Thursday, 15 February 2018

मोहन भागवत के बयान को लेकर सियासी बवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की सेना पर की गई टिप्पणी से सियासी बवाल मच गया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुजफ्फरपुर में कहा थाöहमारा मिलिट्री संगठन नहीं है, मिलिट्री जैसा अनुशासन हमारा है। अगर देश को जरूरत पड़े और देश का संविधान-कानून कहे तो सेना तैयार करने को छह-सात महीने लग जाएंगे, संघ के स्वयंसेवकों को कर लेंगे तीन दिन में तैयार। यह हमारी क्षमता है लेकिन हम मिलिट्री संगठन भी नहीं हैं, हम तो पारिवारिक संगठन हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भागवत के बयान को सेना और तिरंगे का अपमान करार देते हुए इसे शर्मनाक कहा। वहीं कांग्रेस ने भागवत की ओर से देश और सेना से माफी की मांग करते हुए कहा कि प्रजातंत्र में प्राइवेट मिलिशिया की इजाजत नहीं दी जा सकती। वहीं कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी से स्थिति साफ करने को कहा है। कहा कि भागवत का बयान चौंकाने वाला है। ऐसे बयान से हमारी सेना के मनोबल को कमजोर करता है। भारत की सेना दुनिया की बड़ी सेनाओं में है, जिसने आजादी के बाद ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी है। इसमें पाक सेना का आत्मसमर्पण और बांग्लादेश की आजादी शामिल है। सेना ने हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखा है और ऐसे समय में जब हम बड़ी चुनौती और सैनिक ठिकानों पर हमलों का सामना कर रहे हैं तो भागवत ने हमारी सेना की क्षमता और शौर्य पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। भागवत के बयान पर विवाद होता देख संघ की तरफ से सफाई दी गई है। कहा गया है कि भागवत ने सेना और स्वयंसेवकों के बीच तुलना नहीं की बल्कि यह स्वयंसेवक और आम लोगों के बीच तुलना थी। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहाöसर संघचालक के बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। वैद्य ने कहाöयह सेना के साथ तुलना नहीं थी पर सामान्य समाज और स्वयंसेवकों के बीच में थी। उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भागवत का इशारों-इशारों में बचाव किया है। उन्होंने कहाöअगर कोई संगठन यह कहता है कि वह देश की सुरक्षा करने को उत्सुक है तो क्या यह विवाद का विषय है? केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट कियाöसेना हमारा गौरव है। आपातकाल में हर भारतीय को सुरक्षाबलों के साथ खड़े होने के लिए स्वयं आगे आना चाहिए। भागवत ने सिर्फ यह कहा कि एक व्यक्ति को सैनिक के तौर पर तैयार होने में छह-सात महीने लगते हैं। अगर संविधान इजाजत दे तो संघ के काडर में सहयोग देने की क्षमता है। संघ प्रमुख के बयान पर यह पहला विवाद नहीं है। वह पहले भी ऐसे विवादास्पद बयान देते रहे हैं। ऐसे समय जब जम्मू-कश्मीर में युद्ध की स्थिति बनी हुई है तो मोहन भागवत को ऐसे बयानों से बचना चाहिए।

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