Friday, 7 December 2018

अयोध्या का असल इतिहास

अयोध्या का महत्व इस बात में निहित है कि जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों का उल्लेख होता है तो तब उसमें सर्वप्रथम अयोध्या का ही नाम आता है। मैंने बीबीसी में प्रोफेसर हरेम्ब चतुर्वेदी (पूर्व विभागाध्यक्ष, इतिहास, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) का एक रिसर्जड लेख पड़ा। प्रोफेसर चतुर्वेदी ने लिखा है कि अयोध्या और प्रतिष्ठानपुर (झूंसी) के इतिहास का उद्गम ब्रह्माजी के मानस पुत्र मनु से ही संबंध है। जैसे प्रतिष्ठानपुर और यहां के चन्द्रवंशी शासकों की स्थापना मनु के पुत्र ऐल से जुड़ी है, जिसे शिव के शाप ने इला बना दिया था, उसी प्रकार अयोध्या और उसका सूर्यवंश मनु के पुत्र रवाछु से प्रारंभ हुआ। भारतीय प्राचीन ग्रंथों के आधार पर अयोध्या की स्थापना का काल ई.पू. 2200 के आसपास माना है। इस वंश में राजा रामचन्द्र जी के पिता दशरथ 63वें शासक हैं। अयोध्या के महात्म्य के विषय में यह और स्पष्ट करना समीचीन होगा कि जैन परंपरा के अनुसार भी 24 तीर्थंकारों में से 22 इश्वाछु वंश के थे। इन 24 तीर्थंकारों में से भी सर्वप्रथम तीर्थंकार आदिनाथ (ऋषभदेव जी) के साथ चार अन्य तीर्थकरों का जन्म स्थान भी अयोध्या ही है। बौद्ध मान्यताओं के अनुसार बुद्व देव ने अयोध्या अथवा साकेत में 16 वर्षों तक निवास किया था। यह हिन्दू धर्म और उसके प्रतिरोधी संप्रदायोंöजैन और बौद्धों का भी पवित्र धार्मिक स्थान था। सृष्टि के प्रारंभ से त्रेतायुगीन रामचन्द्र से लेकर द्वापरकालीन महाभारत और उसके बहुत बाद तक हमें अयोध्या में सूर्यवंशी इक्ष्वाछुओं के उल्लेख मिलते हैं। इस वंश का ब्रह्मद्रथ, अभिमन्यु के हाथों महाभारत के युद्ध में मारा गया था। फिर लव ने श्रावस्ती बसाई और इसका स्वतंत्र उल्लेख अगले 800 वर्षों तक मिलता है। फिर यह नगर मगध के मौर्यों से लेकर गुप्तों और कन्नौज के शासकों के आधीन रहा। अंत में यह महमूद गजनी के भांजे सैयद सातार ने तुर्प शासन की स्थापना की। वह बहराइच में 1033 . में मारा गया था। इसके बाद तैमूर के दसमात जद जौनपुर में शकों का राज्य स्थापित हुआ तो अयोध्या शकियों के आधीन हो गया। विशेष रूप से एक शासक महमूद शाह के शासनकाल में 1440 . में। 1526 . में बाबर ने मुगल राज्य की स्थापना की और उसके सेनापति ने 1528 में यहां आक्रमण करके मस्जिद का निर्माण करवाया जो 1992 में मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते राम जन्म भूमि आंदोलन में ढह गया। इतिहास राम जन्म भूमि प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय में भी सर्वाधिक उद्धृत है। अयोध्या के मूल निवासी होने के नाते गर्व के साथ अपने नाम से पहले सदैव अवध वासी लिखते हैं। यह संक्षिप्त में अयोध्या का इतिहास।

-अनिल नरेन्द्र

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