Thursday 1 February 2018

बेघर जानवरों की इंसानी बस्तियों में घुसने की मजबूरी

प्राकृतिक संसाधनों के बढ़ते दोहन के कारण जंगलों से बेघर जानवर मजबूरन इंसानी बस्तियों में घुस रहे हैं। आए दिन हम सुनते हैं कि फ्लां जगह पर तेंदुआ आ गया। हाल ही में लखनऊ में थाना ठाकुरगंज के रिहायशी इलाके मिश्री बाग में मूक-बधिरों के मिशनरी स्कूल (सेंट फ्रांसिस) में सुबह-सुबह एक तेंदुआ घुस आया। तेंदुए को लखनऊ जूह की रैपिड रिस्पांस यूनिट, वन विभाग कर्मियों व पुलिस विभाग की टीम को उसे पकड़ने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। इस तेंदुए को पकड़ने में आठ घंटे लगे। तेंदुआ स्कूल के असेम्बली स्टेज के नीचे बने बेसमेंट में जाकर छिप गया था। मुंबई के उपनगरीय मुलुंड के नानीपाड़ा इलाके में एक तेंदुआ घुस गया। इस दौरान तेंदुए के हमले से छह लोग घायल हो गए। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तेंदुआ नानीपाड़ा में सुबह करीब सवा सात बजे दिखा। यह इलाका पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। तुलसीपुर थाने के अमरहवा कलां गांव में बरामदे में खेल रहे पांच साल के बच्चे को तेंदुआ उठाकर ले गया। साहसी ग्रामीणों ने तेंदुए का पीछा कर बच्चे को छुड़ा लिया। तेंदुआ सामने आ जाए तो अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन मांटू के अड़ाखो गांव की 10 साल की सरस्वती पर तेंदुए ने हमला किया तो भी वह बच्ची घबराई नहीं और संघर्ष करने लगी। जैसे-तैसे 100 मीटर दूर मौजूद बड़े भाई तक पहुंच गई। फिर भाई के साथ मिलकर ऐसा शोर मचाया कि तेंदुआ भाग गया। 2014-17 में 1144 लोग जानवरों के हमलों के शिकार हो गए। 1052 को हाथी और 92 को बाघ ने शिकार बनाया। 426 लोग ऐसे हमलों में मरे वर्ष 2014-15 में। ऐसा नहीं कि जानवरों को भी खतरा नहीं है। 2014 से 2017 में 345 बाघ मारे गए। 84 हाथियों की जान गई इस दौरान टकरावों में। भोजन-पानी की तलाश में उत्तराखंड में गुलदार गांवों में ही नहीं शहरों में बने घर और होटलों तक हमले करने लगे हैं जानवर। रॉयल बंगाल टाइगर का घर माना जाने वाला पश्चिम बंगाल में बाघों की संख्या बढ़ने से इंसानों के साथ उसका टकराव बढ़ा है। 4.68 बाघ प्रति सौ वर्ग फुट क्षमता है सुंदर वन में, पर आबादी काफी ज्यादा है। 90 बाघ रहते हैं सुंदर वन में। अभी 2014 में यहां 76 बाघ थे, 30 से 40 लोग हर साल यहां बाघ का शिकार बनते हैं। जंगल कटते जा रहे हैं और जानवर आबादी वाले इलाकों में भूख-प्यास की वजह से घुसने पर मजबूर हैं। इसमें उनका भी कोई दोष नहीं, पापी पेट का सवाल है।

-अनिल नरेन्द्र

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