Saturday, 21 December 2013

केजरीवाल का नया ड्रामा ः सरकार बनानी है या नहीं फैसला रायशुमारी से?

आप पार्टी द्वारा सरकार बनाने या न बनाने का ड्रामा बदस्तूर जारी है। बिग बॉस के रिएलिटी शो की तरह अब केजरीवाल भी अपने समर्थकों से पूछ रहे हैं कि वह सरकार बनाएं या न बनाएं? आप पार्टी थिंक टैंक के प्रमुख सदस्य योगेन्द्र यादव ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि हमारे पास नैतिक जनादेश है। हालांकि हमारे पास सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं है इसीलिए हम जनता से पूछ रहे हैं कि हम क्या करें? एक अन्य नेता मनीष सिसोदिया कहते हैं कि हमारा प्रायोजन सरकार बनाने का नहीं है कि हम चार लोग एक कमरे में फैसला ले लें। हमारे लिए जनता का फैसला ही सार्वमान्य है। सही मायनों में यही लोकतांत्रिक ढंग से ठीक भी है। अगर बहुमत में जनता हमें आदेश देगी तो हम सरकार बनाएंगे। सिर्प एक बार जनता को चुनाव का मौका देकर विजयी नेताओं के फैसले उन पर थोपे जाने ठीक नहीं हैं। इधर बुधवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से दिल्ली में साझा सरकार के गठन के खिलाफ हैं, लेकिन पार्टी के भीतर इस मामले पर मतभेद के बाद हमने दिल्ली की जनता से रायशुमारी कराने का फैसला किया है। केजरीवाल ने कहा कि वह जनता के फैसले का सम्मान करेंगे। चाहे वह पार्टी के लिए हो या उसके खिलाफ। उन्होंने बताया कि इस मामले में पार्टी में मतभेद हैं और विधायकों की बैठक के दौरान एक वर्ग का ख्याल था कि आप को सरकार बनाने से बचना नहीं चाहिए क्योंकि कांग्रेस उसे बिना शर्त समर्थन दे रही है। कुछ विधायकों के अनुसार पार्टी अपना एजेंडा लागू कर पाएगी क्योंकि कांग्रेस की तरफ से कोई दखलअंदाजी नहीं होगी। केजरीवाल ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से सरकार बनाने के खिलाफ था क्योंकि हमने बार-बार कहा है कि हम कांग्रेस अथवा भाजपा को न तो समर्थन देंगे और न ही उनसे समर्थन लेंगे लेकिन बाद में लोगों के एक वर्ग ने यह कहना शुरू कर दिया कि हमें सरकार बनानी चाहिए, जबकि दूसरा वर्ग इसका विरोध कर रहा था, इसलिए हमने इस बारे में फैसला जनता पर छोड़ा है। चाहे वह एसएमएस हो, चाहे सोशल साइट्स केजरीवाल को जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है। 24 घंटे के अन्दर चार लाख मैसेज आ गए। 23 घंटों में 2362 कमेंट, 177 शेयर, 2616 लाइक्स। खुद अरविन्द केजरीवाल पर 15604 कमेंट, 1709 शेयर, 14531 लाइक्स। ट्विटर पर भी जबरदस्त रिस्पांस आया है। कुछ कमेंट्स इस प्रकार हैंöसचिन कुमार ः अरे भाई सरकार बनाओ, काम करके दिखाओ और फिर भी कांग्रेस समर्थन वापस लेती है तो जनता उसका जवाब देगी। टेंशन क्यों लेते हो। अरविन्द तिवारी ः भाई साहब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही में वरदहस्त लोग हैं वो नहीं चाहते कि कोई और हमारे बीच खड़ा हो। यह सब केजरीवाल को फंसाने में लगे हैं। ओम भौंसले ः मैं आपके साथ हूं। लायन अनिल मेहता ने लिखा कि नम्बरदार पहले खुद को बदलो फिर सिस्टम बदलना। मनीष चौधरी ः सरकार नहीं तो पार्टी भी गई। विकास महाजन ः जी बिल्कुल जाइए सरकार बनाइए वरना दूसरा मौका शायद ही सामने आए। रिकी शर्मा ः आपको सरकार बनाकर एक उदाहरण पेश करना चाहिए। कुछ लोगों ने इस रायशुमारी या जनमत संग्रह के तरीके पर सवाल उठाया है। यह मतदान कितना निष्पक्ष होगा? इसके लिए चलाए जा रहे मोबाइल और इंटरनेट पोल पर सवाल उठ रहे हैं कि इससे यह कैसे सुनिश्चित होगा कि वह व्यक्ति दिल्ली का मतदाता है या नहीं। हालांकि आप पार्टी का कहना है कि इसका इंतजाम उसने पहले ही कर लिया है। पार्टी के दिल्ली प्रदेश सचिव दिलीप पांडे कहते हैं कि बुधवार शाम तक इस पर कुल 4.10 लाख लोगों की प्रतिक्रिया मिल गई थी। पार्टी ने अब तक इस बात का खुलासा नहीं किया कि इसमें से कितने पक्ष में थे और कितने विपक्ष में। कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेसी और भाजपाई भी आप को कन्फ्यूज करने के लिए धड़ाधड़ मैसेज करवा रहे हैं। उधर दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव उमेश सहगल ने आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविन्द केजरीवाल द्वारा सूबे में नई सरकार के गठन के लिए जनता की राय पूछने के तरीके पर सवाल उठाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया पर आम आदमी के करीब एक करोड़ रुपए खर्च होंगे। केजरीवाल को बुधवार को भेजे गए अपने पत्र में सहगल ने कहा है कि यदि दिल्ली का हर मतदाता मान लीजिए एक करोड़ मतदाता फोन अथवा एसएमएस के जरिये अपनी राय भेजता है तो इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक करोड़ रुपए खर्च होगा। ऐसे में सवाल है कि फैसला आपको लेना है और पैसे जनता के खर्च हों? जितना समय निकलता जा रहा है आप पार्टी की आलोचना बढ़ती जा रही है। अन्ना ने केजरीवाल पर कटाक्ष करते हुए यहां तक कह दिया कि उनका आंदोलन विदेशी चंदे पर नहीं चलता। रालेगण सिद्धि के लोगों ने मेरे अनशन के लिए दिन-रात मेहनत की है और पांच-पांच रुपए इकट्ठे कर डेढ़ लाख रुपए इकट्ठे हुए जिसमें से एक लाख तो टैंट का ही खर्चा है। भारतीय जनता पार्टी ने भी आप पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, भाजपा नेता नितिन गडकरी ने आप पर तीखा हमला करते हुए अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी की गतिविधियों को बुधवार को दक्षिणपंथी माओवादी करार दिया और कहा कि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए लोगों के विचार एकत्र करने का कदम लोकतंत्र का उपहास है। गडकरी ने कहा कि आप लोकप्रिय जनादेश का तमाशा बना रहे हैं और लोगों से पूछ रहे हैं कि उनका आगे का कदम क्या होना चाहिए। जब कांग्रेस ने उसे बिना शर्त समर्थन की पेशकश की है तो आप सरकार क्यों नहीं बना रही है? आप की गतिविधियां दक्षिणपंथी (कम्युनिस्ट) माओवादी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पार्टी और उसके नेताओं का मुख्य काम सिर्प अन्य पर हमला करना और बेबुनियाद आरोप लगाना है। भाजपा 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन खंडित जनादेश के चलते वह सरकार बनाने में सक्षम नहीं है। बेशक भाजपा विधायक दल के नेता डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आप को 28 सीटें देकर जनता ने दूसरी बड़ी पार्टी के तौर पर चुना है तो फिर इसके नेता जनमत संग्रह का ढोंग क्यों कर रहे हैं, जबकि इसका परिणाम पहले से ही तय है। उन्होंने आप से 14 सवाल भी पूछे हैं, आप जनता को जवाब दे कि दिल्ली में सरकार बनाएगी या नहीं? कांग्रेस का समर्थन लेगी या नहीं? अनिश्चय की स्थिति में दिल्ली का विकास बाधित हो रहा है इसके लिए आप दोषी है या नहीं? आप द्वारा एक ओर कांग्रेस पर आरोप लगाए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बना रही है? क्या यह नूराकुश्ती है? दोनों पार्टियों में अन्दरखाते क्या डील हुई है? भाजपा स्पष्ट कर चुकी है कि सरकार नहीं बनाएगी तो आप ने भाजपा को पत्र क्यों लिखा? सरकार बनाने के लिए आप द्वारा ड्रामा क्यों रचा जा रहा है? इत्यादि-इत्यादि।

-अनिल नरेन्द्र

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