गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने सबको चैंका दिया
है। जिस ढंग से वह अपने दायें हाथ माने जाने वाले अरविंद केजरीवाल को अपना आशीर्वाद
दे रहे थे उससे तो लगता था कि लोकसभा चुनाव में वह उन्हें ही अपना समर्थन देंगे। पर
अन्ना ने घोषणा की है कि वह लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की पमुख सुश्री ममता
बनजी को चुनाव में अपना समर्थन देंगे। बुधवार को नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब आफ
इंडिया में हुई पेस कांपेंस में अन्ना हजारे ने कहा कि वे आज भी पक्षवार पार्टियों
के खिलाफ हैं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की विचारधारा से काफी पभावित हैं। किसी पथ व पाटी
से हमेशा दूर रहने वाले अन्ना हजारे ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस
के लिए पचार करेंगे। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का लोकसभा चुनाव में
समर्थन करने से साफ इंकार करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि वह सिर्फ तृणमूल का समर्थन
करेंगे और पाटी के उम्मीदवारों के लिए पचार करेंगे। चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के समर्थन
को जायज ठहराते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि उन्होंने पहली बार देश और समाज के बारे में
सोचने वाला व्यक्ति देखा है, तो वह दीदी हैं। इसलिए वह उनका समर्थन कर रहे हैं। अन्ना ने कहा कि उन्होंने
सभी पार्टियों से 17 मुद्दों पर राय मांगी थी पर ममता बनजी के
अलावा किसी और ने जवाब नहीं दिया। अरविंद केजरीवाल ने भी उनके पत्र का जवाब,
नहीं दिया। मैं माफी चाहूंगा पर मेरी राय में जे इज्जत और सम्मान अन्ना
हजारे के लिए था उसमें काफी कमी आई है। पिछले कुछ दिनों से उनके अनाप-शनाप बयान जो आ रहे हैं उससे उनकी पतिष्ठा घटी ही है। एक बार फिर साबित हो
गया है कि राजनीति दिखावे के लिए कुछ, करने के लिए कुछ और होती
है। यह उसी तरह हुआ जैसे हाथी के दांत दिखाने के लिए अलग और खाने के लिए अलग होते हैं।
अन्ना हजारे ने जब केवल ममता की उनकी सादगी के लिए पशंसा की थी तब कोई बड़ी बात नहीं
थी। अब जबकि उन्होंने यह घोषणा कर दी कि वे तृणमूल कांग्रेस के सभी पत्याशियों के लिए
पचार भी करेंगे तो सवाल उठना स्वाभाविक है। सबसे पहला सवाल तो यह है कि आखिर ममता बनजी
की राजनीति में अन्ना को ऐसा क्या दिख गया कि वे उनका पचार करने को तैयार हो गए। इस
देश में और भी मुख्यमंत्री और नेता हैं जिनकी सादगी ममता से कम नहीं बल्कि कहीं ज्यादा
कही जा सकती है। जबसे ममता बनजी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हैं उन्होंने ऐसा
कोई काम नहीं किया जिसका उन्हें जनता का समर्थन मिला हो। उल्टा उनके राज्य में बिगड़ती
कानून व्यवस्था जरूर एक सवालिया निशान लगाती है। महिलाओं के साथ बढ़ती बलात्कार की
घटनाओं को लेकर, अस्पतालों में बच्चों की मौत तक और पाटी नेताओं-कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे हमलों से ममता बनजी और उनकी सरकार की न केवल
किरकिरी हुई है बल्कि उनकी पशंसक रही पख्यात लेखिका महाश्वेता देवी तक ने आलोचना की
है। ममता और उनकी पाटी अन्य दलों के समान ही है। दुख तो अन्ना हजारे के राजनीतिक ढेंग
पर हो रहा है, उन्हें इस तरह का ढेंग नहीं करना चाहिए। वह किस
नेता को, किस पाटी का समर्थन करते हैं यह उनका निजी फैसला है
और इस पर कोई ऐतराज नहीं कर सकता पर उनका यह फैसला आलोचना के दायरे में जरूर आएगा और
जिस आसमानी हद तक अन्ना जी की इज्जत पहुंच गई थी वह अब धरातल पर आ जाएगी।
No comments:
Post a Comment