Wednesday 14 February 2018

अबूधाबी में पहला हिन्दू मंदिर

यह कल्पना करना मुश्किल है कि किसी इस्लामी देश में हिन्दू मंदिर बने पर यूएई की राजधानी अबूधाबी में मंदिर बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अबूधाबी-दुबई राजमार्ग पर बोयासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी नारायण संस्था (बीएपीएस) मंदिर की आधारशिला रखे जाने के गवाह बने। अबूधाबी में इस प्रथम हिन्दू मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम का दुबई ओपेरा हाउस में सीधा प्रसारण किया गया। यूएई सरकार ने अबूधाबी में मंदिर बनाने के लिए 20 हजार वर्ग मीटर जमीन दी थी। यूएई सरकार ने साल 2015 में उस वक्त यह ऐलान किया था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर वहां गए थे। मंदिर अबूधाबी में अल वाकवा नाम की जगह पर 20 हजार वर्ग मीटर जमीन पर बनेगा। हाइवे से सटा अल वाकवा अबूधाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है। मंदिर को बनाने की मुहिम छेड़ने वाले बीआर शैट्टी हैं जो आबूधाबी के जाने-माने भारतीय कारोबारी हैं। वो यूएक्सचेंज नाम की कंपनी के एमडी और सीईओ हैं। वैसे तो मंदिर साल 2017 के आखिर तक बनकर तैयार हो जाना था लेकिन कुछ वजहों से देरी हो गई। अब पीएम मोदी के दौरे पर भूमि पूजन के बाद मंदिर की नींव रखी जाएगी और काम शुरू होगा। मंदिर में कृष्ण, शिव और अयप्पा (विष्णु) की मूर्तियां होंगी। अयप्पा को विष्णु का अवतार बताया जाता है और दक्षिण भारत खासकर केरल में इनकी पूजा होती है। सुनने में आ रहा है कि मंदिर काफी शानदार और बड़ा होगा। इसमें एक छोटा वृंदावन यानी बगीचा और फव्वारा भी होगा। मंदिर बनने को लेकर अबूधाबी के स्थानीय हिन्दुओं में उत्साह और खुशी का माहौल है। फिलहाल इन्हें पूजा या शादी जैसे समारोह करने के लिए दुबई जाना पड़ता है और इसमें तकरीबन तीन घंटे का वक्त लगता है। दुबई में दो मंदिर (शिव और कृष्ण) के और एक गुरुद्वारा पहले से है। लेकिन अबूधाबी में कोई मंदिर नहीं है। भारतीय दूतावास के आंकड़ों के मुताबिक यूएई में तकरीबन 26 लाख भारतीय रहते हैं जो वहां की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरा मानना है कि यह मंदिर सिर्फ वास्तुकला व भव्यता में ही विशेष नहीं होगा, बल्कि यह दुनियाभर के लोगों को वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश भी देगा। पीएम ने यूएई में कार्यरत सैकड़ों भारतीयों को संबोधित करते हुए हिन्दी में कहा कि यूएई से हमारा संबंध सिर्फ एक खरीददार या बिक्रेता का नहीं है। यह इससे कहीं ज्यादा है। स्मरण रहे कि संयुक्त अरब अमीरात लगभग 33 लाख प्रवासी भारतीयों का घर है।

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