Saturday, 22 December 2018

भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित होना चाहिए था ः जस्टिस सेन

मेघालय हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से संबंधित एक फैसला सुनाए हुए भारत के इतिहास, विभाजन और उस दौरान हिन्दुओं व सिखों आदि पर हुए अत्याचारों का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित किया। जस्टिस एसआर सेन ने आगे कहा कि वहीं भारत का विभाजन भी धर्म के आधार पर हुआ था। उसे भी हिन्दू राष्ट्र घोषित होना चाहिए था, लेकिन वह धर्मनिरपेक्ष बना रहा। किसी को भारत को दूसरा इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए वरना वह दिन दुनिया के लिए प्रलयकारी होगा। उन्होंने विश्वास है कि वर्तमान सरकार मामले की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक कदम उठाएगी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए पूरा सहयोग देंगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी अनुरोध किया है कि वह कानून बनाए, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आने वाले हिन्दू, सिख, जैन। पारसी, ईसाई, खासी, जैतां व गारो समुदाय को बिना किसी सवाल और दस्तावेज के भारत की नागरिकता दी जाए। उनके लिए कोई कटऑफ डेट न हो। यही सिद्धांत विदेश से आने वाले भारतीय मूल के हिन्दुओं और सिखों के लिए भी अपनाए जाएं। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि वह भारत में पीढ़ियों से रह रहे और वहां के कानून का पालन कर रहे मुसलमान भाई-बहनों के खिलाफ नहीं हैं। उन्हें भी शांतिपूर्वक रहने की इजाजत होनी चाहिए। न्यायमूर्ति एसआर सेन ने अमोन राणा के स्थानीय निवास प्रमाण पत्र से संबंधित याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। इस दौरान कोर्ट ने असम एनआरसी प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए कहा कि बहुत से विदेशी भारतीय बन गे और मूल भारतीय छूट गए हैं जो दुखद है। कोर्ट ने कहा कि सरकार सभी नागरिकों के लिए यूनीफॉर्म (एक समान) कानून बनाए और उसके पालन की सभी पर बाध्यता हो। जो भी भारतीय कानून और संविधान का विरोध करता है, उसे देश का नागरिक नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने फैसले की कॉपी प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, कानून मंत्री और राज्यपाल को भेजने का आदेश दिया। मेघालय के जस्टिस सेन की भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने संबंधित टिप्पणी ने सियासी बवाल ला दिया है। अपने विवादित बोल के लिए चर्चा में रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने न्यायाधीश का समर्थन किया है। दूसरी ओर नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे नकार दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गिरिराज सिंह ने कहा है कि जज की टिप्पणी को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने जो कहा है, कई लोग इस बारे में मांग उठाते रहे हैं। जिन्ना ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा किया था। निश्चित तौर पर लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करते रहे हैं। वहीं फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोग अपनी पसंद की बातें कह सकते हैं। लेकिन इससे कोई फर्प नहीं पड़ेगा। सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे घृणा फैलाने की कोशिश करार दिया। उन्होंने जज की टिप्पणी पर कहा कि भारत इस्लामिक देश नहीं बनेगा।

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