Sunday, 11 February 2018

उत्तर प्रदेश में भाजपा की मुसीबत बने अपने ही विधायक

उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार की अपने अफसरों व विधायकों पर पकड़ कमजोर होती जा रही है। भाजपा सहयोगी दलों की चुनौती और विरोध तो लगातार झेल रही है, लेकिन पार्टी विधायकों का भी हमला कम नहीं हो रहा है। चाहे मामला बरेली के डीएम का हो, चाहे डिप्टी डायरेक्टर रश्मि वरुण का हो, अफसर भी सरकार की आलोचना करने से नहीं कतराते। सहारनपुर जनपद के सांख्यिकीय विभाग की डिप्टी डायरेक्टर रश्मि वरुण काफी दिनों से फेसबुक पर भाजपा के विरोधियों का समर्थन करती रही हैं। आम आदमी पार्टी की भाजपा विरोधी पोस्ट व दो टीवी पत्रकारों की ऐसी ही पोस्ट का उन्होंने खुलकर समर्थन किया है। संगठन, प्रशासन और सरकार के स्तर पर एक तरफ जनप्रतिनिधियों से समन्वय बनाने की कोशिश हो रही है और दूसरी ओर क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर भाजपा विधायक आए दिन अपनी ही सरकार के लिए आंदोलित हो रहे हैं। भाजपा सरकार में साझीदार सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने वाराणसी में अपनी ही सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी। वह अब 18 फरवरी को चंदौली में रैली कर सरकार पर फिर हमला करने जा रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी कमजोर कड़ियों को दूर करने में जुटी है, लेकिन पार्टी के ही कई विधायक आरोपों की बौछार के साथ विपक्षी दलों जैसा बर्ताव करने पर उतर आए हैं। हाल ही में औरेया के भाजपा विधायक दीनानाथ भास्कर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर औरेया तहसील में समर्थकों संग धरने पर बैठे तो हड़कंप मच गया। हरदोई के भल्लांवा-बिलग्राम के विधायक आशीष सिंह आशु ने वहां के सीएमओ से जनहित के कार्यों की अपेक्षा की तो सीएमओ ने उल्टे उनके खिलाफ ही आरोप लगा दिए। अभी हाल ही में बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी और विधायक संजय जायसवाल ने क्षेत्रीय मामले को लेकर धरना दिया। ऐसे और कई उदाहरण हैं जहां भाजपा के विधायक अपनी ही सरकार व प्रशासन के खिलाफ खुलकर आरोप लगा रहे हैं। बेहतर हो कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा संगठन के वरिष्ठ अधिकारी अपनी पकड़ मजबूत करें और विधायकों की शिकायतों पर ध्यान दें। 2019 का चुनाव दूर नहीं। वह पहले भी हो सकता है। ऐसे में पार्टी के अंदर असंतोष प्रधानमंत्री मोदी के मिशन 2019 को झटका दे सकता है। उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। समय रहते इसका सुधार नहीं किया गया तो बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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