आप भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार की सियासत से मतभेद
रखते हों पर आप यह तो मानेंगे कि नरेन्द्र मोदी एक साहसी नेता हैं जो अपनी बात कहने
से नही कतराते। शनिवार को नरेन्द्र मोदी ने पूर्वेत्तर में चुनावी हुंकार भरी। अरुणाचल
पदेश में उन्होंने चीन को चेतावनी दी तो असम में बांग्लादेश और पाकिस्तान व म्यांमार
को चेताया। यह काम सभी नहीं कर सकते कि एक साथ ही चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश
और म्यांमार को चेतावनी दे सकें और विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने तो ऐसी कोई खुली
चुनौती नहीं दी। यह जिगरे का काम है और केवल वही व्यक्ति कर सकता है जिसमें अभूतपूर्व
साहस हो। मोदी ने सिलचर (असम) के रामनगर
में एक रैली में कहा, जैसे ही हम सत्ता में आएंगे बाग्लादेश से
आए हिंदुओं को रखने के
डिटेंशन कैम्पों को बंद कर देंगे। हमारी हिंदुओं के पति जिम्मेदारी है जिन्हें अन्य
देशों में परेशान एवं उत्पीड़ित किया गया है। वह कहां जाएंगे? उनके लिए भारत ही एक मात्र देश है। हमारी सरकार उन्हें परेशान करना जारी नहीं
रख सकती। मोदी ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं होगा कि असम को पूरा बोझ उठाना पड़ेगा।
उन्हें देश भर में बसाया जाएगा और नया जीवन शुरू करने की सुविधा दी जाएगी। नरेन्द्र
मोदी ने असम की कांग्रेस नीत सरकार को वोट बैंक राजनीति में शामिल करने के लिए आड़े
हाथ लिया। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग समस्या में पड़ गए क्योंकि सरकार बाग्लादेश
से घुसपैठ को रोकने में विफल रही है। मोदी ने कहा कि असम बांग्लादेश के करीब है जबकि
गुजरात पाकिस्तान के करीब। असम के लोगों को बांग्लादेश के कारण ही समस्या हो रही है
जबकि पाकिस्तान मेरे कारण चिंतित है। मोदी ने भाषण की शुरुआत में कामाख्या देवी के
आशीर्वाद की कामना की। उन्होंने कहा मां कामाख्या की कृपा केवल असम के लोगों के लिए
ही नहीं पूरे देश के लिए है। उनके आशीर्वाद से हम लोगों के सपनों और आकांक्षाओं को
पूरा करने में मदद मिलेगी। मोदी ने कहा कि उनकी असम यात्रा से यहां के मुख्यमंत्री
की रातों की नींद उड़ गई। उन्होंने कहा कि घुसपैठियों को वापस भेजा जाना चाहिए क्योंकि
उन्होंने न केवल स्थानीय लोगों की नौकरियां ले ली हैं बल्कि वे राजनीतिक मंसूबों के
साथ आए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि असम की सरकार ने अपने वोट बैंक राजनीति के तहत
डिटेंशन कैंप में रह रहे हिंदू विस्थापितों के मानवाधिकारों का भी उल्लंघन किया है।
अरुणाचल पदेश में नरेन्द्र मोदी ने पासीघाट रैली में चीन को चेतावनी दी और विदेश नीति
पर अपना रुख पेश किया। उन्होंने कहा कि चीन अपनी विस्तारवादी मानसिकता छोड़े। दुनिया
की कोई ताकत अरुणाचल पदेश को भारत से नहीं छीन सकती। मोदी बोले, अरुणाचल पदेश भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा बना रहेगा। कोई भी शक्ति इसे
हमसे नहीं छीन सकती है। नरेन्द्र मोदी की चीन को चेतावनी देना महत्वपूर्ण है और इसका
रिएक्शन भी हो सकता है पर मोदी ने अपनी विदेश नीति को स्पष्ट कर दिया है। भाजपा के
लिए पूर्वेत्तर राज्यों में पांव जमाना आसान काम नहीं। उत्तर-पूर्व में चुनावी मुकाबला अक्सर क्षेत्रीय पार्टियों और कांग्रेस के बीच होता
है। उत्तर-पूर्व के राज्यों (अरुणाचल पदेश,
मणिपुर, मेघालय, असम,
मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा)
को अमूमन सात बहनें कहा जाता है लेकिन सिक्किम सहित आठ राज्य हैं। इनमें
सबसे ज्यादा 14 लोकसभा सीटें असम में ही हैं। राष्ट्रीय पार्टियें
में केवल कांग्रेस है जो इन राज्यों में अपनी पहचान बना पाई है। ऐसे में 25
लोकसभा सीटों वाले उत्तर-पूर्व को कांग्रेस के
हाथ से निकालकर अपने हाथ में करना भाजपा के लिए आसान नहीं है। कांग्रेस को उम्मीद है
कि आसन्न लोकसभा चुनावों में न केवल असम बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व
में पाटी की स्थिति बेहतर होगी लेकिन उसे त्रिपुरा, नागालैंड
और सिक्किम में परेशानी आ सकती है। त्रिपुरा में सीपीएम, नागालैंड
में नगा पीपुल्स पाटी और सिक्किम में सिक्किम डेमोपेटिक पंट के पास लोकसभा सीटें हैं।
उत्तर-पूर्व का इतिहास रहा है कि संसदीय सीटें उसी पाटी को मिलती
हैं जिसकी राज्य में सरकार होती है लेकिन कांग्रेस को अपने दो बड़े वोट बैंक बंगाली
मुस्लिम और आदिवासियों को संतुलित रखने में परेशानी आ सकती है। 2011 की जनगणना के मुताबिक असम की 14 लोकसभा सीटों में से
छह पर मुस्लिम और चार पर आदिवासी पभावी हैं। 2004 में भाजपा को
2 पतिशत वोट मिले थे जो 2009 में बढ़कर
4 पतिशत हो गए थे। मोदी की लहर का फायदा उठाने की पाटी को उम्मीद है।
यहां के मूल निवासी समूहों का साथ मिल सकता है पर राज्य की विषम जनसांख्यिक स्थिति
भाजपा के लिए चुनौती है। जनता के मन में पार्टी को हिंदी समर्थक और साम्पदायिक होने
की छवि को मोदी ने बदलने का पयास किया है। देखें, मोदी की लहर
का पाटी को लोकसभा चुनाव में कितना फायदा होता है?
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