्र में तीस कस्बे और गांव फिर से यूव्रेन के नियंत्रण में आ गए हैं। रायटर्स को एक वीडियो प्राप्त हुआ है जिसमें यूव्रेन के सैनिक बालक्लिक में दिखाईं दे रहे हैं।
रूस का मुकाबला करने के लिए अमेरिका की ओर से यूव्रेन को नाइट विजन उपकरण, समंदर उपकरण, एम 142 राकेट सिस्टम, एम 777 होवित्जर, गोला-बारूद, स्ट्रिंगर मिसाइल, हार्पूर मिसाइल, बख्तरबंद गािड़या, औररेबेन ड्रोन आदि की आपूर्ति की गईं। न्यूजीलैंड ने एल 119 होवित्जर तोप व अन्य आधुनिक हथियार दिए। प्रांस, स्वीडन, जर्मनी से एंटी टैंक हथियार, मिसाइल, होवित्जर तोपों, कनाडा नीदर लैंड, फिनलैंड, ब्रिटेन आदि ने अरबों की खेप भेजी। इसके अलावा यूव्रेन की मदद करने वाले देशों में बैल्जियम, नीदरलैंड, चैक रिपब्लिक, पुर्तगाल, ग्रीस, रोमानिया, इटली, तुर्की, स्विटजरलैंड आदि देश भी शामिल हैं।
——अनिल नरेन्द्र
पीिड़ता के लिए आवाज उठाना क्या अपराध है?
उठाना क्या अपराध है? पिछले 23 महीने से जेल में बंद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने शुव्रवार को जमानत दे दी। सिद्दीकी कप्पन को 5 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने मथुरा से गिरफ्तार किया था।
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित व न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने कप्पन की याचिका पर यह आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कप्पन के जेल में रहने की अवधि को रेखांकित करते हुए यह जानना चाहा कि कप्पन के खिलाफ ठोस सुबूत क्या हैं? अदालत ने पुलिस के दावे पर सवाल उठाया कि कप्पन और तीन अन्य के पास से ऐसे क्या दस्तावेज मिले जिससे पता चला कि दंगे भड़काने की साजिश थी। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने कहा, हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी है। वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि (हाथरस) पीिड़ता को न्याय दिलाने की जरूरत है और उन्होंने आवाज उठाईं क्या यह कानून की नजर में अपराध है? प्रधान न्यायाधीश ने यह टिप्पणी यूपी के अधिवक्ता महेश जेठमलानी के इस तर्व पर दी कि कप्पन एवं अन्य दंगे भड़काने के इरादे के साथ एक टूलकिट के साथ हाथरस जा रहे है।
जेठमलानी से न्यायाधीश ने पूछा कि जब्त दस्तावेज का कौन सा हिस्सा उकसाने वाला था? इससे पहले पीठ ने उत्तर प्रदेश के गृह विभाग से कप्पन की याचिका पर 5 सितम्बर तक जवाब देने को कहा था। पीठ ने यह भी कहा कि वह अगले छह हफ्ते दिल्ली में रहेंगे और बारह हफ्ते थाने में हाजिरी आदि की शर्ते पूरा करने के बाद वह केरल लौट सवेंगे।
पीठ ने आगे कहा कि 2011 में भी इंडिया गेट पर निर्भया के लिए विरोध प्रदर्शन हुए थे। कभी-कभी बदलाव लाने के लिए विरोध की जरूरत होती है। आप जानते हैं कि उसके बाद कानूनों में बदलाव आया था। ये विरोध-प्रदर्शन है। यूपी सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि कप्पन ने दंगा भड़काने के लिए ही हाथरस जाने का पैसला किया था। उनके टेरर पंडिंग करने वाले संगठन से गहरे संबंध हैं। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद लखनऊ जेल में बंद कप्पन को अभी जेल में रहना पड़ेगा। उस पर दर्ज (ईंडी) प्र्वतन निदेशालय का मामला अभी लंबित है। इस मामले में जमानत मिलने के बाद जेल प्रशासन उसे रिहा करेगी। जिला कारागार लखनऊ के जेलर राजेन्द्र सिंह का कहना है कि सुपीम कोर्ट से सिद्दीकी कप्पन को दी गईं जमानत का आदेश मिल गया है। इस संबंध में सोमवार को एडीजे तृतीय के यहां कप्पन को पेश कराया जाएगा। लंबित ईंडी के मामले में न्यायिक अभिरक्षा के लिए जेल में रखा जाएगा। कप्पन के सह आरोपी वैब चालक आलम को भी यूएपीए मामले में हाईंकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। लेकिन वह भी ईंडी मामले में अभी बंद हैं।
Tuesday, 13 September 2022
नीतीश किग या किगमेकर
पिछले एक महीने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश वुमार विपक्ष के तकरीबन 10 नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं जिनमें से तकरीबन आधा दर्जन से ज्यादा मुलाकातें पिछले तीन दिनों में हुईं हैं। बिहार में एनडीए का साथ छोड़े नीतीश वुमार को अभी महीना ही हुआ है लेकिन वो बिहार में कम और दिल्ली की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी लेते दिख रहे हैं।
दिल्ली दौरे के बाद 25 सितम्बर को वो हरियाणा में एक रैली में शिरकत करेंगे। आगे उनका पािम बंगाल जाकर ममता बनजा से मिलने का कार्यंव््राम भी है। नीतीश वुमार ने खुद बताया है कि वो जल्द ही दिल्ली का दूसरा दौरा भी करेंगे जब कांग्रोस नेता सोनिया गांधी इलाज के बाद वापस भारत लौटेंगी। इन मुलाकातों और दौरों के मायने भी निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश वुमार साल 2024 में विपक्ष का प्राधानमंत्री चेहरा बनना चाहते हैं, भले ही हर मुलाकात के बाद मीडिया में बात करते हुए नीतीश वुमार कहते हैं कि पीएम बनने की उनकी कोईं ख्वाहिश नहीं है। प्राधानमंत्री पद पर नीतीश वुमार की अघोषित दावेदारी पीएम मोदी की वजह से भी है। यह कहना है जेडीयू नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद केसी त्यागी का। नीतीश के दिल्ली दौरे के मायने और मकसद के बारे में बात करने के लिए वो बीबीसी दफ्तर आए थे। नीतीश के पीएम पद की दावेदारी पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा—प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि लोहिया, जॉर्ज फर्नाडीस के बाद नीतीश वुमार ऐसे नेता हैं जो परिवारवाद से दूर हैं, जातिवाद से दूर हैं और समाजवादी आंदोलन के जनक भी हैं, यह मेरा कहना नहीं है।
यह एक महीने पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है। इतना ही नहीं 2024 का एजेंडा खींचते हुए नरेंद्र मोदी ने लाल किले से कहा है कि अगली लड़ाईं मेरी भ्रष्टाचार और परिवारवाद के विरोध में होगी.. पीएम मोदी के इस वक्तव्य के बाद विपक्ष के पास सबसे बड़ा हथियार भ्रष्टाचार और परिवारवाद से लड़ने के लिए कोईं है तो वो नीतीश वुमार का है। नीतीश वुमार पर न तो कोईं भ्रष्टाचार का आरोप है और न ही परिवारवाद का आरोप है, वो मोदी ब्रांड ऑफ पॉलिटिक्स के मुकाबले हर तरह से फिट बैठते हैं। दरअसल पिछले दिनों जिस तरह से महाराष्ट्र में एनसीपी नेताओं पर जांच एजेंसियों की गाज गिरी है, जिस तरीके से ममता बनजा के करीबियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, दिल्ली में मनीष सिसोदिया और केजरीवाल को शराब नीति पर घेरा जा रहा है और सोनिया गांधी, राहुल गांधी ईंडी दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं.. इन सबके मुकाबले नीतीश की छवि तुलनात्मक रूप से साफ है। उन पर व्यक्तिगत तौर पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद के आरोप नहीं लगे हैं। हां, उनके विरोधी यह भी कहते हैं कि नीतीश मौका देखते ही पाला बदल लेते हैं। तमाम विपक्ष को एक मंच पर लाकर आपसी तालमेल बिठाना नीतीश के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।
——अनिल नरेन्द्र
हिजाब की तुलना पगड़ी से करना अनुचित
सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हिजाब मामले की सुनवाईं के दौरान गुरुवार को न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा कि हिजाब से सिख की पगड़ी की तुलना करना ठीक नहीं है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ यह तय कर चुकी है कि पगड़ी और वृपाण सिख की धार्मिक पहचान का अनिवार्यं हिस्सा है। सिखों के 500 सालों के इतिहास और संविधान के मुताबिक भी यह सर्वविदित तथ्य है, इसलिए सिखों से तुलना करना ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी हिजाब के पक्षकार याचिकाकर्ताओं के वकील निजाम पाशा की दलील के दौरान की। पाशा का कहना था कि सिख धर्म के पांच ककारों की तरह इस्लाम के भी पांच बुनियादी स्तम्भ हैं। निजाम पाशा ने कहा—हज, नमाज-रोजा, जकात, तौहीद और हिजाब को इस्लाम के पांच बुनियादी स्तम्भ बताया था। न्यायमूर्ति गुप्ता ने उन्हें टोका तो निजाम पाशा ने कहा कि हमारा भी यही कहना है कि 1400 साल से हिजाब भी इस्लामिक परंपरा का हिस्सा रहा है। लिहाजा कर्नाटक हाईं कोर्ट का निष्कर्ष गलत है। निजाम पाशा ने पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील देवदत्त कॉमत ने कहा कि मूल अधिकारों पर वाजिब प्रातिबंध हो सकता है, लेकिन यह तभी मुमकिन है जब यह कानून- व्यवस्था, नैतिकता या स्वास्थ्य के खिलाफ हो। यहां लड़कियों का हिजाब पहनना न तो कानून-व्यवस्था के खिलाफ है, न ही नैतिकता और स्वास्थ्य के खिलाफ। संविधान के मुताबिक सरकार का हिजाब पर प्रातिबंध का आदेश वाजिब नहीं है। कॉमत ने कहा—हर धार्मिक परंपरा जरूरी नहीं कि किसी धर्म का अनिवार्यं हिस्सा ही हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सरकार उस पर प्रातिबंध लगा दे। सिर्प उस परंपरा के कानून- व्यवस्था या नैतिकता के खिलाफ होने पर ही सरकार को यह अधिकार हासिल है। कॉमत ने दलील दी—मैं जनेऊ पहनता हूं। वरिष्ठ वकील के. परासरन भी पहनते हैं। लेकिन क्या यह किसी भी तरह से अदालत के अनुशासन का उल्लंघन है? इस पर जजों ने कहा कि आप अदालत में पहनी जाने वाली ड्रेस की तुलना स्वूल ड्रेस से नहीं कर सकते। बुधवार को वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने भी पगड़ी का हवाला दिया था। लेकिन पगड़ी भी जरूरी नहीं कि धार्मिक पोशाक ही हो। मौसम की वजह से राजस्थान में भी लोग अकसर पगड़ी पहनते हैं। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा कि सड़क पर हिजाब पहनने से भले ही किसी को दिक्कत न हो, लेकिन सवाल स्वूल के अंदर हिजाब पहनने को लेकर है। सवाल यह है कि स्वूल प्राशासन किस तरह की व्यवस्था बनाए रखना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां सवाल केवल स्वूलों में प्रातिबंध के बारे में है। किसी को भी हिजाब पहनने से मना नहीं किया गया।
वकील देवदत्त कॉमत ने कहा कि अप्रीका में स्वूल में नाक की लौंग पहनने की इजाजत दी गईं थी, यह संस्वृति का हिस्सा है। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि लौंग धर्म का हिस्सा नहीं है। मंगल सूत्र है।
Friday, 9 September 2022
मदरसों का सव्रे सही कदम
उत्तर प्रादेश के सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने रविवार को आयोजित सम्मेलन में अपना रुख स्पष्ट करते हुए प्रादेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सव्रे कराने के पैसले की तारीफ की। जमीयत-उलेमा-ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सरकार द्वारा कराए जा रहे मदरसों के सव्रे को लेकर किसी को आपत्ति नहीं है। रविवार को देवबंद की मशहूर मस्जिद रशीद में आयोजित सम्मेलन में दारुल उलूम ने प्रादेश सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सव्रे किए जाने को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया। इस सम्मेलन में उत्तर प्रादेश के विभिन्न मदरसों से आए प्राबंधकों और उलेमाओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में प्रादेश के 250 से अधिक मदरसा चालक एकत्र हुए। सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हम सरकार के सव्रे कार्यं की तारीफ करते हैं और अभी तक सव्रे की जो तस्वीर आईं है, वह सही तस्वीर है। मदनी ने मदरसा चालकों से आह्वान किया कि वह सव्रे में सहयोग करें, क्योंकि मदरसों के अंदर वुछ भी छिपा नहीं है और इनके दरवाजे सबके लिए हमेशा खुले हुए हैं। उन्होंने कहा कि मदरसे देश की व्यवस्था के हिसाब से चलते हैं। इसलिए उत्तर प्रादेश सरकार द्वारा कराए जा रहे सव्रे में सहयोग करते हुए सम्पूर्ण और सही जानकारी दें। मदनी ने कहा कि सम्मेलन में हमने यही कहा है कि मदरसा संचालक अपने दस्तावेज और जमीन के कागजात मुकम्मल रखें, वहां का ऑडिट, साफ-सफाईं और बच्चों की तबीयत आदि पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि कोईं मदरसा देश के संविधान के खिलाफ नहीं है और यदि एक-दो मदरसे उचित तरीके से काम नहीं कर रहे हैं तो उसके लिए पूरे मदरसे तंत्र पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए। अरशद मदनी ने इस मौके पर कहा कि अगर किसी सरकारी जमीन पर कोईं मदरसा बना है तो उसे खुद ही हटवा लिया जाए। साथ ही कहा कि उचित तरीके से काम नहीं कर रहे इक्का-दुक्का मदरसों की कार्यंप्राणाली को देखकर पूरे तंत्र पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए। मदनी ने यह भी कहा कि अगर किसी सरकारी जमीन पर कोईं मदरसा गैर-कानूनी तरीके से बना हुआ है और न्यायालय द्वारा उसे अवैध घोषित किया जाता है तो वह खुद ही उसे हटा लें, क्योंकि शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती। मदनी ने कहा कि दारुल उलूम ने अब अपना रुख बदल लिया है। अब उसका मकसद मजहब की हिफाजत करना है। साथ ही छात्रों को इंजीनियर, एडवोकेट और डॉक्टर बनाकर भेजना है। उन्होंने कहा कि किस तरह कौम को बेहतर बैरिस्टर, प्राोपेसर, इंजीनियर की जरूरत है। ठीक उसी तरह बेहतर से बेहतर मुफ्ती और आलिम-ए-दीन की जरूरत है। हमारे मुल्क में लाखों मस्जिदें हैं, हर मस्जिद के लिए इमाम की जरूरत है।
Tuesday, 6 September 2022
पत्रकार आतंकी नहीं हैं
सुप्रीम कोर्ट ने रंगदारी के एक मामले में झारखंड पुलिस के एक स्थानीय हिन्दी पत्रकार अरूप चटजा के घर रात में पहुंचने और उन्हें गिरफ्तार करने से पहले बैडरूम से घसीटकर बाहर लाने की घटना की निन्दा की है। कोर्ट ने कहा कि पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने पुलिस कार्यंवाही को राज्य की ज्यादती बताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि झारखंड में पूरी तरह अराजकता व्याप्त है। जस्टिस डीवाईं चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बैंच ने पत्रकार को अंतरिम जमानत देने के झारखंड हाईं कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
बैंच ने कहा—हमने मामले के तथ्यों को देखा है। ऐसा लगता है कि झारखंड में पूरी तरह अराजकता व्याप्त है। कोर्ट ने घटना पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए झारखंड के अतिरिक्त महाधिवक्ता अरुणम चौधरी से कहा—आप आधी रात को एक पत्रकार का दरवाजा खटखटाते हैं और उसे बैडरूम से बाहर निकालते हैं। यह बहुत ज्यादा है। आप ऐसा एक ऐसे व्यक्ति के साथ कर रहे हैं जो पत्रकार है और पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने कहा—हाईं कोर्ट ने सही तरह से एक विस्तृत आदेश के जरिये पत्रकार को अंतरिम जमानत दी, जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। न्यायाधीशों ने मामले का निपटारा करते हुए चौधरी से कहा—क्षमा करें, हम आपकी याचिका पर विचार नहीं करने जा रहे हैं। चूंकि यह एक अंतरिम आदेश है और मामला वहां लंबित है, आप जाकर हाईं कोर्ट से बात करें। चौधरी ने आरोप लगाया कि पत्रकार अरुप चटजा ब्लैकमेल करने और जबरन वसूली जैसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। इस पर बैंच ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि तीन दिन में बाहर आ गए, अन्यथा उनके जैसे लोगों को जमानत से पहले दो-तीन महीने जेल में बिताने पड़ते हैं। हाईं कोर्ट द्वारा 19 जुलाईं को चटजा को दी गईं जमानत के खिलाफ झारखंड सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अरुप चटजा की पत्नी और चैनल के निदेशक बेबी चटजा ने हाईं कोर्ट का रुख किया था और दावा किया था कि उनके पति को 16-17 जुलाईं, 2022 की मध्यरात्रि को उनके रांची स्थित आवास से रात 12:20 बजे गिरफ्तार किया गया जो दंड प्राव््िराया संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है।
——अनिल नरेन्द्र
एलजी बनाम आप
आबकारी नीति, स्वूल क्लास-रूम घोटाले में सीबीआईं और एंटी करप्शन को जांच का आदेश देने के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और आम आदमी पाटा (आप) के नेता आमने-सामने आ गए हैं।
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर सीबीआईं जांच के बाद अब आम आदमी पाटा के नेताओं द्वारा उपराज्यपाल सक्सेना को भी निशाने पर वुछ दिनों से लिया जा रहा है। दिल्ली में आम आदमी पाटा और भारतीय जनता पाटा (भाजपा) के आरोप-प्रात्यारोप में उपराज्यपाल को भी घसीट रहे हैं। आम आदमी पाटा के विधायक दुग्रेश पाठक ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर नोटबंदी के दौरान 1400 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया है। पाठक के आरोपों के बाद एलजी सक्सेना ने आतिशी, सौरभ भारद्वाज, दुग्रेश पाठक और जैसमीन शाह सहित अन्य के खिलाफ कानूनी कार्यंवाही करने की बात कही थी। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि वह आम आदमी पाटा के कईं नेताओं के खिलाफ लीगल एक्शन लेने जा रहे हैं, जिन्होंने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के बेहद अपमानजनक और झूठे आरोप लगाए थे। सोमवार को एलजी ने अपने कहे अनुसार आप के सभी नेताओं को कानूनी नोटिस भेज 48 घंटे में जवाब देने के लिए कहा है। एलजी सक्सेना कार्यांलय के अनुसार सीबीआईं ने जांच के बाद पाया कि केजेबी, नईं दिल्ली के खाते में केवल 17,07,000 रुपए विमुद्रीवृत मुद्रा के नोटों के रूप में जमा किए गए थे, जैसा कि सीबीआईं द्वारा रिपोर्ट किया गया था। उधर आम आदमी पाटा ने एक बयान जारी कर कहा कि हर कोईं मानता है कि उपराज्यपाल की अध्यक्षता में केवीआईंसी में बड़ी मनी लांड्रिंग घोटाला हुआ था। दो गवाहों ने अपना हस्तक्षारित बयान दिया है। फिर भी सीबीआईं ने उन्हें कभी भी आरोपी नहीं बनाया और जांच के लिए एक बार भी नहीं बुलाया। हमारी मांग है कि इस घोटाले में उनकी भूमिका की जांच हो और जांच के होने तक उन्हें एलजी पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कानून सबके लिए सामान रूप से लागू होना चाहिए। राजनिवास के सूत्रों ने बताया कि आठ नवम्बर 2016 को भारत सरकार ने एक हजार और 500 रुपए के नोट पर पाबंदी लगाईं थी। नौ नवम्बर को केवीआईंसी की ओर से इस संबंध में सर्वुलर जारी कर दिया गया। बाद में संज्ञान में आया कि खादी ग्रामोदृाोग भवन के खाते में अलग-अलग तारीखों में वुछ नोटबंदी वाले नोट जमा किए गए। मुख्य सतर्वता अधिकारी ने सीबीआईं को इसकी जानकारी दी और इसी आधार पर दोनों एजेंसियों ने अप्रौल 2017 में औचक जांच- पड़ताल की। प्राथमिक जांच-पड़ताल में दोषी पाए जाने पर खादी ग्रामोदृाोग भवन के चार अधिकारियों का निलंबन और ट्रांसफर किया गया।
Thursday, 1 September 2022
प्राधिकरणों व बिल्डरों का अहंकार भी ध्वस्त हुआ
घर खरीदने वालों की संस्था फोरम फॉर पीपुल्स क्लेक्टिव एफट्र्स ने नोएडा में सुपरटेक के जुड़वा टावरों को गिराए जाने को फ्लैट खरीददारों के लिए एक बड़ी जीत बताया है। संस्था के मुताबिक यह केवल इमारत का गिराना नहीं है बल्कि बिल्डरांे और प्राधिकारणों के अहंकार और उनकी सोच का ढहना है। बदनाम ट्विन टावर तो ढहा दिए गए, लेकिन एक सवाल अब भी बाकी है कि जिस तरह गठजोड़ की वजह से यह बने उन जिम्मेदार लोगों को सजा कब मिलेगी? अथॉरिटी में बैठे जिन अधिकारियों ने तमाम नियमों को दरकिनार कर नक्शे पास किए, बिल्डरों को एनओसी दी जब तक उनके खिलाफ कोईं कड़ी कार्रवाईं नहीं होती तब तक लोगों में यह भरोसा जगाना मुश्किल है कि अब आगे ऐसा नहीं होगा। यही वजह है कि अधिकतर लोग यह कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार का यह खेल ऐसे ही चलता रहेगा।
दूसरा सवाल यह है कि क्या बिल्डर लॉबी के मन में कोईं डर समाया होगा कि वे ऐसी कोईं मनमानी करने से पहले दस बार सोचें? क्या कोईं सिस्टम तैयार कर लिया गया है कि जहां घर खरीददारों के दिलों का ख्याल रखा गया हो? घर खरीदारों के लिए आवाज उठाने वालांे का कहना है कि रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानी रेरा के गठन के बाद बायर्स के हक काफी हद तक सुरक्षित हुए लेकिन उसमें कहीं भी अवैध निर्माण पर शिकायत को लेकर कोईं प्रावधान नहीं है। ऐसी शिकायतों के लिए बायर्स के पास संबंधित डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास जाने का ही विकल्प है जहां एक इन्फोर्समेंट टीम इसकी जांच करती है। लेकिन जो अधिकारी इन मिलीभगत में शामिल हों उनकी शिकायत उन्हीं के दफ्तर में करेंगे और जांच भी वही करेंगे तो इंसाफ वैसे मिलेगा? जरूरी है कि अथॉरिटी से कोईं अलग बॉडी बनाईं जाए जहां लोग अपनी शिकायत लेकर जा सवें क्योंकि अभी अगर अथॉरिटी सुनवाईं नहीं करती तो सिर्प हाईंकोर्ट जाने का ही विकल्प बचता है। लंबी कानूनी लड़ाईं की वजह से बहुत से लोग कोर्ट नहीं जाते और इसी का फायदा बिल्डर और अथॉरिटी उठाती है। कानूनों में जो कमियां हैं उन्हें रोका जा सकता है यानी एक बार जो प्लान सेक्शन हो, वही फाइनल हो, उसमें बार-बार बदलाव की इजाजत न दी जाए। आगे के लिए क्या सबक हो गया है ये केस। इनका जवाब है कि जल्द से जल्द जिम्मेवार लोगों पर कार्रवाईं हो। तभी लोग डरेंगे, वरना नहीं। इस खेल में कोईं निचले लेवल के अधिकारी ही शामिल नहीं होते हैं, ऊपर तक मिलीभगत होती है, उन सबको कठघरे में खड़ा कर जल्द से जल्द सजा दिलवाना जरूरी है।
——अनिल नरेन्द्र
अब तक 277 विधायक खरीदे जा चुके हैं
खरीदे जा चुके हैं पिछले वुछ दिनों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर जबरदस्त हमला बोल रखा है। आए दिन वह नए-नए आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में केजरीवाल ने भाजपा पर देशभर में विधायकों की खरीद फरोख्त करके चुनी हुईं सरकारों को गिराने का आरोप लगाया। दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में अपनी बात रखते हुए केजरीवाल ने भाजपा और प्रधानमंत्री का नाम लिए बिना कहा कि इन लोगांे की लड़ाईं भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं बल्कि सत्ता और स्वार्थ की लड़ाईं है। सिर्प एक आदमी की सत्ता की हवस पूरी करने के लिए ये सारी लड़ाईं लड़ी जा रही है। केजरीवाल ने भाजपा पर देश के कईं राज्यों में विधायक खरीदकर चुनी हुईं सरकारों को गिराने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग अभी तक देशभर में 277 विधायक खरीद चुकी है और इसके लिए साढ़े 5 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं।
इसके अलावा 800 करोड़ रुपए इन्होंने दिल्ली के 40 विधायकों को खरीदने के लिए रखे हुए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर यह 6300 करोड़ रुपए इनके पास आए कहां से और यह किसका पैसा है? केजरीवाल ने कहा कि इसका खुलासा करूंगा। असल में जब भी इन लोगों को कहीं विधायक खरीदने होते हैं या अपने दोस्तों के कर्ज माफ करने होते हैं तो यह लोग डीजल-पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी के दाम बढ़ा देते हैं। खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी लगा देते हैं और उस पैसे से ये सब काम करते हैं। अब अगले 10 दिन में झारखंड की सरकार गिराने के लिए यह सब किया जाएगा। उन्होंने देश की जनता के सामने सवाल उठाया कि क्या आपको ये मंजूर है कि आपका पैसा इन कामों पर खर्च हो? केजरीवाल ने एक दिन पहले भाजपा को सीरियल किलर कहा था (राज्यों का सीरियल किलर)। केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा, दही, छाछ, शहद, गेहूं, चावल आदि पर जो जीएसटी लगाया गया, उसमें केन्द्र सरकार के पास सालाना 7,500 करोड़ रुपए आएंगे। सरकारें गिराने पर अभी तक उन्होंने 6300 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। अगर ये सरकारें न गिरती तो गेहूं, चावल, छाछ आदि पर जीएसटी न लगाना पड़ता और लोगों को महंगाईं का सामना न करना पड़ता। सीएम केजरीवाल ने कहा कि ये सब गुजरात चुनाव तक चलने वाला है, क्योंकि गुजरात में अब इनका किला ढहने जा रहा है। वहां के लोग इनसे त्रस्त हो चुके हैं और आम आदमी की सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं।
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