Thursday, 20 December 2018

लोकसभा चुनाव देख गहलोत और कमलनाथ के सिर पर ताज

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए राजस्थान और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों के नाम पर मुहर लगाई है। बेशक मुख्यमंत्रियों के चयन में कुछ वक्त लगा पर राहुल गांधी का बतौर कांग्रेस अध्यक्ष यह अब तक का सबसे बड़ा फैसला है। मध्यप्रदेश में तो मुख्यमंत्री पद के लिए अनुभवी नेता कमलनाथ के नाम का ऐलान गुरुवार रात ही कर दिया गया था, राजस्थान में भी दो बार मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत का चयन कांग्रेस की मिशन 2019 को देखकर किया गया है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट में कौन चुना जाएगा। यह सस्पेंस दो-तीन दिन तक बना रहा। अंत में राहुल के इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। इस फैसले के पीछे मिशन 2019 की छाप साफ नजर आ रही है और राहुल गांधी के इस निर्णय का असर चार माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में दिखाई देगा। यही वजह रही कि राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री पद के सभी दावेदार, राज्यों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत कर नए नेता का चयन किया। स्कूली दिनों में जादूगरी करके दोस्तों को चौंकाने वाले गहलोत को कमलनाथ की तरह राजनीति का जादूगर भी कहा जाता है, जो कांग्रेस को कठिन से कठिन हालात से निकाल लाते हैं। दोनों ही नेता अशोक गहलोत और कमलनाथ नेहरू-गांधी परिवार के करीबी रहे हैं। कमलनाथ की बात करें तो वह गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम कर चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तो कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा मानती थीं तो वहीं उनके छोटे बेटे संजय गांधी के वह स्कूली दोस्त थे। वह राहुल गांधी के भी काफी करीबी माने जाते हैं। दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही वह संजय गांधी के सम्पर्प में आए थे और वहीं से राजनीति में एंट्री की नींव तैयार हुई। एक बार इंदिरा गांधी छिंदवाड़ा के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं। इंदिरा ने तब मतदाताओं से चुनावी सभा में कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं। बता दें कि कमलनाथ छिंदवाड़ा से लगातार नौ बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। संजय गांधी और कमलनाथ की दोस्ती दून स्कूल के जमाने से मशहूर थी। दोनों का सपना था देश में छोटी कार का बड़े पैमाने पर उत्पादन करना और यहीं से मारुति का जन्म हुआ था। इमरजेंसी के बाद कमलनाथ को गिरफ्तार किया गया। तब वह संजय गांधी के लिए जज के साथ बदतमीजी कर बैठे थे। इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा, लेकिन इससे इंदिरा गांधी की नजरों में उनका कद काफी बढ़ गया था। कमलनाथ और गहलोत को कमान देने के पीछे अनुभव के साथ सीटों की गणित को भी अहम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि दोनों राज्यों में कांग्रेस को बहुमत के लिए दूसरे दलों या निर्दलीयों पर निर्भरता को देखते हुए प्रशासनिक अनुभव को प्राथमिकता देना ज्यादा मुफीद माना गया। हम श्री कमलनाथ और श्री अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनने पर बधाई देते हैं।

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