Friday, 21 February 2014

तेजपाल पर दुष्कर्म का आरोप, 2684 पन्नों की चार्जशीट दाखिल

खोजी पत्रकार और दिल्ली के सोशल सीन पर पेज-3 के सेलीब्रिटी तरुण तेजपाल के केस में पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज कर दी है। तहलका पत्रिका के संस्थापक-सम्पादक तरुण तेजपाल पर पणजी में गोवा पुलिस ने पिछले साल नवम्बर में यहां के एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में एक महिला पत्रकार के साथ बलात्कार, यौन उत्पीड़न और इसकी मर्यादा भंग करने का आरोप लगाया है। जांच अधिकारी सुनीता सावंत ने तेजपाल पर धारा 354,354- (यौन उत्पीड़न), 341और 342 (गलत तरीके से रोकना, 376 (बलात्कार) 376 (2)(एफ) और 376 (2) (के) (अपने आधिकारिक पद का लाभ उठाना और अपने संरक्षण में महिला के साथ बलात्कार करना) के तहत आरोप लगाए हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनुजा पभु देसाई के समक्ष दाखिल 2684 पृष्ठों के आरोप पत्र में पीड़िता, तहलका पत्रिका के कर्मचारियें और मामले के जांच अधिकारी सहित 152 गवाहों के बयान हैं। आरोप पत्र में कहा गया है कि यह साबित करने के लिए रिकार्ड में पर्याप्त बयान  हैं कि  तेजपाल ने बलात्कार, यौन उत्पीड़न और पीड़िता की मर्यादा भंग करने की बात स्वीकारी है। जांच अधिकारी ने कहा है कि तेजपाल के माफी वाले ई-मेल हैं, पी]िड़ता से बलात्कार यौन उत्पीड़न तथा उसकी मर्यादा भंग करने के बारे में ई-मेल पत्र हैं जो उनके कहने पर पुन खोले गए। बताया जाता है कि पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा कि तेजपाल ने गत सात नवम्बर को उसका यौन उत्पीड़न किया और 8 नवम्बर को इसे पुन दोहराया। आरोप पत्र में इस बात का विवरण भी है कि कैसे तरुण तेजपाल हालीवुड अभिनेता राबर्ट डी नीरो के समझाने के बावजूद नहीं माने थे। दस्तावेज में इस बात का विवरण दिया गया है कि कैसे पीड़िता को हालीवुड अभिनेता राबर्ट डी नीरो और उनकी बेटी ड्रेना का सहचरी बनाया गया था। उसमें बताया गया है कि नीरो ने तेजपाल  को ऐसा करने से रोकने के लिए यह याद दिलाया कि वह उसकी बेटी की सबसे अच्छी सहेली है लेकिन इसका तेजपाल पर कोई असर नहीं हुआ। डीआईजी ओपी मिश्रा ने कहा कि जांच अधिकारी डी नीरो के वकील के सम्पर्क में थी लेकिन अभिनेता चूंकि यात्रा कर रहे थे इसलिए उन्होंने जवाब नहीं दिया। इन आरोपों में अगर तरुण तेजपाल दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें सात साल से ज्यादा की कैद हो सकती है। तरुण तेजपाल ने बाम्बे हाई कोर्ट की गोवा बेंच में जमानत अजी लगाई थी। तेजपाल घटना के बाद से जेल में हैं। बाम्बे हाई कोर्ट से भी तेजपाल को कोई राहत नहीं मिली है। उनकी याचिका की सुनवाई अगले महीने के लिए टल गई। हालांकि हाई कोर्ट ने 50 वषीय तेजपाल को एक निचली अदालत में जमानत याचिका दायर करने की इजाजत दे दी क्येंकि आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। तेजपाल ने खुद को बेकसूर बताते हुए आरोप लगाया है कि राजनीतिक पतिशोध के चलते उन्हें फंसाया गया है। मैंने कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने कहा कि पूरी सच्चाई सीसीटीवी फुटेज में कैद है और इसे दुनिया जान जाएगी।
-अनिल नरेन्द्र

�ेंb � � � � ��� �े आधार पर फांसी की सजा पाए 15 दोषियों की सजा उम्रकैद में तब्दील की गई थी। इनमें कुख्यात वीरप्पन के सहयोगी भी हैं जिन्होंने एक बहादुर पुलिस अधिकारी समेत कई पुलिस कर्मियों की हत्या की थी। तथाकथित देरी के आधार पर फांसी की सजा पाए लोगों को राहत देने से भारतीय विधि व्यवस्था पर जहां पश्न चिन्ह लगता है वहीं उन लोगों के बलिदान की अनदेखी भी है जो अपनी फर्ज अदायगी के दौरान खूंखार आरोपियों का शिकार बन गए। इस स्थिति के लिए वह तंत्र तो जिम्मेदार है ही जो दया याचिकाओं का निपटारा शीघ्रता से करने की बजाय संकीर्ण वोट बैंक की राजनीति का लाभ लेने में देरी करता है पर साथ-साथ हम क्षमा चाहेंगे कहीं न कहीं सुपीम कोर्ट की भी जवाबदेही बनती है कि जिन लोगें के फांसी की सजा की पुष्टि खुद सुपीम कोर्ट ने की थी वह अब इस नतीजे पर पहुंच रहा है कि फांसी की सजा पाए दोषियों की दया याचिका के निपटारे में वर्षें की देरी वस्तुत उनके साथ अत्याचार है?

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