Tuesday, 31 December 2013

राहुल का बयान ः हम तो डूबेंगे साथ कांग्रेस को भी डुबा देंगे

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने लगता है कि नए अवतार के रूप में जन्म लिया है। राहुल गांधी के नए अवतार को न तो हम समझ सके हैं और न ही पार्टी के कई वरिष्ठ नेता। वह कब क्या कह दें, कर दें इससे पार्टी में हड़कम्प मचा हुआ है। राहुल गांधी की भ्रष्टाचार के दाग से खराब हो चुकी कांग्रेस की छवि को निखारने की इसे कोशिश कहा जाए या फिर जनता की नब्ज पहचानने की रणनीति समझी जाए। सजायाफ्ता सांसदों व विधायकों को बचाने के लिए केंद्र के एक अध्यादेश को बकवास व फाड़ने लायक बताकर सरकार का फैसला बदलवा चुके राहुल ने इस बार महाराष्ट्र सरकार को हिलाकर रख दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की मौजूदगी में शुक्रवार को राहुल ने कहा कि आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट खारिज करने के फैसले पर राज्य सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। कांग्रेस शासित एक दर्जन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद राहुल गांधी ने यह टिप्पणी की। रिपोर्ट में कई पूर्व मुख्यमंत्री व अन्य फंसे हुए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने चव्हाण की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इसे सर्वसम्मति से रिपोर्ट को खारिज किया था। राहुल की टिप्पणी के बाद असहज महसूस कर रहे चव्हाण ने कहा कि वह अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों से इस बारे में बात करेंगे। क्या राहुल को यह समझ नहीं आ रहा कि उनके इस स्टैंड से इसका असर पार्टी के बड़े नेता सुशील कुमार शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर  भी पड़ सकता है? यह दोनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। दोनों नेताओं पर रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणियां हैं। आदर्श जांच समिति की रिपोर्ट में दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। शुक्रवार को अपने सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक राहुल ने खुद अकेले ली जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दिल्ली में होने के बावजूद बैठक से दूर रहीं। आदर्श जांच समिति की रिपोर्ट को महाराष्ट्र सरकार के खारिज करने के फैसले पर ऐतराज जताया, साथ दो टूक कहा कि आदर्श घोटाले में कांग्रेस की चव्हाण सरकार आरोपी नेताओं को नहीं बचा सकती। राहुल के गुस्से और तल्ख अंदाज से मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ पार्टी नेताओं में हड़कम्प मच गया है। पार्टी के अन्दर दो तरह की सोच चल रही है। एक सोच यह है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष एक ओर लोकपाल विधेयक को अपनी उपलब्धि बताना चाहते हैं वहीं दूसरी ओर विपक्ष उस पर दोषियों को बचाने का आरोप मढ़े, यह कैसे चलेगा? राहुल गांधी की मंशा को ध्यान में रखते हुए अगर आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट नामंजूर करने का ठीकरा अगर मुख्यमंत्री चव्हाण पर फूटा तो उसकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है। अगर जांच रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई शुरू हुई तो महाराष्ट्र से दिल्ली तक कांग्रेस को इसकी आंच में झुलसना पड़ेगा। महाराष्ट्र के मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की मुसीबतें और कांग्रेस की मुसीबतें कई गुना बढ़  जाएंगी। राहुल के दिल्ली में दिखाए तेवरों के तुरन्त  बाद महाराष्ट्र भाजपा के महासचिव विनोद तावड़े ने चव्हाण के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। कांग्रेस के अन्दर एक वर्ग ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि राहुल को हटाओ, कांग्रेस  बचाओ। राहुल गांधी के आम आदमी पार्टी के समर्थन के हुक्मनामें को तो खुली चुनौती दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने दी है जिससे प्रदेश के नेता क्षत्रप दबे स्वर में राहुल गांधी के विरुद्ध सक्रिय हुए हैं। कांग्रेस के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने रहस्योद्घाटन किया कि पार्टी संगठन और सरकार में तीन समांतर सत्ता केंद्र (अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह) के होने से विभ्रम अंतर्विरोध की जटिल समस्या पैदा हो गई है। युवराज राहुल गांधी के अराजनीतिक नवरत्नों के निर्णय पार्टी की जड़ों में मट्ठे का काम कर रहे हैं। यद्यपि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सूत्रों ने राहुल गांधी को हटाने के खुले पत्र के समाचार का प्रतिवाद किया है लेकिन भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार हाल ही में सम्पन्न राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ विधानसभाओं में कांग्रेस की अपमानजनक हार के लिए पार्टी कॉडर राहुल गांधी को ही दोषी ठहरा रहे हैं। यह वर्ग कह रहा है कि (फिलहाल दबे लफ्जों में) राहुल गांधी हटाओ, कांग्रेस बचाओ। अगर राहुल एण्ड पार्टी का रवैया ऐसा ही रहा तो यह कांग्रेस पार्टी को ले डूबेंगे।

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