Saturday 1 February 2014

अल्पसंख्यकों की अनदेखी पर पीएम की सभा में हंगामा

पधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की उपस्थिति में बुधवार को सरकार के हाई पोफाइल अल्पसंख्यक आयोजन में जमकर हंगामा हो गया, जब एक शख्स ने खड़े होकर सरकार पर अल्पसंख्यकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। अपने भाषण में जब पीएम अल्पसंख्यकों के लिए 15 सूत्री कार्यकम के तहत किए गए कार्यें को लेकर अपनी सरकार की पीठ थपथपा रहे थे तभी एक शख्स ने योजनाओं के जमीन पर न उतारने का आरोप मढ़ दिया। विज्ञान भवन में वक्फ विकास निगम के कार्यकम के दौरान भाषण के बीच ही पूवी दिल्ली के एक युवक डा. फहीम बेग ने कहाः पधानमंत्री जी आपकी एक भी योजना जमीन पर लागू नहीं हुई है। हालत यह थी कि एक तरफ पीएम अपना भाषण पढ़ रहे थे तो दूसरी तरफ यह युवक यूपीए सरकार के दावों को चिल्लाकर झूठा करार दे रहा था। अफरातफरी के बीच ही सोनिया गांधी ने उससे बात करनी चाही लेकिन तब तक सुरक्षाकमी उसे हाल के बाहर निकाल चुके थे। इसके बाद उन्होंने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रहमान खान को विरोध जता रहे युवक की शिकायत सुनने का निर्देश दिया। मंत्री ने डा. बेग से बात करने के बाद सफाई पेश की। डा.फहीम बेग पूवी दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और जाफराबाद में रहते हैं। उनका कहना था कि हमारे इलाके में अल्पसंख्यकों के लिए घोषित योजनाएं लागू नहीं हुई हैं।  डा. बेग ने बाद में पेस से कहा कि हमने अल्पसंख्यकों को लेकर चलाए जा रहे कार्यकमों के बारे में पीएम को 150 से ज्यादा पत्र लिखे हैं। लेकिन एक भी पत्र का जवाब नहीं मिला। कांग्रेस पवक्ता मीम अफजल ने माना कि fिदल्ली में अल्पसंख्यकों की योजनाओं को लागू करने में कुछ शिकायतें रही हैं। उत्तर पदेश और बिहार में भी इस तरह की शिकायतें मिलती रही हैं। इस बारे में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय जल्द ही राज्य सरकार से बात करेगा। इसके साथ ही कांग्रेस ने यह दावा भी किया कि 12वीं पंचवषीय योजना में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए 17,555 करोड़ रुपए रखे गए हैं। डा. फहीम बेग का इस तरह पधानमंत्री के कार्यकम में  हंगामा करना शायद ठीक तरीका नहीं था। पर साथ-साथ सवाल यह भी है कि जब 150 खतों में से एक का जवाब नहीं मिले तो फहीम ने यह रास्ता अपनाया क्योंकि वह मजबूर थे और कोई रास्ता नहीं बचा था। फहीम बेग के विरोध से कांग्रेस और मनमोहन सरकार दोनों सकते में आ गईं। पिछले 10 सालों में सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए तमाम काम करने का दावा किया पर जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। कांग्रेस राज में मुस्लिम अल्पसंख्यक बेहाल हैं। कार्यकम में मौजूद एक अन्य मुस्लिम युवक ने कहा कि विरोध तो पतीकात्मक है। एक मुस्लिम युवा के विरोध के बाद उसकी समस्या सुन लेने से काम नहीं चलेगा। वास्तविकता यही है कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए जितने भी आयोग और कमेटियां बनीं उनकी रिपोर्ट कांग्रेस सरकार ने अभी तक लागू नहीं की। केन्द्र सरकार केवल अखबारों और टीवी पर अल्पसंख्यकों के विकास की चर्चा कर रही है, लेकिन मुस्लिम अल्पसंख्यकों का विकास नहीं हो रहा है। आज भी मुसलमानों  में शिक्षा का अभाव है। रोजगार के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है। ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव  सर पर हों इस पकार का खुला विरोध कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। यह विरोध वोट बैंक पालिटिक्स पर हावी हो सकता है।

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