Tuesday, 3 December 2013

मेरी तुलना तरुण तेजपाल से न की जाए ः जस्टिस गांगुली

तहलका के सम्पादक तरुण तेजपाल यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे तो इसकी आंच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार गांगुली तक पहुंच गई है। हर तरफ दबाव बढ़ रहा है कि यौन शोषण के एक मामले में उन्हें भी कानूनी घेरे में लिया जाए। ये सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि वे देश के सबसे बड़े न्याय मंदिर के न्यायमूर्ति रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें कोई रियायत नहीं मिलनी चाहिए। वैसे भी इन दिनों तेजपाल का मामला गम्भीर है इसी के चलते अब जस्टिस गांगुली को भी यौन उत्पीड़न के मामले में लम्बी लड़ाई व जलालत झेलनी पड़ सकती है। एक महिला वकील ने उन पर आरोप लगाया था कि जब वह लॉ इंटर्न के रूप में अपने दादा की उम्र वाले इन जज महोदय के साथ काम कर रही थीं तो एक दिन होटल के कमरे में इन जज महाशय ने उनका यौन शोषण किया था। लेकिन उस समय वह चुप रही। पिछले दिनों जब जांबाज पत्रकार तरुण तेजपाल के कारनामों का खुलासा हुआ तब एक एनजीओ में काम करने वाली इस युवा महिला वकील ने ब्लॉग में लिखकर खुलासा किया कि जब पिछले साल दिल्ली सहित पूरा देश `निर्भया' रेप कांड से आंदोलित था, तो उसी दौर में सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज ने उसके ऊपर भी झपट्टा मारा था। किसी तरह से वह बच गई। लेकिन लम्बे समय तक सदमे में रही। यह खुलासा होने के बाद सनसनी फैल गई। चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के  एक रिटायर्ड जज का था। ऐसे में मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम ने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की एक जांच समिति जस्टिस आरएफ लोढ़ा की अध्यक्षता में बना दी। इस जांच समिति में जस्टिस लोढ़ा के साथ जस्टिस एमएल गट्टू और जस्टिस रंजना देसाई हैं। यह तीन सदस्यीय जांच समिति 12 से 27 नवम्बर तक आठ बैठकें कर चुकी है। समिति के सामने पीड़िता महिला वकील और आरोपी जस्टिस एके गांगुली भी पेश हुए। पीड़िता ने समिति के सामने उस घटना का पूरा ब्यौरा दिया है। उसने जानकारी दी कि पिछले साल 24 दिसम्बर को उसके साथ यह हादसा हुआ था। यह समय वही था जब दिल्ली में निर्भया कांड को लेकर बड़ा आंदोलन चल रहा था। पूरा देश यौन उत्पीड़न के इस मामले में उत्तेजित था। उल्लेखनीय है कि दिसम्बर 2008 से फरवरी 2012 तक जस्टिस गांगुली सुप्रीम कोर्ट के जज रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद वह एक किताब लिख रहे हैं। इसी लेखन के काम में वह लड़की उनका सहयोग कर रही थी। इसी दौरान यह हादसा हुआ। अब पीड़िता एक एनजीओ में काम कर रही है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट चीफ जस्टिस को सौंप दी है। इसमें जस्टिस गांगुली का बयान भी दर्ज है। दुष्कर्म के आरोप में नाम आने के बाद वे खुद भी सामने आए और सफाई दी। कहाöमैं आरोपों से दुखी हूं और आहत हूं। मैंने जांच समिति को बताया कि इंटर्न के हर आरोप गलत हैं। नहीं जानता कि ऐसे आरोप मेरे खिलाफ क्यों लगे हैं? इस मामले की तुलना तरुण तेजपाल के मामले से नहीं होनी चाहिए। जस्टिस गांगुली ने कहाöउस वक्त मेरे साथ दो इंटर्न काम करती थीं। एक शादी के  बाद विदेश चली गई उसकी जगह यह लड़की आई थी। मैंने इसके लिए पोस्टर नहीं लगाए थे वह खुद आई थी। होटल में बुलावे के आरोप पर जस्टिस गांगुली ने कहाöमैं दिल्ली में था। वह भी दिल्ली में थी। उसे पता था कि मैं दिल्ली में हूं और वह खुद मुझ से मिलने आई थी। होटल में काम के बाद उसने मेरे साथ डिनर किया। यदि उसे मेरे साथ काम करना अच्छा नहीं लग रहा था तो वह किसी भी क्षण जा सकती थी। उसके बाद वह कई बार मिलती रही। मेरे घर भी आई। मैंने उसके साथ हमेशा अपनी बच्चों की तरह बर्ताव किया। बेगुनाही साबित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं इन आरोपों को निगेटिव कैसे साबित कर सकता हूं? टीवी चैनलों पर जस्टिस गांगुली ने कहा कि मैं हालात का शिकार हुआ हूं पर किसी बात के लिए शर्मिंदा नहीं हूं। मैंने उस लड़की से भी सम्पर्प करने की कोशिश की, लेकिन उसने कोई रिस्पांस नहीं दिया। मुझे उम्मीद है कि लोग मेरे काम का आंकलन इस घटना के आधार पर नहीं करेंगे। इस तरह के आरोपों से सुप्रीम कोर्ट में ईमानदार जजों का काम करना मुश्किल हो जाएगा। सवाल है कि अब आगे क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट के वकील रोहित शंकर के मुताबिक मामला चीफ जस्टिस के पास है। कमेटी की रिपोर्ट पर वही कोई निर्देश दे सकते हैं। अगर उन्हें लगता है कि यह मामला बनता है तो वह पुलिस को जांच के निर्देश दे सकते हैं। वहीं दिल्ली हाई कोर्ट के वकील अजय दिगपाल का कहना है कि चूंकि महिला वकील ने जो आरोप लगाए हैं वह संज्ञेय है लिहाजा पुलिस खुद एफआईआर दर्ज कर सकती है। जैसा तरुण तेजपाल के मामले में हुआ पर मामला चीफ जस्टिस के पास है, इसलिए पुलिस उनके रुख का इंतजार करेगी। अब आगे का सारा दारोमदार चीफ जस्टिस पी. सदाशिवम के विवेक पर है।

-अनिल नरेन्द्र

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