Saturday 15 December 2018

मोदी को हराना मुश्किल नहीं अगर विपक्ष में एकता हो

2019 के लोकसभा चुनाव के लिए मोदी के खिलाफ महागठबंधन की कवायद अभी तक परवान न चढ़ने का एक बड़ा कारण था हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा परिणाम। विपक्षी पार्टियां यह देख रही थीं कि इन राज्यों में कांग्रेस कितनी मजबूत होकर निकलती है। दरअसल सभी विपक्षी पार्टियां एक-दूसरे की ताकत आंकने में लगी हुई थीं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के इंतजार की एक वजह यह भी थी कि इससे महागठबंधन की ओर बढ़ने का रास्ता खुलता दिखे। ऐसा माना जा रहा था कि पांच राज्यों के जनादेश के मार्पत सभी दलों को जमीनी हकीकत का अंदाजा लग जाएगा और उसके बाद जब वह बातचीत के लिए बैठेंगे तो किसी भ्रम में नहीं होंगे। कांग्रेस जिस तरह से एक के बाद एक राज्यों में बेदखल हो रही थी उसके बाद प्रमुख विपक्षी दलों में महागठबंधन के नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह लग गया था। पर मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन के बाद इन दलों का कांग्रेस के प्रति नजरिया बदलेगा। अब यह सवाल शायद ही कोई पूछे कि कांग्रेस का नेतृत्व क्यों? इन तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस दूसरा बड़ा दल देशभर में बन गया है। अब उसकी पांच राज्यों में सरकारें हैं। तीन राज्यों में भाजपा को सीधी टक्कर में हराने के बाद कांग्रेस ने राष्ट्रीय पार्टी के अपने वजूद को साबित कर दिया है। यह तय हो गया है कि अब जो भी महागठबंधन बनेगा वह कांग्रेस के ही नेतृत्व में बनेगा। इस जीत का सबसे बड़ा संदेश यह है कि भाजपा, मोदी-शाह की जोड़ी को सीधी टक्कर में हराया जा सकता है। कांग्रेस को भी यह बात समझ में आ गई होगी कि भाजपा को सीधी टक्कर देने के लिए उसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन की जरूरत होगी। कर्नाटक में बीएसपी-जेडीएस की ताकत समझने में उससे भूल हुई थी। वैसी ही गलती मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बसपा के साथ गठबंधन पर हुई। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 10 सीटें जीती हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी घोषणा कर दी है कि वह भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस का समर्थन करेंगी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम दर्शाते हैं कि लोगों ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों को खारिज कर दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने परिणामों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके गांधी परिवार पर निजी हमलों पर घेरते हुए कहा कि ऐसे ऊंचे पद पर बैठे हुए व्यक्ति को ऐसा करना शोभा नहीं देता। बुधवार को 78 साल के हुए पवार ने कहा कि उनका दल कांग्रेस को समर्थन देगा। उन्होंने सुझाव दिया कि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को भी राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर लेना चाहिए। मराठा क्षत्रप ने कहा कि जनता को यह बात पसंद नहीं आई कि कांग्रेस अध्यक्ष का मजाक उड़ाया जाए। परिणामों में साफ दिख गया है कि लोगों ने राहुल गांधी को बतौर कांग्रेस अध्यक्ष स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि लोगों ने मोदी सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है और विधानसभा परिणाम बदलाव की शुरुआत है। लोगों ने किसान विरोधी, व्यापारी विरोधी, बेरोजगार विरोधी नीति को खारिज कर दिया है। क्या मोदी को हराना मुश्किल है? जब यह सवाल पत्रकार, लेखक, अर्थशास्त्राr व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शोरी से पूछा गया तो उनका जवाब कुछ ऐसा था। हराना मुश्किल तो हैं, क्योंकि उनके पास औजार हैं, उनका कोई हिसाब नहीं है। हर औजार हद से भी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। जैसे पैसा, नेटवर्प, दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों को छीन लेना, सोशल मीडिया का मिसयूज, झूठ फैलाना, झूठे वादे करना, मीडिया को कंट्रोल करना इत्यादि, इत्यादि। इस सच से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इनके पास आरएसएस का मजबूत काडर भी है। मगर हराना मुश्किल नहीं होगा। उनकी पॉपुलरिटी के चरम पर भी सिर्प 31 प्रतिशत वोट मिले थे। अगर महागठबंधन होता है तो 69 प्रतिशत से तो विपक्ष शुरू होता है। आज मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ 2014 के मुकाबले गिरा है। विपक्ष में दो-तीन व्यक्ति डरते बहुत हैं। इसलिए मोदी-शाह एजेंसियों का इस्तेमाल करके, डराकर और जो फैक्ट उनके पास हैं, दिखाकर गठबंधन तोड़ने का प्रयास करेंगे। गठबंधन होते-होते राज्यों में टूट जाते हैं। विपक्ष में रहकर चुनाव जीतना आसान और सत्ता के साथ सरकार बचाने की चुनौती बड़ी होती है, भाजपा समझ गई होगी। लोकसभा चुनाव आज हों तो इन पांच राज्यों में भाजपा को 40 सीटों का घाटा है। 2014 के लोकसभा चुनाव की रोशनी में देखें तो भाजपा को केवल इन पांच राज्यों में ही 40 सीटों का घाटा उठाना पड़ सकता है। इन राज्यों में लोकसभा की 83 सीटें हैं। भाजपा के पास वर्तमान में इनमें से 63 सीटें हैं। विपक्षी एकता लोकसभा चुनाव के लिए कितनी कामयाब होगी, यह वक्त ही बताएगा। अभी तक भाजपा के खिलाफ जो विपक्षी पार्टियों की एकजुटता में शामिल हैं, वह करीब 12 राज्यों की 285 से अधिक लोकसभा सीट पर असर डाल सकती हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम से विपक्ष की एकजुटता कुछ हद तक साबित हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि सभी दलों में अब यह सहमति बनती जा रही है कि अगर मोदी को 2019 के लोकसभा चुनाव में हराना है तो सबको अपने मतभेद भूलकर महागठबंधन में पूरे दिल से शामिल होना पड़ेगा। अगर हम सब मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव  लड़ेंगे तो मिलकर हम भाजपा को हरा सकते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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