मुजफ्फरनगर
दंगे और उसके बाद उत्पन्न हुई स्थिति ने उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार के
नाक में दम कर रखा है। हमें नहीं लगता कि अखिलेश सरकार इस मौजूदा स्थिति से निपटने
में सक्षम दिखाई दे रही है। इस सरकार का न तो अपने कार्यकर्ताओं पर कोई कंट्रोल है, न मंत्रियों पर और न ही अधिकारियों
पर। अराजकता की स्थिति बनी हुई है। अगर हम बात करें मुजफ्फरनगर और शामली के दंगा राहत
पीड़ित शिविरों में बदइंतजामी का तो इन शिविरों में बच्चों की ठंड से मौत हो रही है,
उनके टैंटों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। इन शिविरों में ठंड से
34 बच्चों की मौत हो चुकी है लेकिन यूपी के प्रिंसिपल सैकेटरी का कहना
है कि ठंड से कोई कभी नहीं मरता। अगर ऐसा होता तो साइबेरिया में कोई जिन्दा नहीं बचता,
जो दुनिया का सबसे ठंडा इलाका है। गृह विभाग के प्रिंसिपल सैकेटरी एके
गुप्ता गुरुवार को राहत शिविरों में बच्चों की मौत संबंधी समिति की रिपोर्ट की जानकारी
दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ठंड से कोई नहीं मरता। रिपोर्ट में कुछ मौतों की वजह फूड
प्वाइजिनिंग और निमोनिया बताई गई है। निमोनिया गुप्ता साहब ठंड से होता है। इससे पहले
सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि कैम्पों में कोई पीड़ित नहीं रह रहा है,
जो हैं वह भाजपा और कांग्रेस के लोग हैं। वह साजिश के तहत वहां टिके
हुए हैं। हालांकि प्रदेश के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि राहत शिविरों में अब भी
4783 लोग रह रहे हैं। बुढाना में लोई स्थित राहत शिविर में देशभर में
प्रदेश सरकार की हो रही बदनामी के बीच प्रशासन ने शुक्रवार को यहां रह रहे लोगों पर
खासा दबाव बनाया। इस पर यहां रहे 17 परिवारों के करीब
100 लोगों ने अपने टैंट हटा लिए। टैंट लगे स्थानों को बुलडोजरों से समतल
कर दिया गया। इस दौरान पीड़ित परिवारों ने विरोध भी किया, लेकिन
प्रशासन के कड़े रुख के आगे वह सब बेअसर रहा। शाहपुर कस्बे के पास तम्बुओं में रह रहे
10 परिवारों ने भी तम्बू उखाड़ चले गए। इन सभी को राहत राशि मिल चुकी
है। मुजफ्फरनगर व शामली के राहत शिविरों में रह रहे लोगों को प्रशासन ने साफ कह दिया
है कि दोहरे मुआवजे की मांग स्वीकार्य नहीं है। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने साफ कहा
कि उन्हें रकम या जमीन नहीं दी जाएगी। उन्हें वापस बसाने में सरकार जो मदद कर सकती
है वह करेगी। जो लोग अभी शिविर में रहना चाहते हैं उन्हें सभी मूलभूत सुविधाएं पहले
की तरह ही मुहैया कराई जाएंगी। मुख्य सचिव ने राहत शिविरों में रह रहे लोगों को उनके
घर वापस बसाने के लिए तैयार कार्ययोजना पर बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता करने के बाद
मीडिया में सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि लोग रुपए या जमीन मिलने की उम्मीद में
न रहें। जमीन नहीं मिल पाएगी। मुख्य सचिव ने कहा कि संबंधित जिलों के अधिकारियों को
जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह लोगों को वापस घर जाने के लिए प्रेरित करें और उन्हें
विश्वास दिलाएं कि उनकी सुरक्षा व बेहतरी के लिए सरकार प्रयासरत है। उन्होंने बताया
कि कई परिवार ऐसे भी हैं जिनके मुखिया पांच लाख रुपए का मुआवजा लेने के बाद शिविर से
चले गए हैं लेकिन उनके पुत्र शिविर को यह कहते हुए छोड़ने से इंकार कर रहे हैं कि वह
वयस्क और अपने परिवार के मुखिया हैं, इसलिए उन्हें भी मुआवजा
राशि दी जाए। इस दौरान पाया गया कि ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिन्हें भड़का दिया गया है
कि शिविर वन और उद्यान विभाग की जमीन पर बने हैं और अगर वह शिविरों में बने रहेंगे
तो वहां की जमीन सरकार उनके नाम पर आवंटित कर देगी।
-अनिल नरेन्द्र
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