Thursday 20 February 2014

केजरीवाल भगोड़ा है, अरविंद केजरीवाल धोखा है, देश बचा लो मौका है

 आम आदमी के उद्धार करने के लिए आगे आए केजरीवाल सरकार चलाने से भाग गए हैं। वह अब पीएम बनने का सपना देख रहे हैं और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी किस्मत आजमाएंगे। लोकसभा चुनाव का क्या परिणाम होगा यह तो वक्त ही बताएगा पर उनके भागने से गली-गली में आम आदमी हताश है। अरविन्द केजरीवाल के बारे में विभिन्न पार्टियां कहती हैं कि वह सियासी नहीं, राजनीतिज्ञ नहीं हैं। पशासन चलाना और राजनीतिज्ञ होना खास होता है। यह काबिलियत केजरीवाल में नजर नहीं आई। जब यह हाल दिल्ली में है तो राष्ट्रीय राजनीति में उन पर कौन-कितना विश्वास करेगा? यह पश्न अलग है। एक सियासी नेता की छवि उनके द्वारा किए गए वादों को पूरा करने से बनती है। उनकी विश्वसनीयता, कैडेबिलिटी सिर्फ उनके द्वारा किए गए कामों से बनती है। घोषणाओं से नहीं, भागने से नहीं। राजनीति से भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के वादे के साथ दिल्ली की सत्ता में पहली बार आई आम आदमी पाटी की सरकार ने 18 वादे किए थे। पहला वादाः बिजली के दाम आधे कर देंगे और बिजली कंपनियों की लूट बंद होगी। हकीकत सत्ता में आने के कुछ घंटों बाद ही दिल्ली सरकार ने 372 करोड़ रुपए की सब्सिडी का ऐलान किया। घरेलू इस्तेमाल के लिए 400 यूनिट तक की खपत में 50 फीसदी तक दाम कम किया। बिजली वितरण कंपनियों का कैग आडिट कराने का मामला कोर्ट में है। रिलायंस और टाटा पावर की ओर से दाखिल मामले का कोर्ट से फैसला आना है। कटु और कड़वा सत्य यह है कि बिजली कंपनियों द्वारा जारी किए गए ताजा बिलों ने कम से कम मध्यवगीय उपभोक्ता के होश जरूर फाख्ता कर दिए हैं क्येंकि जो बिल उनके हाथ में आए हैं उसके बिल कम होने की जगह और बढ़ गए हैं। जिन उपभोक्ताओं के बिल अपने में पांच से छह हजार के आते थे वह अब सात से आठ हजार तक पहुंच गए हैं और उन्हें लगता है कि सरकार की सस्ती बिजली योजना की घोषणा उन पर उल्टी पड़ी है। वहीं केजरीवाल सरकार द्वारा जाते-जाते फेंके गए दावे भी उन पर उल्टे पड़ते नजर आ रहे हैं। इसके लिए जिन उपभोक्ताओं ने अपने जन आंदोलन के दौरान बिल जमा नहीं किए थे उन बिल को आधा माफ करने की बात कही गई थी। लेकिन सरकार का ही वित्त विभाग उसके पक्ष में नजर नहीं आ रहा है। उसका कहना है कि ऐसा करने से ईमानदार उपभोक्ता अपने में हतोत्साहित होगा जो ठीक नहीं है और यह भविष्य में गलत परम्परा होगी। इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में भी हंगामा हुआ था। आम आदमी पाटी के आंदोलन में कूदे दिल्ली के 24 हजार लोगों को केजरीवाल सरकार द्वारा दी गई 50 फीसदी छूट समझ से बाहर है। दिल्ली में तो कई लाख उपभोक्ता हैं। यह सिलेक्टिव बेसिस पर राहत कानूनी दृष्टि से भी गलत है और अदालतों में यह फैसला नियमित रूप से गलत करार दिया जाएगा। वादा नं. 2ः साफ पानी हर घर तक, हर परिवार को हर रोज 700 लीटर पानी मुफ्त। हकीकत केजरीवाल ने शपथ लेने के बाद ही दिल्ली के सभी परिवारों के लिए 20 हजार लीटर पानी मुफ्त करने का फैसला किया। लेकिन साथ ही ज्यादा पानी इस्तेमाल करने वालों पर 10 पतिशत अधिभार बढ़ा दिया। संगम विहार और देवली इलाके में लोगों का कहना है कि अब भी 20-22 दिनों में एक बार पानी मिलता है। इसके बदले में 500-700 रुपए देने पड़ते हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल सरकार आई भी और चली भी गई लेकिन न तो पानी की समस्या खत्म हुई और न ही जल माफिया का कब्जा। वादा नम्बर 3ः भ्रष्टाचार से छुटकारा दिलाएंगे, हर भ्रष्टाचारी को जेल पहुंचाएंगे और आम जनता को रोजमर्रा के भ्रष्टाचार से बचाएंगे। हकीकत ः 8 जनवरी  को भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराने के लिए हेल्पलाइन चालू की गई लेकिन शिकायत मंजूर करने के लिए स्टिंग की शर्त लगा दी। शुरुआती 20 दिनों में लगभग एक लाख से ज्यादा काल आईं। जिनमें से 50 फीसदी कालों को ही सुना गया। मात्र 1200 शिकायतें सही पाई गईं। वादा नं. 4ः सत्ता में आने के 15 दिन के भीतर रामलीला मैदान में जनलोकपाल बिल पारित कराएंगे। हकीकत सरकार बनाने के 49वें दिन सरकार सदन में बिल लेकर पहुंची और उसके बाद क्या हुआ सबको मालूम ही है। इसी तरह जनता दरबार लगाने और शिकायतों को सुनने का वादा पहले जनता दरबार के बाद ही बंद हो गया। स्पूलों को निजी स्कूलों से बेहतर बनाने और 500 नए स्कूलों का वादा भी किया गया था। शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया ने हेल्पलाइन की शुरुआत की पर बात आगे नहीं बढ़ सकी। इसी तरह सरकारी अस्पतालों को बेहतर बनाने की बात कही गई थी पर यह भी महज वादा बनकर ही रह गई। महिला, बच्चों और बुजुर्गें की सुरक्षा के लिए दस मोहल्ले में महिला कमांडो फोर्स बनेगी। हकीकत जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों और महिला कमांडो फोर्स के मामले में फिर एक कमेटी बनी है। दिल्ली में ठेके के हर कर्मचारी को पक्का करेंगे। हकीकत सरकार डीटीसी ड्राइवर, कंडक्टर, स्कूल टीचर सहित कई विभागों के कर्मचारियों को पक्का करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया। इस समिति की सिफारिशें आने से पहले ही केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के त्याग पत्र से उनकी सरकार के करीब एक दर्जन फैसलों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुई मुहिम पर विराम लगना तय माना जा रहा है। इसके अलावा घोटालों पर दर्ज कराई गई एफआईआर के तहत जांच की पकिया ठप होना भी निश्चित माना जा रहा है। इसी तरह बिजली, पानी की दरों पर दी गई छूट भी 31 मार्च के बाद मिलने की संभावना कम है। कुल मिलाकर अरविंद केजरीवाल का कार्यकाल अविश्वनीय तो रहा ही साथ ही साथ उनकी जिम्मेदारी से भागने की पवृत्ति भी जाहिर हुई। जब वह दिल्ली से इस तरह भाग सकते हैं तो जनता आगे उन्हें कोई भी, किसी भी पकार की जिम्मेदारी कैसे दे सकती है। फेसबुक पर किसी ने  लिखा हैः अरविंद केजरीवाल भगोड़ा है, आयकर विभाग की नौकरी छोड़कर भागा, अन्ना हजारे को छोड़कर भागा, राजनीतिक जिम्मेदारी से भागा, अरविंद केजरीवाल धोखा है, देश बचा लो मौका है।
-अनिल नरेन्द्र

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