Wednesday 18 December 2013

आप पार्टी ने कहा, अन्ना कौरवों के साथ हैं ः लोकपाल विधेयक पर मतभेद

लोकपाल के लिए एक साथ आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के बीच इसी विधेयक को लेकर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं या यूं कहें कि इसको लेकर दोनों में ठन गई है। इस विधेयक के राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास होने से पहले ही आम आदमी पार्टी और अन्ना हजारे के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। आप ने तो लोकपाल मुद्दे पर खुद को पांडव और अन्ना को एक तरह से सिंहासन से जोड़कर कौरवों का साथ देने वाला बता दिया। अन्ना केंद्र सरकार द्वारा लाए गए लोकपाल बिल का जहां समर्थन कर रहे हैं वहीं केजरीवाल इसे अब भी जोकपाल बिल बता रहे हैं। आप पार्टी के बड़बोले नेता कुमार विश्वास ने अन्ना के रुख पर फेसबुक पर लिखाöमहासमर में कभी-कभी ऐसा समय आता है, जब पितामह भीष्म के मौन और गुरु द्रोण के सिंहासन से सहमत हो जाने पर भी कंटकपूर्ण पथ पर चलकर पांच पांडवों को युद्ध जारी रखना पड़ता है। आप पार्टी युद्ध जारी रखेगी। इस बीच अरविंद केजरीवाल ने फिर मौजूदा लोकपाल को जोकपाल बताते हुए कहा कि इस बिल से मंत्री तो छोड़िए, चूहा तक जेल नहीं जा सकेगा। इस बिल से भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा बल्कि यह भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम करेगा। दूसरी ओर अन्ना हजारे ने कहा कि लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने इस विधेयक को अब तक ठीक से पढ़ा नहीं है। उन्हें इसे ठीक से पढ़ना चाहिए। अगर आम आदमी पार्टी को सरकारी लोकपाल पसंद नहीं आ रहा है तो वह आगे इसकी कमियां दूर करने के लिए आंदोलन करें। उधर अन्ना हजारे का अनशन आज भी जारी है। इस दौरान उनका वजन चार किलो घटा है। ब्लड प्रैशर लगातार बढ़ रहा है। समर्थन में जनसैलाब भी उमड़ रहा है। दिल्ली समेत कई राज्यों से दो से तीन हजार लोग रालेगण सिद्धि पहुंच रहे हैं। रविवार को मुंबई के डिब्बे वालों ने भी अनशन में भाग लिया। दोनों के बीच असहमति के आठ प्रमुख बिंदु हैं। नियुक्तिöप्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता, स्पीकर, चीफ जस्टिस और एक न्यायविद की समिति चुनाव करेगी। इसमें नेताओं का बहुमत है जबकि लोकपाल को इनके खिलाफ ही जांच करनी है। बर्खास्तगीöइसके लिए सरकार या 100 सांसद सुप्रीम कोर्ट में शिकायत कर सकेंगे। इससे लोकपाल को बर्खास्त करने का अधिकार सरकार, नेताओं के पास ही रहेगा। जांचöलोकपाल सीबीआई सहित किसी भी जांच एजेंसी से जांच करा सकेगा। लेकिन उसके हाथ में प्रशासनिक नियंत्रण नहीं रहेगा यानि जांच अधिकारियों का ट्रांसफर, पोस्टिंग सरकार के हाथ में ही होगी। व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शनöसरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले को संरक्षण के लिए अलग बिल बनाया है। उसे इसी बिल का हिस्सा होना चाहिए। सिटीजन चार्टरöसरकार ने आवश्यक सेवाओं को समय में  पूरा करने के लिए अलग से बिल बनाया है जबकि इस बिल का हिस्सा बनाना चाहिए था ताकि जन लोकपाल अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर सके। राज्यों में लोकायुक्तöलोक आयुक्तों की नियुक्ति का मामला राज्यों के विवेक पर छोड़ा गया है। अगस्त 2011 में संसद ने सर्वसम्मति से यह आश्वासन दिया था। फर्जी शिकायतेंöझूठी या फर्जी शिकायतें करने वाले को एक साल की जेल हो सकती है। इसके डर से लोकपाल में सही शिकायतें नहीं होंगी। जन लोकपाल में जुर्माने की व्यवस्था है जेल की नहीं। अंतिम है दायरे को लेकर। न्यायपालिका के साथ ही सांसदों के संसद में भाषण व वोट के मामलों को अलग रखा है वहीं जन लोकपाल बिल में जजों, सांसदों सहित सभी लोक सेवकों को रखा था।

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