Saturday 22 February 2014

संसद से लेकर विधानसभा तक माननीयों की बेअदबी

तेलंगाना के मुद्दे को लेकर जिस ढंग से लोकसभा और राज्यसभा में अत्यंत अशोभनीय व्यवहार सांसदों ने पूरे देश के सामने किया उसका असर देश की विभिन्न विधानसभा और विधायकों पर पड़ना स्वाभाविक ही था। बहुत ही दुख की बात है कि माननीय लोग संसद और विधानमंडलों  की गरिमा को तार-तार कर रहे हैं। उनकी करतूतों से लोकतंत्र के मंदिर शर्मसार तो हो रहे हैं पर निहायत गलत परम्परा डाल रहे हैं। बुधवार को राज्यसभा के साथ ही यूपी विधानमंडल और जम्मू-कश्मीर विधानसभा भी इनकी कारगुजारियों से लज्जित हुई। तेलंगाना मुद्दे को लेकर राज्यसभा में बुधवार को अशोभनीय स्थिति पैदा हो गई। इस मुद्दे पर हंगामे के बीच उपसभापति पीजे कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसी दौरान राज्यसभा के महासचिव शमशेर के शरीफ उपसभापति के निर्देश पर सदन में कोई घोषणा करने जा रहे थे। तभी आसन के समक्ष खड़े तेलगु देशम पाटी के सीएम रमेश ने उनके हाथ से दस्तावेज छीनने का पयास किया। रमेश ने हमलावर अंदाज में महासचिव से कागजात छीनकर फाड़ दिए। इस दौरान महासचिव को चोट भी लगी। लखनऊ विधानमंडल में तो और भी ज्यादा अशोभनीय हरकत देखने को मिली। वहां राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान मुख्य विपक्षी दल बहुजन समाज पाटी के साथ राष्ट्रीय लोकदल के सदस्यों ने सरकार विरोधी नारेबाजी की। हंगामे के बीच रालोद के सदस्यों वीरपाल और सुरेश शर्मा ने तो कमीज (शर्ट) तक उतार दिए। बसपा सदस्य भी जूते-चप्पल पहने ही मेजों पर खड़े होकर विरोध जताने लगे। रही सही कसर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में माननीयों ने पूरी कर दी। वहां विपक्षी पीपुल्स डेमोपेटिक पाटी के विधायक ने एक मार्शल को ही थप्पड़ जड़ दिया। विधानसभा में कृषि मंत्रालय के अनुदान पर चर्चा के दौरान पीडीपी विधायक सैयद बशीर विस्थापितों को दिए जाने वाले राशन की कमी को लेकर आसन के समीप आ गए। विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शलों को नारेबाजी कर रहे पीडीपी विधायक बशीर को हटाने का आदेश दिया। मार्शल जब बशीर को सदन से बाहर लेकर जा रहे थे तब टीडीपी के अन्य विधायक भी वहां पहुंच गए। विधानसभा अध्यक्ष ने उन सदस्यें को भी सदन से बाहर किए जाने का आदेश दिया। जब मार्शल उन्हें हटा रहे थे तो बशीर ने मार्शल को थप्पड़ जड़ दिया। इस पकार का गलत आचरण जनता की बात रखने के नाम पर सदन में ऊल-जलूल उपकम करने वाले सांसदों और विधायकों को यह याद रखना होगा कि वह अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खियां तो बटोर सकते हैं लेकिन लोकतांत्रिक सोच रखने वाले उनके वोटर उन्हें कतई इन रूप में न तो पसंद करेंगे और न ही इस पकार के ड्रामे करने के लिए उन्हें चुना है।

-अनिल नरेन्द्र

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