Wednesday 21 February 2018

विधायकों-सांसदों को बताना होगा, कैसे बनाई सम्पत्ति?

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव जीतकर बेतहाशा सम्पत्ति अर्जित करने वाले सांसदों और विधायकों पर लगाम कसने के लिए शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को अब स्वयं, पत्नी और आश्रितों की सम्पत्ति के साथ आय का स्रोत भी बताना होगा। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर की पीठ से आया यह अहम फैसला गैर-सरकारी संगठन लोकप्रहरी की याचिका पर आधारित है, जिसकी चिन्ता यह थी कि विधायक-सांसद बनने के बाद जनप्रतिनिधियों की आय कैसे ढाई गुना बढ़ जाती है? यह आदेश ऐसे समय में आया है जब कुछ सांसदों और विधायकों की सम्पत्ति में बेतहाशा वृद्धि के चलते उनकी जांच हो रही है। एक तथ्य यह भी है कि बीते कुछ समय से पैसे बांटकर चुनाव जीतने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। निश्चित तौर पर विधायक या सांसद बनने से पहले और बाद में किसी राजनेता की आय की तुलना होना चाहिए और कोई मानक भी निर्धारित किया जाना चाहिए कि आय में कितनी फीसदी बढ़ोत्तरी उचित है। याचिका में शामिल एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लोकसभा में चार सांसदों की आय में 12 गुना और 22 की आय में पांच गुना बढ़ोत्तरी हुई है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू देश के सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं और उनकी कुल सम्पत्ति 177 करोड़ रुपए की है, जबकि माणिक सरकार मात्र 26 लाख की सम्पत्ति के साथ देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत जनप्रतिनिधियों को न सिर्फ अपनी आय के स्रोत बताने होंगे, बल्कि अपनी पत्नी, बेटा-बहू, बेटी-दामाद की आय के स्रोत भी घोषित करने होंगे। चुनाव सुधार प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण कदम है। लोकप्रहरी ने अपनी याचिका में बताया था कि 26 लोकसभा एवं 11 राज्यसभा सांसदों और 267 विधायकों की सम्पत्ति में असाधारण वृद्धि हुई थी। इसके बाद जांच शुरू हुई। सीबीडीटी ने भी सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि शुरुआती जांच में सात सांसदों और 98 विधायकों की सम्पत्ति में बेतहाशा वृद्धि की बात सामने आई है। यह शुभ संकेत हैं कि चुनाव सुधार के लिए सक्रिय संगठनों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा आदेश दिया जो चुनाव सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सहायक बनेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बिल्कुल सही कहा कि सांसदों-विधायकों द्वारा सम्पत्ति की जमाखोरी पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोकतंत्र के विनाश की ओर बढ़ेगी और इससे माफियाओं का रास्ता खुल जाएगा।

-अनिल नरेन्द्र

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