Wednesday, 25 December 2013

केदारनाथ हादसे में मारे गए लोगों का न तो मुआवजा मिला न सर्टिफिकेट

बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा बेशक एक पढ़े-लिखे अच्छे इंसान हैं पर उनकी अपनी सरकार और प्रशासन पर पकड़ बहुत कमजोर है। उत्तराखंड का सियासी माहौल इस सर्द मौसम के बावजूद गर्म हो गया है। सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की कांग्रेस के पाले वाली पांचों लोकसभा सीटें खतरे में बताई जा रही हैं, इसलिए कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को हटाने की सोच रहा है। श्री हरीश रावत का उत्तराधिकारियों की सम्भावित सूची में फिलहाल सबसे ऊपर नाम चल रहा है पर यह तो सियासी मामला है जिसका संबंध कांग्रेस पार्टी से है। हमें तो दुख इस बात का है कि केदारनाथ में जून माह में हुए प्राकृतिक हादसे के दौरान लापता हुए दिल्ली के 237 लोगों की छह माह बाद भी न तो कोई खोज खबर मिली और न ही उनकी मौत के प्रमाण पत्र व मुआवजा उनके परिजनों को मिले। मृतकों के परिजन कभी उत्तराखंड तो कभी दिल्ली के राजस्व विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। कुल 143 लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र पिछले सप्ताह उत्तराखंड सरकार ने दिल्ली के राजस्व विभाग को भेजे हैं लेकिन अब राजस्व विभाग मृतकों के परिजनों की पुष्टि करने के लिए कुछ नियम-कायदे बनाने में लगा है। लापता 94 लोगों के बारे में सरकार की ओर से किसी प्रकार की खबर नहीं दी गई है। लापता अनेक लोगों के परिजन ऐसे हैं जो अभी भी अपनों के लौटने का इंतजार कर रहे हैं। अनेक ऐसे परिवार हैं जो यह मान चुके हैं कि उनके परिजनों की हादसे में मौत हो गई है और अब वह कभी नहीं लौटेंगे जबकि कई परिवार ऐसे भी हैं जो अभी भी अपने लापता प्रियजनों का इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली राजस्व विभाग कार्यालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि पिछले सप्ताह ही उत्तराखंड सरकार की ओर से 143 लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र व उनका मुआवजा राजस्व विभाग को मिला है लेकिन मुआवजा व सर्टिफिकेट बांटने के लिए मृतकों के परिजनों का सत्यापन करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि बिना सत्यापन के मुआवजा व सर्टिफिकेट नहीं बांटे जा सकते। राजस्व विभाग के अनुसार मृतकों के परिजनों का सत्यापन करने के लिए उनसे नोटरी द्वारा अटेस्टिड शपथ पत्र तथा किसी समाचार पत्र में छपी गुमशुदा की सूचना संबंधी प्रति मांगे जाने के साथ-साथ जांच अधिकारी की रिपोर्ट मांगी जाएगी, इसके बाद ही उन्हें प्रमाण पत्र व मुआवजा बांटा जाएगा। लापता बाकी 94 लोगों के मृत्यु व मुआवजे के बारे में दिल्ली के राजस्व विभाग को उत्तराखंड सरकार ने अभी कोई सूचना नहीं दी है। उधर प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार केदारनाथ मंदिर को भविष्य में किसी तरह की प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) मंदाकिनी नदी का रुख बदलने का सुझाव दे रहा है क्योंकि उस क्षेत्र में नदी की तलहटी गांव की जमीन से ऊंची हो गई है। जून में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद मंदिर के जीर्णोद्धार का काम एएसआई को सौंपा गया है हालांकि मौसम इसमें लगातार बाधा बना हुआ है। संस्कृति मंत्री चन्द्रsश कुमार कटोच ने बताया कि हमारी रिपोर्ट के अनुसार केदारनाथ में नदी की तलहटी ऊंची हो गई है और ग्रामीण इलाके नीचे हो गए हैं, इसलिए हम नदी (मंदाकिनी) का रुख बदलने का सुझाव दे रहे हैं ताकि भविष्य में मंदिर को किसी प्राकृतिक आपदा की दिशा में कोई नुकसान न हो या फिर भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) या वन विभाग सलाह देगा कि कैसे केदारनाथ मंदिर की भविष्य में सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

-अनिल नरेन्द्र

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