संसद के शीतकालीन
सत्र से ठीक दो दिन पहले जय श्रीराम के जयघोष से रविवार को रामलीला मैदान और आसपास
का इलाका गूंज उठा। मंदिर वहीं बनाएंगे... के
अटल इरादे के साथ रामभक्त विश्व हिन्दू परिषद की ओर से बुलाई गई धर्मसभा में अपनी ताकत
दिखाने के लिए एकजुट हुए। रामलीला मैदान में जनसभा शुरू होते ही मंच से हुए ऐलान ने
दूरदराज के इलाकों से आए हजारों लोगों को निराश कर दिया। मंच से घोषणा हुई की अब रामभक्त
मैदान में न आएं, यहां बैठने के लिए जगह नहीं है, बाहर क्रीन लगी है वहीं से कार्यक्रम देखें। मंदिर निर्माण को लेकर उमड़े भक्तों
की सड़कों पर कतारें लगी रहीं। आलम यह था कि रामलीला मैदान की ओर जाने वाले सारे रास्ते
भगवा रंग में नजर आए। विहिप ने भक्तों को लाने के लिए 13 हजार
बसों का प्रबंध किया था। रामभक्त सात हजार अपने टू-व्हीलर से
आए। विहिप का दावा है कि रविवार को नौ लाख भक्त आए। पुलिस का कहना था कि
1.75 लाख भक्त आए। संख्या जितनी भी रही हो पर रविवार को रामभक्तों ने
जबरदस्त प्रदर्शन किया। धर्मसभा में संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि हम राम
मंदिर की भीख नहीं मांग रहे हैं। केंद्र सरकार अपने अधूरे संकल्प को पूरा करने के लिए
हिचक छोड़कर जल्द कानून बनाए। वहीं विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी
अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि दशकों की प्रतीक्षा के बाद हिन्दू अब और इंतजार के मूड
में नहीं हैं। शीर्ष अदालत व सरकार को जन भावनाओं का ख्याल रखने की नसीहत देते हुए
भैयाजी जोशी ने कहा कि मंदिर निर्माण की बाधाएं दूर करना दोनों का कर्तव्य है। जोशी
ने कहा कि आज सत्ता में बैठे लोगों ने ही पहले मंदिर वहीं बनाएंगे की घोषणा की थी।
इस संकल्प को पूरा करने का समय आ गया है। हम भीख नहीं मांग रहे हैं। देश राम मंदिर
चाहता है। 1992 में अधूरे छोड़े काम को पूरा करने का समय आ गया
है। साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि राम मंदिर की बात करने वाले ठाठ में हैं, जबकि राम लला टाट में हैं। सरयू तट पर कितने भी दीप जला लो, राम की मूर्ति बना लो, पर जब तक राम मंदिर नहीं बनेगा,
तब तक सारे प्रयास अधूरे हैं। वीएस कोकेज (अध्यक्ष
विहिप) ने कहा कि मंदिर गिराकर ही मस्जिद बनाई थी। इस मंदिर पर
कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। देश में हर छह महीने में चुनाव होते हैं क्या हम चुप बैठेंगे?
यह धर्मसभा विहिप ने आयोजित की थी और मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के नेता भी उपस्थित थे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी पहले दिल्ली में, फिर नागपुर में राम मंदिर बनाने के लिए सरकार को कानून या फिर अध्यादेश लाने
का सुझाव दिया था। इस तरह पिछले कुछ महीनों से मंदिर के लिए माहौल बनना शुरू हो गया
था। धर्मसभा में जुटे संत समाज और हिन्दू संगठनों के नेताओं ने एक बार फिर सरकार पर
दबाव डाला कि वह पिछले चुनाव में किए वादे को पूरा करे। अब सरकार के सामने संकट है
कि वह अगले आम चुनाव से पहले इस समस्या का हल कैसे करे?
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