Thursday 26 December 2013

जो भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं वही उसके खिलाफ उपदेश दे रहें हैं?

कांग्रेस पार्टी का भ्रष्टाचार और घोटालें में कथनी और करनी में हमेशा फर्क रहा है। ताजा उदाहरण है उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भ्रष्टाचार के खिलाफ उपदेश देने का और महाराष्ट्र में आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट को दफन करना। राहुल गांधी  तो इधर कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार देश का सबसे बड़ा मुद्दा है, जो लोगों को चूस रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अनियंत्रित शक्तियां परियोजनाओं को रोक रही हैं। उन्होंने महंगाई पर भी काबू करने की बात कही। इधर राहुल यह सब कह रहे हैं उधर कांग्रेस की ही महाराष्ट्र सरकार उन्हें ठेंगा दिखा रही है। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने साफ कह दिया है कि आदर्श हाउसिंग घोटाले मामले में जांच आयोग की सिफारिशें नहीं मानी जाएंगी। चव्हाण ने यह फैसला जनहित के नाम पर किया है। इसको लेकर सीधे तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर सियासी हलकों में उंगलियां उठने लगी हैं। इन्हीं कारणों से भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को यह कहने का मौका मिला कि जो भ्रष्टाचार में डूबे हैं वही अब उसके खिलाफ उपदेश दे रहे हैं। मोदी ने मुंबई में एक विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैंने कांग्रेस के एक बड़े नेता के भाषण सुने। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे थे। उनका साहस तो देखिए। कोई अन्य इतना साहस नहीं कर सकता। यह लोग भ्रष्टाचार में इतने डूबे हुए हैं इसके बावजूद मासूम चेहरा बनाते हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते हैं। उन्होंने राहुल गांधी की ओर इशारा करते हुए कहा कि आदर्श आयोग की रिपोर्ट में मंत्रियों को अभ्यारोपित किया गया है। एक ओर महाराष्ट्र सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने का फैसला करती है और दूसरी ओर कांग्रेसी नेता दिल्ली में उपदेश दे रहे हैं। कांग्रेस बोलती कुछ है और करती कुछ है। आदर्श सोसायटी घोटाले की गिनती पिछले कुछ वर्षें के भ्रष्टाचार के सबसे चर्चित मामलों में होती रही है। वर्ष 2010 में जब इसका खुलासा हुआ, तब देश का सियासी तापमान ब़ढ़ गया था। इसकी जांच रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। यह बेहद अफसोसजनक है कि महाराष्ट्र सरकार ने आदर्श सोसायटी काण्ड की जांच रिपोर्ट खारिज कर दी है पर शायद यह कोई हैरत की बात नहीं है। अगर महाराष्ट्र सरकार ने यह रिपोर्ट स्वीकार की होती तो उसके सामने कैसी राजनीतिक मुश्किलें आती इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। न्यायमूर्ति जेए पटेल की अध्यक्षता वाले दो सदस्यीय जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जिन लोगों की भूमिका पर उंगली उठाई है उनमें चार पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं। इनमें गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी हैं। यह सभी कांग्रेस से ताल्लुक रखते हैं। इसके अलावा राज्य के दो कैबिनेट मंत्रियों का भी नाम है जिनका नाता कांग्रेस के सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांगेस पाटी से है। महाराष्ट्र में कांगेस और राकांपा के गठजोड़ की सरकार है। इस काण्ड की वजह से अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। रिपोर्ट में सबसे तीखी टिप्पणी उन्हीं के खिलाफ है। कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए इस मामले को ठण्डे बस्ते में डाल देना आसान नहीं होगा। आदर्श सोसायटी काण्ड मंत्रियों और नौकरशाहों द्वारा विवेकाधिकार के दुरुपयोग की देन है। राहुल गांधी दिल्ली में उद्योग संगठन फिक्की के कार्यकम में कहते हैं कि हम (उनकी पाटी) भ्रष्टाचार के मुद्दों पर जीरो टालरेंस की नीति अपनाएंगे। इसमें किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा क्योंकि तमाम बड़ी समस्याओं की जड़ में भ्रष्टाचार है। दुख से कहना प़ड़ता है कि कांग्रेस हाल के विधानसभा परिणामों से कोई सबक नहीं ले रही। यह अब भी जनता को टेकन फार ग्रांटेड ले रही है। जनता जागरुक हो चुकी है अब उसे कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क साफ नजर आ रहा है।

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