Saturday 28 December 2013

भारत सरकार के देवयानी मसले पर स्टैंड से बौखलाया अमेरिका

अमेरिका में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के मामले में भारत सरकार ने जिस तरह की कड़क मिजाजी दिखाई है उसके सकारात्मक परिणाम दूसरे देशों से भी सामने आने लगे हैं और भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में यह चर्चा शुरू हुई है कि आखिर कब तक दुनिया अमेरिका की दादागिरी को बर्दाश्त करेगी? पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी भारत के स्टैंड को समर्थन मिल रहा है। द नेशन अखबार अपने सम्पादकीय में लिखता है कि इस पर किसको शक होगा? यह माना जाता है कि उसकी हुकूमत में  दुनिया के सबसे जहीन और आला दिमाग शख्स शामिल होंगे। लेकिन हिन्दुस्तान के वाणिज्य दूतावास की सीनियर अफसर देवयानी की गिरफ्तारी और उनके साथ की गई बदसुलूकी अमेरिकी प्रशासन की सियासी सूझबूझ पर किसी के अन्दर शक पैदा कर सकती है। आखिर यह नौबत आई कैसे? यह जो पूरा ड्रामा है और इससे जो तल्खी पैदा हुई है उसे टाला जा सकता था। पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने अमेरिका को चेताते हुए कहा कि देवयानी की गिरफ्तारी में शामिल रहे अमेरिकी अभियोजक, मार्शल और उनकी गिरफ्तारी पर हस्ताक्षर करने वाले विदेश विभाग के अधिकारियों ने कथित घरेलू अपराध को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप दे दिया है। उन्होंने अमेरिका को लाहौर में अमेरिकी दूतावास में कार्यरत रहे रेमंड डेविस मामले की याद भी दिलाई। पिछले साल दो पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या करने वाले अमेरिकी राजनयिक रेमंड डेविस का हवाला देते हुए हक्कानी ने कहा कि हमने डेविस के मामले को पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों के आधार पर लिया था जबकि यह खून का मामला था जो एक गम्भीर अपराध था। मुझे भी किसी आम व्यक्ति की तरह इस बात पर गुस्सा आया था कि एक शख्स ने भरे बाजार में दो लोगों की हत्या कर दी थी जबकि उनकी जान को कोई खतरा नहीं था। नियमत डेविस के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई होनी चाहिए थी। इस कार्रवाई से अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध प्रभावित हो रहे हैं। देवयानी के मामले में सख्त हुई यूपीए सरकार ने इसी क्रम के चलते बहरीन के एक राजनयिक के खिलाफ अपनी मुंबई हाउसिंग सोसाइटी की एक महिला प्रबंधक के साथ छेड़छाड़ करने को लेकर एक मामला दर्ज किया है। हालांकि उन्हें प्राप्त राजनयिक विशेषाधिकारों के चलते गिरफ्तार नहीं किया गया। यह देवयानी मामले के बाद आए कड़े रुख का ही नतीजा है। उधर देवयानी के पिता उत्तम खोबरागड़े ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी की पूर्व नौकरानी संगीता रिचर्ड अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की एजेंट हो सकती है। देवयानी को तो बलि का बकरा बनाया जा रहा है। अमेरिका के दोहरे मापदंडों का एक उदाहरण हैöसउदी अरब और रूस के राजनयिकों की गलतियों पर आंखें मूंदना। सउदी के सैन्य अटैची के वाशिंगटन स्थित आवास से जुल्म ज्यादती से तंग फिलीपींस की दो महिलाओं को बचाया गया था जबकि रूस के पूर्व एवं मौजूदा 49 राजनयिकों व उनके परिजनों पर अमेरिकी स्वास्थ्य योजनाओं में 15 लाख डॉलर (करीब 9.24 करोड़ रुपए) की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है। इनमें 11 तो अब भी अमेरिका में तैनात हैं। गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मैरी हर्प इस सवाल का जवाब नहीं दे पाईं कि देवयानी के प्रति सख्ती बरतने वाला अमेरिकी प्रशासन सउदी अरब और रूस के राजनयिकों की गलतियों पर क्यों आंखें मूंद रहा है? इधर नई दिल्ली में भारत अमेरिकी कांग्रेस के विरोध के बावजूद अमेरिकी दूतावास के आसपास फिर से सुरक्षा तामझाम खड़ा करने के मूड में नहीं है। गौरतलब है कि बीते 17 दिसम्बर को अमेरिकी दूतावास के गेट और सड़क से सुरक्षा खत्म किए जाने के बाद पहली बार अमेरिकी कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। भारत ने साफ संकेत दिया है कि देवयानी की गिरफ्तारी के मामले में सम्मानजनक हल न निकलने तक उसका यूएस दूतावास के समक्ष फिर से सुरक्षा तामझाम खड़ा करने का कोई इरादा नहीं है। भारत इस मामले में अपने रुख को और कड़ा करते हुए बीते सोमवार को ही अमेरिकी राजनयिकों के विशेषाधिकार खत्म कर चुका है। खबर अब यह भी है कि भारत अमेरिकी दूतावास, वाणिज्यिक दूतावास तथा स्कूलों तथा अन्य संस्थानों में कार्यरत अपने देश के लोगों को मिलने वाली सुविधाएं व वेतन की जानकारी मांग कर अमेरिका की दुखती रग पर हाथ रखने वाला है। दरअसल अमेरिका देवयानी की नौकरानी को 35000 रुपए वेतन देने को भी बेहद कम बता रहा है अपने संस्थानों में कार्यरत कई भारतीय कर्मचारियों को इसका आधा वेतन भी नहीं देता। राजनयिकों के यहां कार्यरत घरेलू नौकरों का तो अमेरिकी दूतावास के पास कोई रिकार्ड ही नहीं है। भारत के पास इन कर्मचारियों को रखने और निकालने के दौरान भारतीय श्रम कानूनों के उल्लंघन के कई सुबूत हैं। यही कारण है कि अमेरिका जहां इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराने में अधिक समय की मांग कर मामले को टालने की कोशिश में है। आज पूरा देश इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ है। आप अड़े रहो, इसका फायदा इसी जगह ही नहीं, कई और जगहों पर भी मिलेगा। दुनिया झुकती है, झुकाने वाला चाहिए।

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