Thursday 6 February 2014

राहुल गांधी बनाम नरेन्द्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल

चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आती जा रही है राजनीतिक दल और उसके नेता एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का कोई मौका नहीं गंवा रहे। अकसर कम बोलने वाली कांग्रेस अध्यक्ष हर बार पचार में कोई न कोई तीखी बात नरेन्द्र मोदी के लिए ऐसी बोल देती हैं जिसका रिएक्शन होता है। सोनिया गांधी ने गुलबर्ग की एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाजपा और पधानमंत्री पद के लिए उसके उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी सत्ता की भूख के लिए हिंसा को भड़काने तथा जहर की खेती जैसी विभाजनकारी राजनीति में लिप्त हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा का एक ही मकसद है और वह सत्ता के लिए लालायित हैं। भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष को करारा जवाब देने में ज्यादा समय नहीं लगाया। मेरठ की एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने सोनिया गांधी के जहर की खेती वाले बयान पर रविवार को जोरदार पलटवार किया। मोदी ने कहा कि यह कांग्रेस ही है जो विभिन्न समुदायों को लड़वाकर जहर के बीज बोने और उसकी फसल काटने का काम कर रही है। मेरठ में रविवार को अपनी रैली में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मैं सोनिया गांधी से पूछता हूं कि किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? जहर की खेती कौन कर रहा है? उन्होंने कहा कि राहुल ने एक बार कांग्रेस के जयपुर सम्मेलन में कहा था कि मां कहती हैं कि सत्ता एक जहर है। लेकिन सत्ता अगर जहर है तो 60 साल से कांग्रेस उस जहर को चख रही है। कांगेस के पेट में जहर भरा हुआ है। दरअसल कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि कांग्रेस के पास अब कुछ खोने को नहीं है इसलिए वह कुछ भी कह सकती है। नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा लहर से भयभीत सोनिया-राहुल गांधी सीटें बचाने के लिए कुछ भी कहने-करने को तैयार हैं। सूत्रांs के मुताबिक कांग्रेस ने योजना बनाई है कि चाहे कुछ भी कहना पड़े, 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें 100 से नीचे नहीं जानी चाहिए।  लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 95 से भी कम सीटें मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। यदि कोई भी अन्य पाटी 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बाद दूसरे नम्बर पर आ जाती है तब तो 10 साल में कांग्रेस की जड़ सूख कर एक चौथाई रह जाती लेकिन देश में कांग्रेस और भाजपा के बाद यदि कोई अन्य पाटी फिलहाल ऐसी नहीं जिसका आकार पूरे देश में हो। जो भी क्षेत्रीय दल हैं उनका आधार एक से दो राज्यों तक ही सीमित है। इसी का लाभ कांग्रेस को मिल रहा है। यदि कई राज्यों में पभावी क्षेत्रीय दल आपस में गठबंधन करके भी चुनाव लड़ जाते हैं तो वे बाद में या तो कांग्रेस की गोद में बैठ जाते हैं या उनसे समर्थन लेकर सरकार बना लेते हैं जिसके चलते कांग्रेस को भाजपा के अलावा कोई तीसरी बड़ी चुनौती नहीं मिल पा रही है। इसके कारण कांग्रेस की सरकार जितनी भी भ्रष्टाचार में डूबी रहे, एक बार हारने के बाद दूसरे या तीसरे चुनाव में फिर सरकार बना लेती है। नए राजनीतिक दल आम आदमी पाटी भी नेशनल लेबल पर कूदने को तैयार है। दिल्ली की खींचतान में सीधे भाजपा और उसके पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को घसीट कर आप ने संदेश दिया है कि यह मोदी बनाम आप की जंग है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आप पहले से ही निशाने पर लेती रही है लेकिन पाटी की नेशनल काउंसिल के बाद आप ने मोदी पर सीधे अटैक शुरू कर दिए हैं। लोकसभा चुनाव में आप मोदी की गुड गवर्नेंस के समान अपनी दिल्ली सरकार के काम-काज को रखकर इसे मोदी बनाम केजरीवाल के तौर पर पेश कर सकती है। अरविंद केजरीवाल की करप्ट नेताओं की पहली लिस्ट में मोदी का नाम नहीं था, लेकिन अगले ही दिन आप ने मोदी को इस लिस्ट में शामिल कर उन्हें नफरत की राजनीति फैलाने वाला करार दिया। सूत्रों के मुताबिक सीधे मोदी पर निशाना साधकर आप लोकसभा चुनाव को मुद्दों के अलावा मोदी बनाम केजरीवाल के तौर पर भी लड़ सकती है। एक और बात लगता यह है कि भ्रष्ट नेताओं की लिस्ट जारी करके केजरीवाल एंड कंपनी ने यह संकेत देने का भी पयास किया है कि आप पाटी लोकसभा का चुनाव भ्रष्टाचार के मुख्य मुद्दे पर लड़ेगी। उनका सारा फोकस भ्रष्टाचार हटाने-मिटाने पर होगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव की समीक्षा में पाया गया कि लोगों ने आप के उम्मीदवारों को नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल के नाम पर वोट दिया। लोकसभा चुनाव में भाजपा मोदी के नाम पर वोट मांग रही है। इसी तरह आप भी अरविंद केजरीवाल के नाम पर वोट मांग सकती है। आप मोदी के सामने केजरीवाल के 1 या 2 महीने के कामकाज पर भाजपा के गुड गवर्नेंस के नारे की हवा निकालने की प्लानिंग कर रही है। आप नेता संजय सिंह ने मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि चार और राज्यों में एक साथ सरकारें बनी हैं और उनके सीएम को दिल्ली के सीएम के साथ बुलाकर बहस कराई जाए कि सरकार चलाना किसे आता है? कुछ लोगों का यह भी कहना है कि दिल्ली में कामयाबी को आप नेता पचा नहीं पा रहे हैं। न तो वह भाषा पर संयम बरत रहे हैं और न ही आचरण में। आज-कल वह अहंकारी भाषा बोल रहे हैं। आम आदमी पाटी के भरोसे के सूत्रों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल अविश्वनीय तरीके से दिल्ली के सीएम बन जाने के बाद अब पीएम की रेस में भी हैं। पाटी कार्यकर्ताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के भरोसे चुनाव लड़ रही भाजपा बड़े दल के रूप में तो उभरेगी मगर सरकार बना लेने लायक स्पष्ट बहुमत नहीं जुटा पाएगी। उस दशा में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस दिल्ली विधानसभा की तरह लोकसभा में भी आम आदमी पाटी को समर्थन देकर केजरीवाल को पीएम बना सकती है। कांग्रेस के साथ बाकी कुछ दल भी समर्थन दें, इसके लिए जरूरी है कि केजरीवाल किसी कद्दावर नेता को हराकर लोकसभा में पहुंचे। इस वजह से उनकी नजर गाजियाबाद पर है जहां से भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह चुनाव लड़ते हैं। एनसीआर के अलावा और कहीं जाकर किसी बड़े नेता को चुनौती देने का खतरा केजरीवाल भी नहीं उठाएंगे पर सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि नरेन्द्र मोदी और भाजपा कितनी लोकसभा सीटें जीतती है?

-अनिल नरेन्द्र

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