Tuesday, 6 February 2018

छापे न मारने की प्रोटेक्शन मनी

मुंबई में अंडरवर्ल्ड द्वारा प्रोटेक्शन मनी के बारे में तो हमने सुना था पर जीएसटी के छापे न मारने की प्रोटेक्शन मनी को पहली बार सुन रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई ने कानपुर में तैनात जीएसटी आयुक्त समेत कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में जीएसटी कमिश्नर संसार चन्द के तीन सहयोगी अधिकारी भी शामिल हैं। सीबीआई की मानें तो संसार चन्द इन अधिकारियों के साथ मिलकर रिश्वतखोरी का संगठित रैकेट ही नहीं चला रहा था, बल्कि घूस से मिली रकम से हवाला कारोबार के जरिये वारे-न्यारे भी कर रहा था। रिश्वत की रकम एक साथ एकत्र न हो, इसलिए अलग-अलग तारीखों में पैसा लिया जाता था। यह पेमेंट 15 दिन और 30 दिन में बंटी थी। सैंट्रल एक्साइज के छापे न मारने की एवज में भी शहर के कारोबारियों से पैसा लिया जाता था, जिसे कोड-वर्ड में प्रोटेक्शन मनी का नाम दिया गया था। छापे न मारने पर किसी कारोबारी से कितनी घूस लेनी है, इसकी पड़ताल का जिम्मा तीनों सुपरिंटेंडेंट अफसरों का था। यह अफसर उस कारोबारी की माली हैसियत की जांच करते थे। कितना टैक्स चोरी कर रहे हैं, इसकी रिपोर्ट बनाते थे और कमिश्नर को सौंपते थे। तब कर चोरी के आधार पर तय होता था कि किससे कितनी घूस लेनी है। यानी बड़ी टैक्स चोरी के एवज में बड़ी घूस। इतना ही नहीं, छोटी-मोटी टैक्स चोरी में यह अधिकारी महंगे आई-फोन, स्मार्ट टीवी और फ्रिज तक भी घूस के तौर पर लेते थे। जीएसटी कमिश्नर संसार चन्द का सिंडीकेट बेहद नियोजित था। घूस का पैसा वह अपने पास नहीं रखता था, बल्कि हवाला के जरिये दिल्ली से भेजता था। वहां हवाला कारोबारी रकम को न सिर्फ व्हाइट मनी में बदलते थे, बल्कि संसार चन्द की पत्नी को भी पैसा पहुंचाने का काम करते थे। निस्संदेह यह पहली बार नहीं जब सीबीआई ने भारतीय राजस्व सेवा के किसी अधिकारी को घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया हो। इस सेवा समेत अन्य सेवाओं में घूसखोर अफसरों की गिरफ्तारी का सिलसिला कायम है। यह घूसखोर अफसर केवल काले धन के सौदागर ही नहीं, बल्कि टैक्स चोरी समेत अनेक गैर-कानूनी कामों को बढ़ावा देने वाले ऐसे तत्व हैं जो एक तरह से देश को खोखला करने का काम कर रहे हैं। हमने नोटबंदी के दौरान भी देखा कि किस तरह मुट्ठीभर सरकारी अधिकारी जनता की मजबूरी का लाभ उठाते रहे और अब जीएसटी के अंतर्गत छापा न मारने की एवज में पैसा लेना? अधिकारियों पर शिकंजा कैसे और मजबूत हो सरकार को देखना होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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