Saturday, 22 December 2018

सज्जन केस के दूरगामी परिणाम होंगे

कांग्रेस के कद्दावर नेता सज्जन कुमार तो ताउम्र कैद की सजा मिलने के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। उन्हें बेशक निचली अदालतों से राहत मिलती रही है और पहले मामले में उन्हें किसी केस में हाई कोर्ट से सजा मिली हुई पर अभी उनको कई केसों का सामना करना पड़ेगा। एक अन्य मामले में भी चश्मदीद गवाह ने अदालत के समक्ष उनकी पहचान की थी और इस मामले में भी जल्द फैसला आ सकता है। सज्जन कुमार पर करीब आधा दर्जन मामले अभी भी लंबित हैं। सज्जन से पहले कांग्रेस के ही स्वर्गीय दिग्गज नेता एचकेएल भगत भी एक गवाह के बयान के आधार पर जेल भेजे गए थे, लेकिन उनके स्वर्गवास होने के कारण मामले को बंद करना पड़ा। नवम्बर 84 दंगों के बाद से ही पूर्व सांसद सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर व दिवंगत एचकेएल भगत का नाम आरोपियों के तौर पर प्रमुखता से लिया जा रहा है। सज्जन कुमार का रुतबा इतना रहा है कि जब सीबीआई उन्हें गिरफ्तार करने मादीपुर स्थित उनके घर गई थी तो जमकर हंगामा हुआ था और उसके बाद से कभी भी सीबीआई या पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने की हिम्मद नहीं दिखाई। उनके खिलाफ दिल्ली कैंट इलाके के अलावा सुल्तानपुरी, मंगोलपुरी, नांगलोई इत्यादि इलाकों में हुए दंगों के मामले विचाराधीन हैं। संभावना जताई जा रलही है कि अगले वर्ष यानि 2019 में सभी मामलों में फैसले आ जाएंगे। जिस प्रकार हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को सजा सुनाई है उसका असर अन्य मामलों पर भी पड़ेगा। अभी तक सज्जन कुमार को संदेह का लाभ मिलता रहा है, लेकिन आगे इसकी संभावना कम है। हालांकि अदालत का फैसला गवाहों व दस्तावेजों के आधार पर करना होता है लेकिन अब सज्जन व अन्य आरोपियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। वैसे यह बता दें कि 84 के दंगों के मामले में पहली बार आपराधिक साजिश के तहत आरोपियों को दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई है, लेकिन खास बात है कि अब तक न तो दिल्ली पुलिस ने और न ही सीबीआई ने किसी भी आरोपी पर दंगों को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश का आरोप लगाया था। मामले में सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे विशेष अभियोजक व वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने बताया कि आईपीसी की धारा-120बी का आरोप लगाना ही सज्जन कुमार की सजा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका रही। दूसरे शब्दों में यूं कहिए कि यह पहला मामला है जिसमें दंगों की साजिश को रिमोट कंट्रोल करने वालों को सजा हुई है। यहां तक कि सीबीआई ने भी आरोप पत्र में आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप नहीं लगाया है। चीमा ने बताया कि पुलिस और सीबीआई ने तो सज्जन व अन्य पर सिर्प दंगों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। हाई कोर्ट के इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे।

-अनिल नरेन्द्र

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