Saturday 10 February 2018

आतंकियों को नवीद की मूवमेंट की जानकारी कैसे हुई?

श्रीनगर के सबसे पुराने महाराजा हरि सिंह अस्पताल में मंगलवार को आतंकियों का घात लगाकर हमला करना और लश्कर--तैयबा के आतंकी नवीद जट्ट उर्फ अबु हंजुला को छुड़ाकर ले जाना जहां सुरक्षा में बड़ी चूक है बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि आतंकियों को पल-पल की जानकारी थी। इसमें पुलिस पर भी मुखबरी का शक है। श्रीनगर सेंट्रल जेल से आतंकी नवीद को अस्पताल ले जाने की जानकारी सिर्फ पुलिसकर्मियों को थी। ऐसे में यह जानकारी इन दहशतगर्दों तक कैसे पहुंची, इसे लेकर सवाल खड़ा होना स्वाभाविक ही है। इस घटना में दूसरी चूक सामने आ रही है कि श्रीनगर सेंट्रल जेल से छह आतंकियों को मेडिकल चैकअप के लिए अस्पताल लाते समय सुरक्षा में सिर्फ 10-15 पुलिसकर्मी ही तैनात किए गए थे। इसके अलावा अस्पताल में अतिरिक्त सुरक्षा के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए गए थे। पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद नवीद जट्ट उर्फ अबु हंजुला 26/11 के मुंबई हमले में शामिल कसाब के बाद जिन्दा पकड़ा जाने वाला तीसरा आतंकी था। नवीद को पांच अन्य कैदियों के साथ इलाज के लिए महाराजा हरि सिंह अस्पताल लाया गया तो वहां पहले से ही मौजूद दो आतंकियों ने पुलिस पर गोलियां बरसा दीं। इसमें दो पुलिसकर्मी हेड कांस्टेबल मुश्ताक अहमद व कांस्टेबल बाबर अहमद शहीद हो गए। तीनों आतंकी मोटरसाइकिल से फरार हो गए। पार्किंग में खड़े इन दो आतंकियों ने जेल वैन से उतरते ही आतंकी मोहम्मद नवीद जट्ट उर्फ अबु हंजुला को पिस्टल थमा दी। फिर दो पुलिसकर्मियों को गोली मारकर तीनों फरार हो गए। कड़ी सुरक्षा वाले इस अस्पताल से करीब 17 साल बाद इस तरह कोई आतंकी भागा है। 2001 में जनरल अब्दुल्ला नाम का खूंखार आतंकी पहली मंजिल से कूद कर फरार हुआ था। 22 साल का पाक आतंकी जट्ट 2014 में दक्षिण कश्मीर के कुलगांव से पकड़ा गया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस उसे और पांच अन्य कैदियों को घाटी से बाहर शिफ्ट करना चाहती थी लेकिन कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी। आतंकियों का हमला इतना तेज था कि पुलिसकर्मियों को एक्शन लेने का मौका ही नहीं मिला। फिरन पहने दो आतंकी अस्पताल के ओपीडी के सामने पार्किंग में ही खड़े थे। जेल वैन करीब 1135 बजे कैदियों को लेकर पहुंची। यहां मरीजों की काफी भीड़ थी। पुलिस और अन्य कैदियों के साथ जैसे ही जट्ट वैन से उतरा, फिरन पहने एक आतंकी ने उसे पिस्टल थमा दी। पिस्टल मिलते ही जट्ट ने पहले कांस्टेबल मुश्ताक अहमद की छाती पर गोलियां बरसाईं। दूसरे कांस्टेबल बाबर अहमद ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की। जट्ट और उसके साथी उन पर गोलियां बरसा कर भाग लिए। यह हमला बिना पुलिस की मिलीभगत के हो ही नहीं सकता था। आतंकियों को जट्ट की मूवमेंट की पूरी जानकारी थी।

-अनिल नरेन्द्र

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